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दोस्तों, ई कहानी एक ठो महिला पाठक भेजले बाड़ी। कई बार बस में उनकी साथे अईसन भईल बा। भीड़ के बहाना लेके कुछ नामर्द, (हां हम नामर्द कहब काहें कि अईसन लोग मर्द ना हो सकेने।) बहुत ही खराब तरीका से उनके पीछे से छुए के कोशिश करे सन। कुछ दिन तक त ऊ रोके के साहस ना कर पवली लेकिन एक दिन उ सबक सीखा ही दिहली। पढ़ीं पूरा कहानी…।

ओही दिन ऑफिस के पहिला दिन रहे। हम बस में सवार होखे खातिर बस स्टैंड पर खड़ा रहनी। कुछ दूरी पर तीन चार ठो बुजुर्ग टाइप इंसान खड़ा रहने सन अउर घूरत रहने सन। हम इग्नोर कइनी अउर आपन ध्यान बस पर लगा दिहनी। कुछ ही देर में बस आईल लेकिन भीड़ खूब रहे।

हमके पीछे कुछ कसावट महसूस भईल

पहिला दिन ऑफिस जाए में लेट ना हो जाए ये लिए हम कइसे भी ओ बस में चढ़ी गईनी। काफी मशक्कत के बाद थोड़ा सा खड़ा होखे के जगही मिल गईल। ये ही बीच हमके अपनी पीछे कुछ कसावट महसूस भईल। देखनी कि एक ठो बुजुर्ग बार-बार हमरी शरीर में सट रहल बाटे।


बार-बार ऊ हमरी शरीर पर ढही जाव

भीड़ अधिक रहे त हमके जगही भी ना मिलल। फिर भी हम ओके घूरनी अउर तनकीसा अउर किनारे हो गईनी। कुछ देर में फिर से पीछे से अईसन लागे कि केहू टच करत बाटे। फिर देखनी की उहे बुजुर्ग ह। हम इग्नोर कईल चाहत रहनी। भीड़ में केहू भी नया चढ़े त ऊ बार-बार हमरी शरीर पर एक तरह ढही जाव। हमके भी खुद के संभाले के पड़े।

अईसन मर्दानगी पर थू बाटे, काहें कि…

आज पहली बार हमके समझ में आईल कि बस में लइकनी कुल के सफर कईल ऐ तरह के नामर्द केतना मुश्किल कर देत होइहन सन। आखिर ई हमनीका से सटीके के मर्दानगी देखावल चाहत बाटे। हमनीका के शरीर से खुद के रगड़ के एकर मर्दानगी शांत हो रहल बाटे। अईसन मर्दानगी पर थू बाटे।

ऊ ठरकी बुजुर्ग रहे, पीछे से ई कुल करत रहे

बस में हमरी साथे ई पहिले बार होत रहे। समझ त आवत रहे कि ई ठरकी बुजुर्ग पीछे से का कर रहल बाटे लेकिन हम ओकर पैंट से बाहर आवत मर्दानगी के जानें काहें कुछ देर खातिर सही गईनी एकरी पर हमके आज भी अफसोस होला। हमके ओकरी मर्दानगी के जवाब आधा घंटा बाद नाही बल्कि तबे दिहल चाहत रहे जब ऊ अपनी पैंट के जिप खोललस अउर हमरा अंदाजा हो गईल रहे।

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जब ना रही गईल त हम चिल्ला उठनी. अबे स्याले…

जी हां, ऊ पैंट के जीप खोलिके आपन मर्दानगी के ओ भीड़ में शांत करत रहे। एक ठो महिला के पीछे सटीके अउर भीड़ के बहाना बनाके। आखिर जब रही ना गईल त हम आपन बैग में रखल छोटा सा नेल कटर निकलनी अउर तेजी से पीछे घूमा दिहनी। शायद ओकरी मर्दानगी पर भी चोट लागल अउर ऊ चिल्ला पड़ल….। हमके तब अउर गुस्सा आईल जब हमके ई सुनाई दिहल कि कुछ पीछे से मर्द कहत रहने कि ऊ तब बहुत देर से ई सब देखत रहने ह।

नाही त…काट दिहल जाई

वाह मतलब सब मर्द एके तरह बाने सन। माने अगर एक ठो मर्द भीड़ के फायदा उठाके मर्दानगी शांत करत बाटे त दूसर लोग चुपचाप बइठिके आनंद लेत बाने त ओके हम का का कहीं। खैर, बस के ई पहिला सफर के बाद हम आपन हिम्मत त बढ़ा लेले बानी। अब अगर केहू अईसन करेला त तुरंत ओके जवाब देनी। पर, सोचत बानी कि हर लड़की ई हिम्मत जुटा लेले बाड़ी सन। या का अब ये तरह के नामर्द सुधर गईल बाने सन…। एक बात सुन लीं सुधरे के त पड़ी काहें कि अब अउर ना सहल जाई….काट दिहल जाई…। हं…सही समझनी ह।

(दोस्तों अगर ये कहानी आपको हिंदी में सुननी है तो कमेंट कीजिए हम इसे हिंदी में भी ट्रांसलेट करके पोस्ट करेंगे। हमारी कोशिश यही है कि समाज के लोग ऐसी गंदी सोच वालों से अवेयर हों और समय पर आवाज उठाएं। अगर आपके पास भी ऐसी कोई कहानी हो तो हमसे जरूर शेयर करें। आपकी सारी जानकारी गुप्त रखी जाएगी। )

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