October 5, 2024

Holi का त्योहार अपने देश में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। होली को लेकर देश के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह के रीति रिवाज भी हैं। कहीं फूलों की होली होती है तो कहीं अबीर-गुलाल की। कहीं कीचड़ वाली होली तो कहीं कपड़ा फाड़ होली फेमस है। उसी में से एक ऐसी भी जगह है, जहां पर होली पर दिल दहला देने वाली घटना होती है। इसे पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

होलिका की आग पर नंगे पांव चलते हैं लोग


भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में एक ऐसी जगह है जहां पर होलिका की अग्नि पर लोग नंगे पैर चलते हैं। यह जगह है मथुरा का छाता तहसील। यहां के फालेन गांव में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। आस्था का प्रतीक इसे माना जाता है और हर कोई बड़े सच्चे मन से इसे करते हैं।

ऐसे करते हैं सभी लोग मिलकर

यहां होलिका दहन के समय गांव के लोग एक जगह पर जुट जाते हैं। इसके बाद बड़ी -बड़ी लपटों को बीच से एक-एक करके लोग पार करते हैं। कहा जाता है कि किसी को कुछ नहीं होता और सभी सुरक्षित निकल जाते हैं। फालेन गांव की होली का यह नजारा देैखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

बसंत पंचमी से ही त्याग देते हैं अन्न

इस गांव के पंडा लोग एक और परंपरा इसके लिए निभाते हैं। वे बसंत पंचमी से ही अन्न त्याग देते हैं। इतना ही नहीं वे जमीन पर सोते हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से ही पंडा लोग अन्न छोड़ देते हैं। वे सिर्फ एक समय फलाहार करते हैं और होलिका के दिन का इंतजार करते हैं।

गांव वाले ही चुनते हैं पंडा

यह पंडा कौन होगा इसका चुनाव इस गांव के लोग ही करते हैं। इसके बाद सबकुछ पंडा तय करते हैं। होलिका दहन का समय भी पंडा ही तय करेंगे। होलिका दहन का मुहूर्त बनते ही पंडा पास के प्रह्लाद कुंड में स्नान करने निकल जाते हैं। जब तक पंडा स्नान करके लौटते हैं तब तक गांव के लोग होलिका दहन की तैयारी पूरी कर लेते हैं।

धधकती आग पर चल पड़ते हैं पंडा

इसके बाद स्नान कुंड से निलकर पंडा सीधे होलिका की धधकती आग में प्रवेश कर जाते हैं। वे मुस्कुरता हुएअ चलते हैं पूरे गांव के लोग उनका हौसला बढ़ाते हैं और फिर वे इसे पार कर जाते हैं। लपटों को चीरकर जब पंडा निकलते हैं तो हर कोई उन्हें प्रणाम करता है और आशीर्वाद लेता है।

कहते हैं लोग ये चमत्कार है

इसे चमत्कार माना जाता है। गांव के लोग भी और दुनिया भर के लोग जो इसे देखते हैं वे यही कहते हैं कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आग की लपटों से कुशल निकलकर आना आसान बात नहीं है।

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