बिहार दिवस (Bihar Diwas) हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है। ऐसे में आपके मन में यह जरूर सवाल आता होगा कि आखिर यह दिवस क्यों मनाया जाता है। आखिर इसका महत्व क्या है। अगर राज्य का एक विशेष दिन है तो फिर इसके प्रतीक चिन्ह भी होंगे। तो राज्य का अपना राजकीय पशु-पक्षी कौन है। इन सारे सवालों का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगा। तो चलिए बिना देरी किए आज आपको सारी जानकारी देते हैं।

bihar diwas kyo manate hai? बिहार दिवस क्यों मनाते हैं

bihar diwas बिहार के लोगों के लिए सबसे खास दिन होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह दिन है जिस दिन आपको अपने राज्य पर गर्व करने का मौका मिलता है। वैसे तो बिहारी लोग दुनियाभर में छाए हुए हैं और अपने राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं। जहां तक बात बिहार दिवस के पीछे के वजह कि है तो 22 मार्च 1912 को अंग्रेजों ने इस राज्य को अलग पहचान दी थी। तब अंग्रेजों का देश पर शासन था और उन्होंने बंगाल से अलग करके यह नया राज्य बनाया। चूंकि 22 मार्च को ही यह राज्य बना तो तब से इस दिन को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

2010 से बिहार दिवस की धूम बढ़ गई है

यूं तो bihar diwas दिवस 1912 के बाद से ही किसी ना किसी रूप में मनाया और इसे याद किया जाता है। लेकिन बड़े स्तर पर 2010 में सीएम नीतीश कुमार ने इसे मनाने का फैसला लिया। राज्य के लोगों में उनके राज्य प्रति प्रेम और मजबूत करने के लिए नीतीश कुमार ने बिहार दिवस को लेकर कई तरह के कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जोड़ने का प्रयास किया। यही वजह है कि अब तीन दिन तक कार्यक्रम चलता है और देश-विदेश में रह रहे बिहारी लोग इस मौके पर अपने राज्य के इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचते हैं।

बिहार का राजकीय चिह्न

बिहार के राजकीय चिह्न की बात करें तो बोधि वृक्ष को यह मान्यता दी गई है। कहा जाता है कि इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। चूंकि बिहार को ज्ञान की धरती भी कहते हैं और यह वृक्ष बिहार गया में स्थित है। ऐसे में इसे ही राजकीय चिह्न माना गया।

बिहार का राजकीय पशु

अगर बिहार के राजकीय पशु की बात करें तो बैल को यहां राजकीय पशु माना गया है। बिहार में खेती सबसे लोकप्रिय रही है। चूंकि गांव के लोग बैलों के जरिए खेती करते थे। ऐसे में बैलों को सम्मान देते हुए उन्हें इस प्रदेश का राजकीय पशु घोषित किया गया।

बिहार का राजकीय पक्षी

बिहार सरकार ने गौरैया पक्षी को अपना राजकीय पक्षी घोषित किया है। माना जाता है कि गौैरैया पक्षियों की कमी हो रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने 2013 में इसकी रक्षा के लिए इसे राजकीय पक्षी घोषित कर उन्हें संरक्षण प्रदान करने का भी काम किया है।

बिहार का राजकीय खेल क्या है

बिहार का राजकीय खेल कबड्डी है। बिहार गांवों में बसता है। गांव के लोग कबड्डी को कितना प्यार करते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। कबड्डी ही है जो गांव के लोगों को जोड़कर रखता है। यही वजह है कि इसे ही अपना राजकीय खेल मान लिया गया है।

राजकीय वृक्ष बिहार में कौन है

बिहार मे राजकीय वृक्ष के रूप में पीपल को दर्जा दिया गया है। हर कोई जानता है कि पीपल का कितना महत्व है। हर राहगीर के लिए पीपल की छाया खासकर गर्मी में किसी संजीवनी से कम नहीं है। पीपल को देवता के रूप में भी मान्यता है।

बिहार का राजकीय फूल


बिहार में गेंदे को राजकीय फूल का दर्जा प्राप्त है। गेंदा यहां हर घर में आपको मिल जाएगा। वैसे भी गेंदे के फूल को भगवान गणपति का फूल भी माना जाता है। गेंदा का फूल देखने में भी आंखों को मनोरम सुकून देता है। ऐसे में इसे राजकीय फूल मानकर इसे संरक्षण देना भी एक बड़ा कदम है।

बिहार दिवस का क्या है महत्व। Bihar diwas ka mahatva

बिहार दिवस के महत्व के बारे में बात करें तो कई सारे महत्व साफ दिखाई देते हैं। सबसे पहले तो आप अपने राज्य से एक इस दिन के बहाने पूरी तरह से जुड़ जाते हैं। दूसरा यह कि आप चाहें जहां भी रहें आपकी पहचान आपके मूल राज्य से है, यह दिवस इसकी याद दिलाता रहता है। तीसरा यह कि इस तरह के कार्यक्रम देश-दुनिया में आपके राज्य की एक विशिष्ट पहचान कायम करते हैं। चौथा महत्व यह है कि आपके राज्य की जो पहचान और विशेषता है, उससे दुनिया रूबरू होती है। पांचवा महत्व यह है कि जब इस तरह के मौकों पर देेश दुनिया के लोग आते हैं तो आर्थिक रूप से भी प्रदेश मजबूत होता है। वहां तमाम तरह के विकास के नए मौके खुलते हैं।

बिहार का मुख्य त्योहार कौन है? bihar ka main tyohar

बिहार का मुख्य त्योहार छठ है। यह यहां महापर्व के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर में छठ की पहचान बिहारियों के कारण ही हुई है। बिहार के लोगों ने छठ को दुनिया तक सही रूप से ना सिर्फ पहुंचाया बल्कि हर लोग को इस त्योहार को अपनाने के लिए प्रेरित भी किया। आज दुनिया के कई देशों में यह पर्व धूमधाम से मनता है।

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