सुरक्षित शारीरिक संबंध के लिए लोग कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। गर्भधारण से बचा जा सकता है और आनंद तो भरपूर आता ही है। शादी के बाद तो कंडोम का इस्तेमाल अनिवार्य तौर पर लोग कर ही रहे हैं।

बच्चों की प्लानिंग से पहले कंडोम को ही लोग सुरक्षित मानते है। यही वजह है कि मार्केट में अब मेल कंडोम के साथ-साथ फीमेल कंडोम की भी डिमांड काफी बढ़ गई है।

कुछ लोग मेल और फीमेल कंडोम में अंतर नहीं समझ पाते हैं। ऐसे में आपके लिए यह आर्टिकल बेहद उपयोगी है। इसे पूरा पढ़ें।

महिला और पुरुषों के कंडोम में अगर सबसे बड़े अंतर की बात करें तो पुरुषों के कंडोम लेटेक्स, पॉलीयुरेथेन, पॉलीआईसोप्रेन से बना होता है। ऐसे में इस कंडोम को तब पहना जाता है जब पेनिस में इरेक्शन हो।

अगर पेनिस में उत्तेजना नहीं है और लिंग लंबा नहीं हुआ है तो फिर यह कंडोम काम नहीं करेगा।

वहीं महिला कंडोम की बात करें तो वह पॉलीयुरेथेन या नाइट्राइल से बना होता है। यह महिला के योनि में एकदम फिट बैठता है और अनचाही प्रेग्नेंसी को रोक देता है।


बनावट में अंतर
पुरुष कंडोम जहां एक गुब्बारे की तरह होता है, वहीं महिला कंडोम एक पाउच की तरह होता है। इसमें दो सिरे होते हैं। पाउच का एक सिरा बंद होता है और दूसरा खुला होता है। इसमें दो छल्ले भी होते हैं जिसके जरिए योनि में यह कंडोम आसनी से फिट किया जाता है।

इस बात का रखें ध्यान
योनि के भीतर अंदरूनी छल्ले को फिट करना ना भूलें। अंदरूनी छल्ला योनि के भीतर के लिए ही होता है ताकि वह स्पर्म को अंदर न जाने दे। इसे आप आसानी से अपने योनि में लगा सकते हैं।

पुरुषों के कंडोम में होता है यह खतरा
पुरुषों का कंडोम भी महिला के योनि के लिए सुरक्षित है। वहीं लिंग को भी पूरी तरह ढक के रखता है। लेकिन लेटेक्स से बने होने के कारण इसमें एलर्जी का खतरा हमेशा बना रहता है।

इस्तेमाल में कौन बेहतर
पुरुष कंडोम तभी लगा सकता है जबकि उसका लिंग लंबा हो जाए और उसमें तनाव आए जबकि महिलाएं सेक्स से 7-8 घंटा पहले भी अपने योनि में कंडोम लगा सकती हैं। हालांकि पुरुषों का कंडोम इस्तेमाल करने में आसान होता है जबकि महिलाओं का कंडोम इस्तेमाल में थोड़ा कठिन होता है।


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