लवड़ासुर कौन था, लवड़ासुर के बारे में बताइए, लवड़ासुर जयंती कब है? lawdasur kon hai in hindi twitter trending

lawdasur kon hai in hindi jayanti twitter trending: दोस्तों, लवड़ासुर के बारे में ट्विटर ट्रेंड कर रहा है। लवड़ासुर के बारे में हर कोई जानना चाहता है। आखिर लवड़ासुर कौन है क्यों उसकी जयंती ट्विटर पर ट्रेंड कर रही है। लवड़ासुर (लवणासुर) के बारे में अगर आप भी जानना चाहते हैं तो बिल्कुल सही जगह पर हैं, यहां आपको उसके बारे में सारी जानकारी विस्तार से मिलेगी। तो चलिए शुरू करते हैं।

सबसे पहले तो जान लीजिए कि लवड़ासुर जो गूगल पर इस नाम से सर्च किया जा रहा है उसका सही नाम लवणासुर है। चूंकि अंग्रेजी में दोनों एक ही है इसलिए ज्यादातर लोग हिंदी में गूगल में लवड़ासुर लिख रहे हैं जो कि गलत है। असली नाम लवणासुर है। वैसे तो इसके बारे में काफी समय से चीजें चली आ रही हैं लेकिन चूंकि ट्विटर पर अचानक उसकी जयंती ट्रेंड करने के कारण अब लोग उसके बारे में जानना चाहते हैं।

लवणासुर के बारे में इस आर्टिकल में हम सबकुछ बताने जा रहे हैं। आखिर उसका जन्म कब हुआ था, किस युग में वह इस धरती पर आया था और अचानक उसकी जयंती सामने आई है या पहले भी लोग उसकी जयंती मनाते रहे हैं। यहां आप सभी कुछ जान जाएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

लवणासुर कौन है? #lawdasur kon hai in hindi jayanti twitter trending

दोस्तों, लवणासुर एक दैत्य था। जो कि त्रेतायुग में इस धरती पर आया था। यानी राम के समय यह दैत्य इस धरती पर था। यह दैत्यों के राजा मधुर का पुत्र था। भगवान राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न ने इसे मौत के घाट उतारा था और काफी समय तक इसके राज्य का कार्यभार भी संभाला था।

कहा जाता है कि लवणासुर रावण की तरह ही बहुत ही पराक्रमी और घमंडी दैत्य था। वह महिलाओें की थोड़ी भी इज्जत नहीं करता था और आम लोगों को परेशान करके रखता था। लवणासुर मधुपूरी का दैत्य राजा था। इसे मधुवन ग्राम भी कहते हैं। यह वर्तमान मथुरा से तीन मील दक्षिण पश्चिम में स्थित था।

कहते हैं कि शत्रुघ्न ने लवणासुर की हत्या करने के बाद मधुपुरी के जगह पर ही नई मथुरा बसाई थी जिसके बारे में आजकल हम जानते हैं और जहां अब मथुरा वृंदावन है।

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भगवान शिव से मिला था अमोघ त्रिशुल #lawdasur kon hai in hindi jayanti twitter trending

कहते हैं कि रावण की तरह ही लवणासुर भी भगवान शिव का अनन्य भक्त था। उसने भी भगवान शिव की अराधना कर उन्हें खुश कर दिया था और उनसे उनका अमोघ त्रिशुल ले लिया था। भगवान शिव का आशीर्वाद था कि जब तक वह त्रिशुल लवणासुर के हाथ में रहती तब तक कोई भी उसकी हत्या नहीं कर सकता था।

हालांकि एक कहानी यह भी है कि लवणासुर ने भगवान राम के पूर्वज मांधाता यौवनाश्च् जो कि उस समय के चक्रवर्ती सममग्राट थे उन्हें पराजित कर छल से उनका राज्य छीन लिया था। कहा जाता है कि मांधाता के पास ही शिव का वह अमोघ त्रिशुल था जिसे बाद में लवणासुर ने अपने कब्जे में ले लिया।

शिव का अमोघ त्रिशुल मिलने के बाद लवणासुर और अभिमानी हो गया। उसने और आतंक मचाना शुरू कर दिया। कहते हैं कि अब वह समझ गया था कि उसे कोई नहीं मार सकता इसलिए उसने नरबलि देनी शुरू कर दी और लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिया।

साधुओं को देखते ही वह मार देता था। कहीं भी यज्ञ या अच्छे काम नहीं होने देता था। उसका अत्याचार बढ़ता जा रहा था अब वह देवताओं को भी परेशान करने लगा था और तब जाकर सभी ने भगवान राम से प्रार्थना की और राम ने शत्रुघ्न को भेजा।

