नाग पंचमी की पूजा क्यों की जाती है, naag panchami shrawan shukla panchami, नागपंचमी की कहानी हिंदी में

naag panchami shrawan shukla panchami: श्रावण मास की शुक्ल पंचमी नाग पंचमी कहलाती है। इस दिन नांगों का पूजन किया जाता है। नाग-दर्शन का विशेष महात्म्य है। इन दिनों सांप मारना मना है। पूरे श्रावण माह में धरती नहीं खोदी जाती। नागपंचमी को विशेष कर धरती खोदना निषिद्ध है। इस आर्टिकल में हम आपको नाग पंचमी के बारे में सभी जानकारी देने जा रहे हैं। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है। इसकी पूजा कैसे करें। इसका व्रत कैसे करें। इसका महत्व क्या है। इसकी कहानी क्या है। तो अंत तक पढ़िएगा और शेयर जरूर करिएगा।

तो चलिए दोस्तों, शुरू करते हैं और सबसे पहले आपको बताते हैं कि इस दिन का महत्व क्यों है। आखिर नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है।

नाग पंचमी के दिन क्या करते हैं । naag panchami shrawan shukla panchami

  • इस दिन व्रत करके सांपों को खीर व दूध पिलाया जाता है।
  • सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।
  • सोने, चाँदी, काठ व मिट्टी की कलम से हल्दी व चन्दन की स्याही से पाँच फन वाले नाग को अंकित करके उसकी पूजा की जाती है।
  • घर के चारों तरफ गोबर से नाग देवता बनाते हैं।
  • घर पर खुद शिवलिंग और नागदेवता को बनाते हैं।
  • मंदिर में पूजा करने के बाद घर पर भी पूजा करते हैं।
  • पूजा के बाद किसी आसपास के सपेरे को फोन करते हैं।
  • अब सपेरों को बुला कर साँपों के दर्शन किए जाते हैं।
  • बांबी की पूजा करते हैं।
  • पूजन के बाद कथा सुनते हैं । चलिए आपको बताते हैं कि naag panchami shrawan shukla panchami की कहानी क्या है।
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नाग पंचमी की कहानी । naag panchami shrawan shukla panchami

पहली कथा

किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से सांप के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी सन्तान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि के अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से फिर चली तो किसान-कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाईयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ला पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा होती है।

दूसरी कथा

एक राजा था एक ही उसकी रानी थी। रानी गर्भवती थी। उसने राजा से बन-करैली खाने की इच्छा व्यक्त की। राजा को जंगल में बन-करैलियाँ दिखाई दीं। उसने तोड़ कर थैले में भर लीं। इतने में नाग देवता वहाँ आए और कहने लगे कि तुमने मुझसे बिना पूछे ये क्यों तोड़ लीं? तो राजा हाथ जोड़ कर बोले कि मेरी स्त्री गर्भवती है उसने खाने की इच्छा व्यक्त की थी। मुझे यहाँ दिखाई दीं तो मैंने तोड़ लीं। यदि मुझे यह मालूम होता कि ये आपकी हैं तो जरूर पूछ लेता, अब मुझे क्षमा करो।

नाग बोला, मैं तुम्हारी बातों में आने वाला नहीं हूँ। या तो करैलियाँ यहाँ रख जाओ या वचन दो कि अपनी पहली सन्तान मुझे दे दोगे। राजा करैलियाँ घर ले आया व पहली सन्तान नाग को देने की बात भी कह आया। रानी से उसने सारी बात कही तो भी रानी ने करैलियाँ खाने की इच्छा न छोड़ी।

यथा समय रानी ने एक पुत्री व पुत्र को जन्म दिया। नाग को पता लगा तो पहली सन्तान को मांगने लगा। राजा कभी कहते मुण्डन के बाद ले जाना, कभी कहते कनछेदन के बाद ले जाना तथा अन्त में कहने लगा कि विवाह के बाद ले जाना। नाग पहले तो राजा की बातें मानता रहा पर जब राजा ने शादी के बाद ले जाने को कहा तो नाग ने सोचा कि शादी के बाद तो कन्या •पर पिता का अधिकार रहता ही नहीं अतः किसी अन्य बहाने से लड़की को शादी से पहले ही ले जाना होगा।

एक दिन राजा अपनी पुत्री के साथ तालाब पर नहाने के लिए गया। तालाब के किनारे एक सुन्दर कमल का फूल था। लड़क उसे तोड़ने के लिए आगे बढ़ी तो कमल का फूल भी आगे खिसकता गया। फूल के साथ-साथ लड़की भी आगे बढ़ती गई। गहराई में जब लड़की डूब गई तो नाग ने राजा से कहा कि मैं तुम्हारी लड़की को ले जा रहा हूँ। यह सुन राजा मूर्छित हो गया। होश आने पर पुत्री के वियोग में सिर पीट-पीट कर मर गया।

