देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह (Bhagat Singh) को 23 साल की उम्र में 23 मार्च को ही फांसी दी गई थी। यह साल 1931 का था। भगत सिंह के साथ सुखदेव और राजगुरु को भी फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। कहा जाता है कि महात्मा गांधी को इस बात की जानकारी थी कि तीनों को फांसी दी जानी है लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। लेकिन सच्चाई यह भी है कि भगत सिंह की फांसी टालने के लिए महात्मा गांधी ने प्रयास किए थे। वे फांसी के खिलाफ थे। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।

भगत सिंह की फांसी से पहले महात्मा गांधी ने किया था यह समझौता

भगत सिंह की फांसी 23 मार्च को हुई थी। उससे 18 दिन पहले ही अंग्रेजों के साथ महात्मा गांधी ने एक समझौता किया था। यही समझौता इतिहास में गांधी-इर्विन पैक्ट (gandhi irwin pact) के रूप में भी मशहूर है। लेकिन कहा जाता है कि इस समझौते के दौरान यह जानते हुए भी कि भगत सिंह को फांसी होने वाली है, गांधी जी ने इर्विन पर दबाव नहीं डाला कि वे फांसी की सजा को रद्द करवाएं। इस समझौते के बारे में विस्तार से यहां जानें- https://en.wikipedia.org/wiki/Gandhi%E2%80%93Irwin_Pact

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भगत सिंह की फांसी रोकने के लिए गांधी ने यह किया

कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने भगत सिंह की फांसी रोकने के लिए अंग्रेजों पर सीधे दबाव तो नहीं बनाया लेकिन इर्विन को एक खत जरूर लिखा था। कुछ किताबों में यह जिक्र आता है कि महात्मा गांधी ने भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए कभी पूरे मन से प्रयास नहीं किया। लेकिन लार्ड इर्विन को लिखा खत इस तरफ इशारा जरूर करता है कि गांधी जी भगत सिंह की फांसी के खिलाफ थे। वे नहीं चाहते थे कि फांसी हो।

खत में भगत सिंह के लिए क्या लिखा था महात्मा गांधी ने

महात्मा गांधी ने अपने खत में लिखा था कि भगत सिंह को फांसी की सजा न दी जाए। उन्होंने कहा था कि यह सजा कम कर दी जाए। इस खत में गांधी ने यह डर जताया था कि अगर भगत सिंह को फांसी दी गई तो फिर देश में अशांति फैल सकती है और हिंसा हो सकता है। गांधी जी हिंसा के खिलाफ थे इसलिए वे बार-बार इस बात का उल्लेख कर रहे थे कि भगत सिंह की फांसी की सजा कम कर दी जाए।



तो क्या भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे महात्मा गांधी

लेखक एजी नुरानी अपनी किताब में Trials of Bhagat Singh- Politics of Justice में इस बात का जिक्र जरूर करते हैं कि जिस तरह से अंग्रेजों पर दबाव बनाना चाहिए था उस तरह से महात्मा गांधी दबाव नहीं बना सके। अगर वे चाहते तो दबाव बनाकर वायसराय को फांसी की सजा टालने के लिए राजी कर लेते लेकिन वे सीधे तौर पर फांसी की सजा पर जिक्र करने से बचते रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि इरविन ने यह संकेत दिया था कि अगर गांधी जी दबाव बनाते तो शायद यह फांसी टल भी सकती थी।

तो क्या भगत सिंह की फांसी के लिए गांधी दोषी थे?

ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि भगत सिंह की फांसी के लिए महात्मा गांधी दोषी थे। जो भी यह कहता है उसे इतिहास का बोध नहीं है। वे या तो नहीं जानते कि अंग्रेज अगर एक बार फैसला कर लिए थे तो फिर यह करते ही, हां यह जरूर था कि गांधी जी दबाव बना सकते थे। दूसरी बात यह कि उस समय तत्कालीन वायसराय ने एक अध्यादेश पारित कर तीन जजों का एक ट्रिब्यूनल बनाया था और तीनों जजों ने एक साथ सहमति से फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी। उस नियम के मुताबिक इस फैसले को आगे चुनौती भी नहीं दी जा सकती थी। privy council इंग्लैंड में अपील करने पर ही छूट मिल सकती थी। लेकिन यह असंभव था। इसका मतलब साफ था कि अंग्रेजों ने दिखावटी यह सब भ्रम फैलाया लेकिन वास्तव में वे फांसी के लिए पूरी तरह से मन बना चुके थे।

भगत सिंह का जन्म कहां हुआ था? bhagat singh kaha janme the

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब में लायपुर जिले के बंगा में हुआ था। आज यह जगह पाकिस्तान में है।

भगत सिंह का दूसरा नाम क्या है? bhagat singh ka dusra nam

भगत सिंह का दूसरा नाम भागां वाला बताया जाता है। इसका मतलब हुआ अच्छे भाग्य वाला। यह नाम उनकी दादी ने रखा था। कहा जाता है कि इसी दिन भगत सिंह के पिता और चाचा को जेल से रिहा किया गया था जिस दिन भगत सिंह का जन्म हुआ था। इसलिए दादी ने खुशी-खुशी यह नाम दे दिया था।

भगत सिंह की जाति क्या है? bhagat singh cast

भगत सिंह की जाति को लेकर भी लोग खूब सर्च करते हैं। कई जगह उल्लेख मिलता है कि वे जाट सिख परिवार में जन्म लिए थे। लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि किसी भी व्यक्ति की जाति मत देखिए। यह देखिए वह इंसान महान कितना था या है। अपनी सोच बदलिए।

भगत सिंह को आतंकवादी क्यों कहा गया?

यह अंग्रेजों की चाल थी। अंग्रेज हर भारतीय वीर क्रांतिकारी को बदनाम करने की कोशिश करते थे। इसलिए वे चाहते थे कि वीर भगत सिंह को आतंकवादी कहा जाए। इसके लिए प्रोपेगेंडा चलाया लेकिन वे कामयाब नहीं हुए और आज देश में भगत सिंह के प्रति जो सच्ची श्रद्धा है वह उनसे देखी नहीं जाती।

भगत सिंह का मुख्य नारा क्या था? bhagat singh ka nara

भगत सिंह का मुख्य नारा इंकलाब जिंदाबाद ही था। इसे वे अक्सर बोलते रहते थे। इसके अलावा भी कई नारे थे जो भगत सिंह के लबों पर ही रहते थे। मुझे मार सकते हैं…मेरे विचारों को नहीं…भगत सिंह के इस नारे पर आज भी युवा नतमस्तक हो जाते हैं।

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