शत्रुघ्न ने लवणासुर को कैसे मारा #lawdasur kon hai in hindi jayanti twitter trending

शत्रुघ्न लवणासुर को मारने के लिए जब गए तो रास्ते में वे वाल्मीकि के आश्रम मे रुके। वहां पर उन्हें ऋषि च्यवन भी मिले। कहते हैं कि ऋषि च्यवन ने ही शत्रुघ्न को वह रास्ता बताया जिसके जरिए वे लवणासुर को मार सकते थे। च्यवन ऋषि ने साफ कहा कि देखो शत्रुघ्न मैं मानता हूं कि तुम भी बहुत ही बहादुर योद्धा हो लेकिन जब तक लवणासुर के पास भगवान शिव का अमोघ त्रिशुल है कोई भी उसकी हत्या नहीं कर सकता है।

ऐसे में तुम्हें अगर उसे पराजित करना है तो एक ही रास्ता है। वह बिल्कुल सुबह स्नान के बाद अपने कुल देवी के मंदिर में जाता है और उस समय उसके पास कोई भी अस्त्र नहीं होता है। यहां तक कि वह इस त्रिशुल को भी नहीं ले जाता है। चूंकि कुल देवी उसके महल के पास ही हैं तो उसे इसे लेकर डर ही नहीं होता कि कोई उसके महल के पास उसे मार पाएगा।

ऐसे में अगर लवणासुर को मारना है तो तुम्हें रात में ही किले के आसपास अपनी पूरी फौज भेजनी होगी। किले को चारों तरफ से रात में ही घेरो और सुबह उसके किले से निकलने के साथ ही उसे युद्ध के लिए ललकार दो। देखो वह बहादुर योद्धा है इसलिए जब तुम ललकारोगे तो फिर वह वापस नहीं जाएगा। उसके पास इतना वक्त भी नहीं होगा कि वह त्रिशुल लेने जा सके।

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ऐसे में उसके पास जो भी अस्त्र होगा उससे वह युद्ध शुरू कर देगा। और तुम्हारी सेना को बस उस दौरान यह करना है कि लवणासुर की सेना को मेन गेट पर ही रोक के रखना है। लवणासुर असुर है वह कुछ भी गलत कदम उठा सकता है। ऐसे मे उसे महल में घुसने नहीं देना है। बाकी सब तुम पर निर्भर करेगा कि तुम अंतिम समय में कैसे उससे लोेहा लेते हो।

ऋषि से आशीर्वाद लेकर और यह ट्रिक समझकर शत्रुघ्न रात में ही अपनी सेना को लवणासुर के महल की तरफ नदी के रास्ते रवाना कर दिए। उनकी सेना ने महल को चारों तरफ से घेर लिया और जैसा कि ऋषि ने बताया था बिल्कुल सुबह लवणासुर जैसे ही बाहर आया शत्रुघ्न ने उसे ललकारना शुरू कर दिया।

शत्रुघ्न की ललकार सुनकर लवणासुर क्रोधित हुआ। हालांकि वह चाहता था कि वह जाकर त्रिशुल लेते आए लेकिन शत्रुघ्न ने कोई मौका नहीं दिया और लवणासुर को लगातार क्रोधित करते रहे। नतीजा यह हुआ कि युद्ध शुरू हो गया और लवणासुर मारा गया। एक ऐसे आतंकी का अंत हो गया था जिसने अपनी तबाही से धरती और आसमान को हिला रखा था। उससे पहले रावण मारा जा चुका था लेकिन इसका आतंंक अभी कायम था।

लवणासुर की कहानी क्या है #lawdasur kon hai in hindi jayanti twitter trending

दोस्तों, एक और कहानी आती है। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के पास एक सरोवर है जिसका नाम है लोणार। कहते हैं कि पहले इस सरोवर का नाम लवणासुर सरोवर था बाद में नाम बिगड़ते गया और लोणार पड़ गया। कहा जाता है कि इसी सरोवर के पास ही शत्रुघ्न ने लवणासुर को मार गिराया था जब वह अपने महल से बाहर आया था।

अब यह एक नई कहानी है। कहां मथुरा में यह बताया जाता है कि मधुपुरी में शत्रुघ्न ने लवड़ासुर को मारा और कहां अब यह कहानी भी आ रही है कि महाराष्ट्र में मारा था। दरअसल, यह जगह है महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोणार सरोवर।

इसी सरोवर के बारे में यह प्रचलित है कि लवणासुर इसी सरोवर में हमेशा स्नान करता था और इसी सरोवर के पानी से बाकी सारा काम होता था। महल के लोग भी इस सरोवर के आसपास बैठते थे. महल से निकलने ही यह दाईं ओर सरोवर था। यहीं पर शत्रुघ्न ने ललकार कर लवणासुर की हत्या की थी।

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