आज एक अप्रैल है यानी मूर्ख दिवस। अप्रैल फूल डे (April Fool Day) भी इसे बोलते हैं। 90 के दशक में जन्मे बच्चे जानते हो कि आज के दिन कितना मजा आता था। हम लोग अपने दोस्तों को या सड़क चल रहे लोगों को आज के दिन मूर्ख बनाकर बेहद ही खुश हो जाते थे। लेकिन मूर्ख हम लोग ऐसे बनाते थे कि सामने वाला भी हंस पड़ता था। उसे भी मूर्ख बनकर मजा आता था। ऐसे में चलिए आपको भी उन यादों में लौटा ले चलते हैं और बताते हैं कि कैसे आप भी अपने दोस्तों को या करीबियों को मूर्ख बना सकते हैं, वह भी उनके चेहरे पर स्माइल लाकर। साथ ही यह भी जानिए कि आखिर इस दिन के पीछे की क्या कहानी।

murkh diwas kyo manate hain। मूर्ख दिवस क्यों मनाते हैं

यह सवाल अक्सर लोग पूछते हैं तो इसका सीधा उत्तर तो नहीं है। बस इतना जान लीजिए कि यह एक हंसी मजाक वाला दिन होता है। जब कोई इंसान कुछ गलती कर देता है तो कई बार उसकी गलती ऐसी होती है कि खुद उसे अपने ऊपर हंसी आ जाती है। यह मूर्ख दिवस उसी तरह के लोगों का दिन है। यही वजह है कि हम लोग भी आज के दिन हंसी मजाक में ही लोगों को मूर्ख बनाते हैं और इसका कोई गलत प्रभाव समाज पर नहीं पड़ता है।

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murkh diwas ki kya kahani hai? मूर्ख दिवस के पीछे क्या कहानी है

दोस्तों, मूर्ख दिवस के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि सबसे पहले 1381 में ही एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया गया था। अब आप समझ सकते हैं कि मूूर्ख बनाने का सिलसिला कब से चल रहा है। पहली कहानी ये है कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी शादी के बंधन में बंधने वाले होते हैं। इन दोनों की तरफ से ऐलान होता है कि ये 32 मार्च 1381 को शादी करेंगे। राजा शादी करेंगे इसकी जानकारी मिलते ही प्रजा खुशियां मनाने लगती है। हालांकि बाद में जब लोगों को पता चला कि अरे मार्च में 32 तारीख तो होती ही नहीं है। तब उन्हें असलियत का पता चला कि राजा ने लोगों को मूर्ख बनाने के लिए यह झूठी सूचना फैलाई थी। लोग भी हंस पड़े कि अरे पहले हमारा ध्यान इस पर क्यों नहीं गया कि किसी महीने ममें 32 तारीख कहां होती है। इसके बाद से ही यह परंपरा चल पड़ी।

दूसरी कहानी फ्रांस से जुड़ी है, पढ़िए

दूसरी कहानी के मुताबिक फ्रांस में 1582 में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर को हटा दिया था और नया कैलेंडर शुरू किया था। लेकिन कुछ लोग पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही नया साल मना रहे थे। इन लोगों को अप्रैल फूल्स कहकर कुछ लोग चिढ़ाने लगे। यह शब्द इतना पॉपुलर हो गया कि कहा जाता है कि पूरे फ्रांस में एक अप्रैल को मूर्ख बनाने की परंपरा चल पड़ी।

दोस्तों को कैसे बनाएं अप्रैल फूल। doston ko apail fool kaise banaye। dosto ko murkh kaise banaye

ये सवाल बहुत सही है क्योंकि दोस्तों के साथ ही तो जिंदगी पूरी होती है। एक अप्रैल हंसी मजाक का दिन है तो आज भी दोस्तों को नहीं सताए तो फिर क्या फायदा। तो सबसे पहली बात यह कि मजाक या मूर्ख ऐसे ही बनाएं जिससे किसी का नुकसान ना हो। कुछ लोग मूर्ख बनाने के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे बाद में पछताना पड़ता है। ऐसा ना करें। हल्का फुल्का मजाक करें। कुछ शायरी भेज सकते हैं। या फिर कहीं ऐसी जगह बुला सकते हैं जहां उसके लिए कोई सरप्राइज रख हों। उसके मोबाइल पर कुछ ऐसा मैसेज भेज दें कि वह करोड़पति बन रहा है या कुछ और भी जिससे उसे खुशी भी हो और मूर्ख भी बन जाए। उसे कोई ऐसा गिफ्ट दें जिसमें अंदर कुछ भी ना हो लेकिन बाहर से देखते ही वह रख ले। ऑफिस में दोस्त काम करता है तो उसकी सीट के नीचे कुछ आवाज निकलने वाला खिलौना रखकर मजे ले सकते हैं।

गांव में लोगों को 90 के दशक में कैसे बनाते थे मूर्ख

जो लोग गांव में रहे हैं या रह रहे हैं और 90 के दशक में उन लोगों ने इन दिनों को जिया है तो जरूर याद आएंगी ये कहानियां। तब हम लोग साइकिल से कोई जाता था तो कह देते थे अरे भईया आपके साइकिल का पहिया निकल गया है। वह बेचारा देखने भी लगता था। जबकि उसे यह नहीं समझ आता था कि अगर पहिया निकल जाएगा तो वह चल कहां पाएगा तुरंत गिर जाए। फिर उसे खुद पर हंसी आ जाती थी सोचकर कि मैं मूर्ख बन गया। इसी तरह से कोई जा रहा है तो हम लोग कहते थे वो देखिए पीछे आपका पर्स गिर गया है। या कोई सामान गिर गया है। इंसान पीछे देखता था और फिर उसे याद आता था अरे आज तो एक अप्रैल है। गोबर का चॉकलेट बनाकर भी लोग भेज देते थे हालांकि दोस्त के खाने से पहले ही उसे बता देते थे कि यार आज एक अप्रैल है और वह हंस देता था।

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