सरोगेसी से माता पिता कैसे बनते हैं? सरोगेसी कितने प्रकार की होती है? सरोगेट मदर को कितने पैसे मिलते हैं? sarogesi kya hota hai hindi me
राज श्रीवास्तव ‘वैरागी’ की कलम से
इस दुनिया में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से मां नहीं बन पाती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सेरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है। यही वजह है कि अक्सर लोग पूछते हैं कि sarogesi kya hota hai hindi me. कुछ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि सरोगेसी से माता पिता कैसे बनते हैं? सरोगेसी कितने प्रकार की होती है? सरोगेसी से जुड़े इन सारे सवालों का जवाब आपको यहां मिल जाएगा। तो चलिए शुरू करते हैं। दोस्तों, यह जरूरी जानकारी है इसलिए शेयर जरूर करिएगा। लव यू …चलिए आगे पढ़ते हैं-
आजकल सरोगेसी का जमाना है। वे महिलाएं जो मां नहीं बन पातीं उन्हें तो सुख मिल ही रही है साथ ही वे मशहूर फिल्मी हस्तियां या अमीर महिलाएं जो मां तो बनना चाहती हैं लेकिन नौ महीने के तमाम उतार चढ़ावों को नहीं झेल पातीं, वे भी सरोगेसी का सहारा ले रही हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि अमुक फिल्मी हिरोइन सरोगेसी से मां बनी है। तो यह इसीलिए होता है।
आजकल तो मीडिल क्लास की महिलाएं भी जो जॉब कर रही हैं या अपने फिगर को नहीं बिगाड़ना चाहतीं वे भी जानना चाहती हैं कि सरोगेसी में कितना खर्च आता है? सरोगेट महिलाएं कितना पैसा लेती हैं? ये इसलिए भी जानना चाहती हैं कि अगर उन्हें सरोगेसी के जरिए बच्चा चाहिए तो उनका कितना खर्चा आएगा। अमीर महिलाओं के लिए तो सोचना नहीं है लेकिन मिडिल क्लास महिलाओं केलिए तो यह सब सोचना है। ऐसे में इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपको इस आर्टिकल में दे देंगे। तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से। सबसे पहले जान लेते हैं sarogesi kya hota hai hindi me
sarogesi kya hota hai hindi me | सरोगेसी क्या होता है हिंदी में
सरोगेसी बच्चा पैदा करने की एक आधुनिक तकनीक है। इसके जरिए कोई कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराये पर ले सकता है। सेरोगेसी में कोई महिला अपने या किसी और के एग्स के ज़रिये
किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है। इस महिला को सरोगेट मदर कहते हैं।
सरोगेसी में एक महिला और बच्चे की चाहत रखने वाले कपल के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है। इसके तहत सरोगेसी कराने वाला कपल ही उस बच्चे का असली माता-पिता होता है। सरोगेट मदर यानी 9 माह अपने गर्भ में बच्चा रखने के बावजूद वह महिला उस बच्चे पर अपना कानूनी हक नहीं जता सकती है। बच्चे के जन्म के बाद महिला को उस कपल को बच्चा सौंपना होता है जिसने उसके कोख को किराए पर लिया है।
दरअसल, आजकल कई ऐसे केस आए हैं जिसमें मां बनने के बाद सरोगेट मदर बच्चा देने से मना कर देती है या फिर कई ऐसे कपल्स होते हैं जो अपने पसंदा का बच्चा नहीं होने पर भाग खड़े होते हैं और बच्चों को अपनाते नहीं है। ऐसे में इसके नियम को मजबूत किया गया है। साथ ही सरोगेसी से माता-पिता बनने वालों को और सरोगेट मदर को काफी सोच समझकर इसमें आगे बढ़ने की अपील की गई है। sarogesi kya hota hai hindi me के तहत चलिए अब जानते हैं कि इसके कितने प्रकार होते हैं।
सरोगेसी के प्रकार हिंदी में | सरोगेसी कितने प्रकार की होती है?
