राजकीय शोक में क्या क्या बंद होता है? राजकीय अवकाश में क्या होता है? rajkiya shok kya hota hai

rajkiya shok kya hota hai: दोस्तों, आज एक बार फिर आपके लिए एक जरूरी जानाकारी लेकर आए हैं, राजकीय शोक क्या होता है? कई लोग जानना चाहते हैं कि राजकीय शोक में क्या क्या बंद होता है? राजकीय अवकाश में क्या होता है? क्या राजकीय और राष्ट्रीय अवकाश एक ही है? अगर नहीं तो दोनों में क्या अंतर है? इन सारे सवालों के जवाब आज आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं. इसे अंत तक पढ़िएगा और कमेंट में जरूर बताइगा कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा।

दोस्तों, अक्सर आपने सुना होगा कि अमुक बड़े नेता का देहांत हो गया और सरकार ने राजकीय शोक घोषित कर दिया। जैसे हाल ही में सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यूपी में योगी सरकार ने राजकीय शोक घोषित किया था। तो फिर इस शोक में क्या क्या होता है। यही इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।

राजकीय शोक क्या होता है | rajkiya shok kya hota hai

राजकीय शोक का सरल अर्थ है राज्य में शोक. राज्य में शोक की घोषणा होने पर उसे राजकीय शोक कहते हैं। वहीं जब देश में शोक की घोषणा की जाती है तो उसे राष्ट्रीय शोक कहते हैं।

ऐसी घोषणा तब की जाती है जब कोई बड़ी हस्ती जैसे बड़े नेता, कलाकार या ऐसे शख्स की मौत होती है जिसने देश के सम्मान के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर किया हो तो उस स्थिति को राजकीय शोक घोषित करते हैं। इस दिन पूरे प्रदेश में मातम का माहौल होता है। क्योंकि प्रदेश का सबसे बड़ा नेता मरा होता है और हर किसी के दिल में उसके लिए सम्मान होता है। या फिर प्रदेश की कोई और बड़ी हस्ती मर जाती है तो फिर उसके शोक में प्रदेश के सभी लोग डूबे होते हैं।

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राजकीय शोक की घोषणा कौन करता है | rajkiya shok kya hota hai

राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार पहले केवल केंद्र सरकार के पास था और यह घोषणा राष्ट्रपति की सलाह पर की जाती थी लेकिन अब नियम बदल चुके हैं और अब राज्य सरकार खुद राजकीय शोक को निर्धारित करती है और राजकीय सम्मान देने का काम करती है।

यही वजह है कि अब राज्य सरकारें किसी भी बड़े इंसान के निधन पर खुद ही तुरंत राजकीय शोक का ऐलान कर देती हैं। हाल ही में योगी सरकार ने मुलायम के मरने पर ऐसा किया था। इसके अलावा भी तमाम मौके आते हैं जब प्रदेश सरकारें अपने स्तर पर अब किसी भी हस्ती के मरने पर तुरंत राजकीय शोक की घोषणा करती हैं और पूरा प्रदेश मातम में डूब जाता है।

राजकीय शोक की अवधि | rajkiya shok kya hota hai

राजकीय शोक का ऐलान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। राज्य सरकार अपनी सुविधा के आधार पर राजकीय शोक का ऐलान करती है। यह अवधि कितने भी समय की हो सकती है जैसे 1 से लेकर 7 दिन या उससे अधिक। भारत रत्न अटल बिहारी बाजपाई जी के स्वर्गवास के बाद 7 दिन राजकीय शोक का ऐलान किया गया था।

बड़ी हस्तियों के लिए हमेशा ही दिन अधिक होते हैं। अब सोचिए अटल जी जैसी शख्सियत मरे तो फिर तो भाई शोक कम से कम एक हफ्ते तक चलेगा ही। इतना बड़ा नेता मरेगा तो पूरी इंसानियत शोक में डूब जाती है। साथ ही यह भी निर्भर करता है कि प्रदेश में सरकार किसकी है।

जैसे अगर यही कांग्रेस की सरकार होती हो हो सकता है कि वे अटल जी के मरने पर सिर्फ तीन दिन ही राजकीय शोक घोषित करते वहीं कांग्रेस का कोई दिग्गज नेता मर जाए तो वे एक सप्ताह का कर दें। सरकारों पर निर्भर होता है ये। अब चूंकि अटल जी बीजेपी के ही नेता थे और केंद्र राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार थी इसलिए राजकीय शोक 7 दिन का हो गया।

राजकीय शोक के दौरान क्या क्या होता है | rajkiya shok kya hota hai

  • केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है।
  • जब देश में राजकीय शोक का ऐलान किया जाता है तो उस अवधि तक राज्य की विधानसभा, सचिवालयों और महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है।
  • शोक की घोषणा के बाद राज्य में कोई भी सरकारी कार्यक्रम या किसी समारोह का आयोजन नहीं किया जाता।

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