राजा की मृत्यु का समाचार जब रानी को मिला तथा पुत्री को नाग ले गए यह पता लगा तो उसे इतना गहरा धक्का लगा कि वह भी मर गई । लड़का अकेला रह गया। सम्बन्धियों ने राज-पाट छीन करउसे दर-दर का भिखारी बना दिया।वह घर-घर भीख मांगता और अपनी व्यथा कहता। एक दिन जब वह नाग देवता के घर भीख माँगने लगा तो बहन को उसकी आवाज जानी पहचानी लगी। वह घर से निकली तथा अपने भाई को पहचान लिया। प्रेम से उसे अन्दर बुला लिया। दोनों भाई-बहन प्रेम से वहाँ रहने लगे। इसलिए भी नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। naag panchami shrawan shukla panchami के तहत जानिए पूजा क्यों की जाती है।

नाग पंचमी की पूजा क्यों की जाती है । naag panchami shrawan shukla panchami

नाग को भगवान शिव के गले का आभूषण माना जाता है। इसीलिए सावन के महीने में उनके इस सबसे खास दूत यानी नाग देवता की अलग से पूजा की जाती है। इससे भगवान शिव खुद प्रसन्न होते हैं। कहते हैं सावन में नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है।

सावन के दिन अगर आपने नाग देवता को दूध पिलाया तो समझिए आपके दुश्मन खत्म हो जाएंगे। उनका संहार खुद नाग देवता कर देंगे। इसके अलावा आपको और आपके परिवार में कोई भी इंसान सर्पदंश से नहीं मरेगा। भगवान नागदेवता का आशीर्वाद मिल जाएगा इससे अगर कोई सांप आपके घर में आएगा भी तो चुपचाप चला जाएगा।

इसके अलावा पुत्र रत्न की प्राप्ति, सरकारी नौकरी की मनोकामना लेकर भी आप नाग पंचमी की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए आपको पहले भगवान शिव की पूजा करनी है और फिर नागदेवता की पूजा करनी है। naag panchami shrawan shukla panchami के तहत जानिए पूजा कैसे करें।

नाग पंचमी की पूजा कैसे करें । naag panchami shrawan shukla panchami

  • सुबह जल्दी उठें और फिर स्नान आदि करके सफेद कपड़ा पहन लें।
  • हरा कपड़ा भी आज पहन सकते हैं। एक तो सावन है और नागदेवता को हरा पसंद है।
  • अब आपको मंदिर जाने की तैयारी करनी है। ऐसे मंदिर जाएं जहां भगवान शिव की मूर्ति में नाग देवता भी बने हों।
  • आज भगवान शिव के साथ नागदेवता की विशेष पूजा करनी है।
  • नाग देवता की पूजा के लिए दूध और लावा का भोग बनाते हैं।
  • अब मंदिर में पहले शिव भगवान और फिर नाग देवता की पूजा करें।
  • भगवान शिव पर भांग और धतूर के साथ बेल पत्र चढ़ाएं।
  • शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने के बाद नाग देवता को भी दूध से अभिषेक करें।
  • अब आरती करें और शिव के साथ नाग देवता को भी आरती करें।
  • अब घर आने के बाद आपको अपने घर के बाहर के दीवारों पर नाग देवता को बनाना है।
  • आप चाहें तो गोबर से इसे बनाएं तो अधिक लाभ मिलेगा।
  • गोबर ना मिले तो कोई बात नहीं आप हल्दी से बना दें।
  • अब यहां नाग देवता को दूध पिलाएं।
  • अब लावा और दूध के मिक्चर को जिसे प्रसाद के रूप में बनाया है उसे घर के हर कमरे में छिड़क दें।
  • अपने ऊपर भी छिड़क दें।
  • अब आरती करें।
  • आरती के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करें।

नाग पंचमी का व्रत कैसे करें । naag panchami shrawan shukla panchami

  • नाग पंचमी का व्रत करने के लिए एक दिन पहले से तैयारी करें।
  • सुबह खाली पेट शौच आदि होने के बाद स्नान करें।
  • सुबह की शुरुआत आज चाय से ना करें वरना सब बर्बाद हो जाएगा।
  • आज के दिन की शुरुआत दूध देखकर करें लेकिन पीएं नहीं वरना सबकुछ नष्ट हो जाएगा।
  • दूध देखने के बाद आप नहाने चले जाएं।
  • अब कोशिश करें कि कोई सांप दिख जाए।
  • नहाने के तुरंत बाद अगर कोई सांप देख लें तो अच्छा रहेगा। वीडियो में ही देख लीजिए। इससे नाग देवता का आशीर्वाद मिलेगा।
  • आज आपको कुछ भी नहीं खाना है। हां, फलाहार कर सकते हैं वह भी दोपहर 12 बजे के बाद।
  • दोपहर १२ बजे तक सिर्फ पानी पर रहें।
  • हां पूजन करने के बाद आप चाय और मखाना खा सकते हैं।
  • मंदिर से आने के बाद कई लोग तुरंत प्रसाद ले लेते हैं। ऐसी गलती ना करें अगर व्रत हैं तो।
  • आपको मंदिर से आने के बाद करीब दो घंटे तक भगवान शिव और नाग देवता के ध्यान में बैठना है।
  • लगातार उनका जप करते रहिए।
  • 108 बार माला फेरिए।
  • पूजन करिए। आरती कीजिए।
  • उसके बाद उठिए और फिर चाय पी लीजिए।
  • दोपहर बाद एक फल खा लीजिए।
  • रात के समय सेंधा नमक के साथ अनाज ले सकती हैं।
  • लेकिन अगर सेहत साथ दे रहा है तो रात में भी फल ही खाकर रहिए।

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