सरोगेसी दो प्रकार के होते हैं –
1. Traditional surrogacy या पारंपरिक सेरोगेसी
2. Gestational Surrogacy या परखनली प्रक्रिया, आईवीएफ
ट्रेडिशनल सरोगेसी क्या है हिंदी में
इस तरह की सरोगेसी में होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म मदर के एग्स से मैच कराया जाता है। यह नेचुरल तरीके से मां बननेे की प्रक्रिया होती है। बस इसमें अंतर इतना है कि यहां डॉक्टर कृत्रिम तरीक़े से वीर्य को सेरोगेट महिला के यूटेरस यानी गर्भाशय में सीधे प्रवेश करा देता है। इससे महिला गर्भवती हो जाती है। अब यह महिला 9 महीने तक इस बच्चे को अपने कोख में पालती है। इसमें सेरोगेट मदर ही बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होती है।
जेस्टेशनल सरोगेसी क्या है हिंदी में
इसे परखनली प्रक्रिया यानी आईवीएफ के नाम से भी जानते हैं। जेस्टेशनल सरोगेसी में माता पिता के स्पर्म और एग्स को टेस्ट ट्यूब के जरिए लैब में कुछ दिन रखकर सरोगेट मदर के यूट्रस में डाला जाता हैं। इस बच्चें का संबंध माता पिता दोनों से होता हैं। आसान भाषा में कहें तो इसमें माता-पिता के अंडे व शुक्राणुओं को लेकर भ्रूण तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
इन दिनों काफी ट्रेंड में जेस्टेशनल सरोगेसी है। शिल्पा शेट्टी भी जेस्टेशनल सरोगेसी के माध्यम से मां बनी थीं जिसकी खूब चर्चा हुई थी। दरअसल, जेस्टेशनल सेरोगेसी को सरोगेसी का एडवांस तकनीक भी माना जाता है। पारंपरिक सरोगेसी में जहां बच्चा चाहने वाले कपल में से सिर्फ पुरुष के शुक्राणुओं का इस्तेमाल होता है, महिलाएं के अंडाणु नहीं। लेकिन अब महिलाएं चाहती हैं कि उनके बच्चों में उनका भी गुण आए।
ऐसे में ये महिलाएं जेस्टशनल सरोगेसी की तरफ बढ़ रही है। इमसें मां के अंडाणु और पिता के स्पर्म को फर्टिलाइज करके सरोगेट मदर के गर्भाशय में डाला जाता है। ऐसे में इस विधि से जो बच्चे पैदा होते हैं उसमें सरोगेट मदर का बच्चे से कोई बायलॉजिकल कनेक्शन नहीं होता है। इसीलिए वह बायलॉजिकल मां भी नहीं कहलाती है। sarogesi kya hota hai hindi me के तहत अब जान लीजिए कि आईवीएफ और सरोगेसी में अंतर क्या है?
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कुछ लोग सरोगेसी और आईवीएफ को एक ही समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें कुछ अंतर है। चलिए आपको नीचे हम इसके अंतर बता रहे हैं देख लीजिए-
- आईवीएफ में पुरुष के वीर्य और महिला के अंडाणु दोनों का इस्तेमालल होता है जबकि सेरोगेसी में सिर्फ पुरुष के शुक्राणु का यूज होता है।
- आईवीएफ में पुरुष के वीर्य और महिला के अंडे को कुछ दिन लैब में रखकर तब सरोगेट मदर के गर्भाशय में सीधे डाला डाता है। जबकि सरोगेसी में पुरुष के वीर्य को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
- आईवीएफ में पिता या स्पर्म डोनर के शुक्राणु यानी स्पर्म (स्पर्म) और मां के एग को शरीर से बाहर निकाला जाता है। फिर इन्हें लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। जब यह फर्टिलाइज हो जाता है तो भ्रूण बनकर तैयार हो जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भ में डाला जाता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। वहीं सेरोगेसी की प्रक्रिया बेहद ही आसान है। इसमें सीधे पुरुष के शुक्राणु का यूज कर लिया जाता है।
- सेरोगेसी में कोख में बच्चे को रखने वाली मां को बायोलॉजिकल मदर कहते हैं लेकिन आईवीएफ में कोख में रखने के बावजूद सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मदर नहीं होती।
- सरोगेसी का खर्च कम है जबकि आईवीएफ का खर्च अधिक है
- सरोगेसी आसान प्रक्रिया है जबकि आईवीएफ जटिल और लंबी प्रक्रिया है।
सरोगेट मदर को कितने पैसे मिलते हैं?
भारत में सरोगेट मदर को 15-20 लाख रुपये आसानी से मिल जाते हैं। हालांकि अमेरिका जैसे देशों में यह कीमत 50 लाख रुपये तक है। भारत में गरीबी है और इस कारण से बहुत सारी महिलाएं इसे एक नए बिजनेस के रूप में भी देख रही हैं और वे अपने कोख को बेचकर ठीक ठाक पैसे कमा रही हैं। कुछ महिलाएं मजबूरी में तो कुछ अन्य कारणों से भी ऐसा कर रही हैं।
कभी भी किसी महिला का कोख किराए पर लेते समय लोग उसके स्वास्थ्य, वजन, रंग आदि को बहुत ही ध्यान देते हैं। यही वजह है कि ज्यादा कुपोषित या कमजोर दिखने वाली महिला को कोई नहीं चुनता है। इसी तरह से आजकल सांवले या काले रंग की महिलाओं को भी नहीं चुना जा रहा है। हालांकि हमारा वेबसाइट इस तरह की सोच के खिलाफ है। सांवला और काला कुछ नहीं होता है दिल से साफ होना चाहिए इंसान को।
(दोस्तों, उम्मीद है कि sarogesi kya hota hai hindi me के बारे में आपको सारी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो नीचे कमेंट करें हम तुरंत जवाब देंगे। इस वेबसाइट पर आते रहिए और अपना प्यार लुटाते रहिए। लव यू)
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