यूक्रेन पर रूस कहर बरपा रहा है। इस युद्ध में हजारों की संख्या में जानें जा रही हैं। यूक्रेन के कई शहर अब खाक होने के कगार पर हैं। इस बीच रूस पर वैक्यूम बम इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है। इसे थर्मोबेरिक वेपन भी कहते हैं।

आजकल इस शब्द की चर्चा खूब हो रही है। रूस के हमले के बाद ये बम ज्यादा चर्चा में आ रहा है। ऐसे में आप भी सोच रह होंगे आखिर यह कितना खतरनाक होता है। क्या यह परमाणु बम से अधिक खतरनाक है। तो चलिए आज इस पर विस्तार से बात करते हैं।

फ्यूल कंटेनर वाला है यह बम
वैक्यूम बम को एयरोसोल बम भी कहते हैं। इसे फ़्यूल एयर विस्फोटक के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बम में एक फ़्यूल कंटेनर होता है जिसमें दो अलग विस्फोटक चार्ज होते हैं। अब आप समझ सकते हैं कि यह कितना खतरनाक होता होगा।


रॉकेट से इसे छोड़ते हैं
यह बम इतना खतरनाक होता है कि इसे रॉकेट से छोड़ते हैं। अगर कोई विमान बहुत अधिक खतरनाक है तो उससे भी इसे छोड़ सकते हैं।


ऐसे करता है यह बम काम

इस बम को जहां भी निशाना लगाते हैं वहां पर यह दो तरह से विस्फोट करता है। पहले तो
धमाका के साथ ही फ़्यूल कंटेनर खुलकर आसपास के क्षेत्र में फ्यूल को फैला देगा और बादल का रूप दे देगा। इसके बाद जब दूसरा विस्फोट होगा तो इसमें आग पकड़ लेगा और यह आसपास की सारी चीजों को बर्बाद करके रख देगा।


ऑक्सीजन ही सोख लेता है
सोचिए यह बम कितना खतरनाक होगा जो आसपास का पूरा ऑक्सीजन ही सोख लेता होगा। इससे कितना भी मजबूत इमारत हो वह टूट जाएगी और इंसान चुटकियों की में राख बन जाएंगे।

गुफा में रहने वाले भी मारे जाते हैं
इस बम से हवा में रहेंगे या फिर गुफा में कहीं भी आप बच नहीं पाएंगे। यह हर जगह तबाही ला देगा। सुरंगों मे आपको बचने नहीं देगा और मौत की नींद सुला देगा।

इन बमों को इस्तेमाल करने का नियम
अगर सही रूप से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई कानून नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि अगर कोई देश किसी देश के रिहाइशी इलाकों, स्कूल या अस्पतालों में इनका इस्तेमाल कर देगा तो फिर उस पर युद्ध अपराध का मुक़दमा चलेगा और उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।

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