यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस के खिलाफ कई देश लामबंद हुए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक प्रस्ताव लाकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश हुई। पर, यह क्या रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इसे रोक दिया है।

इसके बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर यह वीटो पावर क्या है? कौन इसे कब इस्तेमाल कर सकता है। तो चलिए आज इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

दरअसल, रूस ने उस प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है जिसमें उससे सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की गई। हालांकि ये पहले से तय था कि ऐसा ही होगा क्योंकि रूस के पास वीटो पावर है।

अमेरिका और उसके समर्थक जानते थे कि यह प्रस्ताव विफल हो जाएगा, लेकिन उन्होंने दलील दी कि इससे रूस अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग-थलग पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में एक मत (रूस का) पड़ा। चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात मतदान से दूर रहे।

इस प्रस्ताव के विफल होने से समर्थकों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसे ही प्रस्ताव पर शीघ्र मतदान कराने की मांग का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 193 सदस्यीय महासभा में वीटो का प्रावधान नहीं है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कब मतदान होगा।

क्या है UNSC?
UNSC को पूरी दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा बनाए रखने का काम सौंपा गया है। UNSC में 15 सदस्य होते हैं और प्रत्येक सदस्य को एक मत का प्रयोग करने का अधिकार होता है। सुरक्षा परिषद का निर्णय बाध्यकारी है और इसका पालन प्रत्येक सदस्य देश द्वारा किया जाना चाहिए।


कब होता है इस्तेमाल
जब भी विश्व की शांति को खतरा होता है, UNSC यह निर्धारित करने के लिए पहल करता है कि सबके साथ मिलकर इसे रोका जाए। कभी-कभी UNSC प्रतिबंध लगाता है और यहां तक कि शांति बनाए रखने के लिए जब भी आवश्यक हो बल प्रयोग को भी मंजूरी देने का काम करता है।

UNSC में क्या है वीटो पावर?
पांच राष्ट्रों – संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक यानी USSR (जिसका अधिकार 1990 में रूस को मिला) ने संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यही कारण है कि इन देशों को संयुक्त राष्ट्र में कुछ विशेष विशेषाधिकार मिले हुए हैं। ये पांच देश UNSC में स्थायी सदस्य देश हैं, और इनके पास एक विशेष मतदान शक्ति भी है जिसे ‘वीटो के अधिकार’ या वीटो पावर के रूप में जाना जाता है।

इस कारण रूस पड़ गया भारी
यदि उनमें से किसी एक ने भी यूएनएससी में नेगेटिव वोट डाला, तो प्रस्ताव या निर्णय को मंजूरी नहीं दी जाएगी। सीधे शब्दों में कहें तो अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस में किसी ने भी UNSC के किसी प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डाला तो वो प्रस्ताव पास नहीं होगा। ऐसे में रूस ने इस बार फायदा उठाकर विपक्ष में मतदान कर दिया। बता दिया जाए कि अन्य देश भी पहले विपक्ष में मतदान कर चुके हैं।

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