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दोस्तों, समाज की दकियानुसी सोच के खिलाफ खड़ी लड़कियां अब बड़ी संख्या में स्टोरी हमें भेज रही हैं। अगर आपके पास भी समाज की दकियानुसी सोच के खिलाफ कोई कहानी है तो हमें लिख भेजिए। यह कहानी 12वीं क्लास की लड़की ने भेजी है। एक दिन वह मेडिकल स्टोर पर गई थी कंडोम खरीदने के लिए। उसी दिन उसका मजाक बनाया गया। खुद मेडिकल स्टोर वाले ने तंज कसा था। लड़की तो कंडोम लेकर चली गई लेकिन समाज के दोगलापन पर उसे तरस आया। लड़का कंडोम लेने जाए तो सही लेकिन लड़की लेने गई तो गलत। क्यों भाई..तो चलिए समाज के इसी दोगले विचार पर यह कहानी पढ़िए।

स्कूल से गई थी मेडिकल स्टोर पर कंडोम लेने

उस दिन मैं स्कूल से निकली तो एक मेडिकल स्टोर पर पहुंची। स्कूटी खड़ी की और वहां पहुंच गई। कुछ लोग खड़े थे। मैंने जैसे ही कहा- भईया कंडोम देना। सब मेरी तरफ देखने लगे। चेहरे पर मुस्कान थी। मेडिकल स्टोर वाले भईया पहले तो दहिने बाएं ताकने लगे और फिर मेरी तरफ देखके मुस्काने भी लगे।


मैं कंडोम मांग रही हूं…सब मुझे घूर रहे हैं

मैं कंडोम मांग रही हूं। लेकिन मुझे कंडोम देने की जगह सब मुझे घूर रहे हैं। मेडिकल स्टोर वाले भईया को जैसे सांप सूंघ गया है। चुपचाप खड़े हैं। मुझे देरी हो रही थी., मैंने फिर टोका. कंडोम है या नहीं. नहीं है तो बोल दीजिए। मैं चलूं। अब वो थोड़ा ठिठके। अरे नहीं है…लेकिन धीरे बोलिए।

मेडिकल स्टोर वाला कह रहा है- धीरे बोलिए

धीरे बोलिए…सच्ची? क्यों भाई…। फिर वो हाथ से इशारा कर रहे हैं कि देखिए कुछ लोग खड़े हैं। तो क्या हुआ? कंडोम बोलने और खरीदने में क्या दिक्कत है। यही लोग घरों में सेक्स नहीं करते होंगे क्या? तो क्या ये लोग कंडोम नहीं खरीदते हैं। अगर खरीदते हैं तो इन्हें शर्म नहीं आती तो फिर मुझे क्यों आए।

मैं लड़की हूं तो कंडोम ना बोलूं…वाह भाई

ओह अब समझी क्योंकि मैं लड़की हूं तो मुझे कंडोम नहीं बोलना चाहिए। क्यों भाई अगर मुझे सेक्स करना है तो क्या मैं अपनी सुरक्षा को ध्यान में ना रखूं। कंडोम के साथ तो तमाम टीवी पर विज्ञापन भी चलते हैं उसमें भी कहा जाता है कि बिंदास बोल। तो फिर ये बिंदास बोल लड़के ही बोलेंगे क्या। और एक बात यह भी है कि मैंने तो ज्यादातर लड़कों को भी दब्बू देखा है। वे तो कंडोम मांग भी नहीं पाते। इशारा करते हैं।

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सेक्स करेंगे लेकिन कंडोम नहीं खरीदेंगे

वाह भई…इशारा। सेक्स करने में उतावले रहेंगे लेकिन कंडोम मांगने और बोलने में हिचकिचाहट। ये दोगलापन ही समाज को खा रहा है। सेक्स करने के लिए अपनी गर्लफ्रेंड को तमाम तरह से मनाएंगे लेकिन कंडोम खरीदने के लिए दुकान पर नहीं जाएंगे। तो फिर तो गर्लफ्रेंड को ही जाना पड़ेगा। क्योंकि भाई उसे तो सुरक्षा चाहिए। उसे तो सुरक्षित रहना है तो वह जब दुकान पर जाएगी तो कंडोम बोलेगी भी और खरीदेगी भी. इसमें इतना बड़ा टैबू क्यों है.

कंडोम खरीदना पाप नहीं है..पाप वो है जो बाद में होता है

हां मैं स्कूल की लड़की हूं. हां मेरा ब्वायफ्रेंड है। हां. मैं सेक्स करती हूं और कंडोम खुद खरीदती हूं. उस दिन उस मेडिकल स्टोर वाले भईया को नहीं बोल पाई थी। आज इस स्टोरी में बोल रही हूं। कंडोम खरीदना और बोलना पाप नहीं है। पाप है बिना कंडोम लगाए सेक्स करके किसी को असुरक्षित करना और उसके बाद गर्भपात कराना।

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बात बुरी लग रही है तो सोच बदलिए

मेरी बात आपको बुरी लग रही है ना…तो सोच बदलिए। हम लड़कियां ही हैं, कोई अलग दुनिया से नहीं आई हैं। हमें भी सब पता है। तो स्वीकारिए। आप 21वीं सदी की दुनिया में हैं। यहां आप कंडोम खरीदेंगे तो हम भी खरीदेंगे। आप भी बिंदास बोलिए। मेरी सलाह मानिए। अच्छा लगेगा आपको।

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