रथ यात्रा का मतलब क्या होता है? रथ यात्रा कब निकलती है? rath yatra kyu manaya jata hai hindi, rath yatra history in hindi, रथ यात्रा कहाँ मनाया जाता है?

rath yatra kyu manaya jata hai hindi: जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा के बारे में तो आप सभी जानते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है? क्या आपको यह मालूम है कि रथ यात्रा कहां मनाया जाता है? रथ यात्रा का इतिहास क्या है? रथ यात्रा की कहानी क्या है? अगर नहीं, तो इस आर्टिकल में आपको इस बारे में आज सारी जानकारी मिल जाएगी। तो फिर अंत तक इसे पढ़िएगा और शेयर जरूर करिएगा ताकि यह जरूरी जानकारी सब तक पहुंच जाए।

रथ यात्रा हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है. भारत में इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ओडिशा के जगन्नाथपुरी क्षेत्र से इसकी शुरुआत होती है इसीलिए इसे जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा भी कहते हैं। इसमें देश के हर हिस्से के लोग जुटते हैं और रथ यात्रा के साथ पूरे देश की परिक्रमा करते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से होते हुए यह रथ वापस पुरी को जाता है। इसीलिए देश के हर हिस्से में इस रथ यात्रा को लेकर एक जबरदस्त उत्साह रहता है।

रथ यात्रा की शुरुआत होने के साथ ही भक्तजन इसके बारे में गूगल पर सर्च करने लगते हैं। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर रथ यात्रा क्यों निकालते हैं, rath yatra kyu manaya jata hai hindi, रथ यात्रा की कहानी क्या है? आज इसीलिए मैं यह आर्टिकल आपके लिए लेकर आया हूं ताकि अगर आप भी अभी तक इस बारे में नहीं जानते हैं तो आज आपको सारी जानकारी यहां मिल जाएगी। तो चलिए फटाफट शुरू करते हैं। सबसे पहले जान लेते हैं कि रथ यात्रा क्या होता है

रथ यात्रा क्या है हिंदी में | What is Rath Yatra in Hindi

रथ यात्रा हिंदुओं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जिसे हर वर्ष मनाया जाता है। अन्य पर्व जहां घर में या मंदिरों में मनाते हैं वहीं रथ यात्रा में लोग रथ के साथ सड़क पर निकलते हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में यह रथ यात्रा जाती है। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार यह पर्व 10 दिनों के लिए मनाते हैं। पुरी रथ यात्रा में भगवान कृष्ण, बलराम और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ तैयार किए जाते हैं। सबसे आगे बलरामजी का रथ होता है।

बलराम जी के रथ के बाद सुभद्रा जी का रथ होता है और सबसे पीछे भगवान कृष्ण का रथ होता है। यूं तो गुजरात के द्वारिका से भी रथ यात्रा निकलती है लेकिन पुरी की रथ यात्रा को देशभर में अधिक महत्व दिया जाता है। आपको बता दें कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर देश के चार धामों से एक है और सबसे पवित्र माना जाता है।

करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ही जगन्नाथ के रूप में विराजमान बताए जाते हैं। यहां उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की भी मूर्ति है। देश के किसी और हिस्से में ऐसा मंदिर आपको नहीं मिलेगा। इसीलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। rath yatra kyu manaya jata hai hindi के तहत अब जानिए कि रथ यात्रा कब मनाते हैं।

रथ यात्रा कब मनाया जाता है

हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा की शुरुआत पुरी से होती है। यानी पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से इसी तिथि पर भगवान बलराम, कृष्ण और देवी सुभद्रा तीनों के रथ को विधिवत पूजन अर्चन के बाद यात्रा के लिए निकाला जाता है। ढोल, नगारों और शंघध्वनि के बीच रथ यात्रा की शुरुआत होती है।

माना जाता है कि इस रथ को खींचने वाले लोगों को बहुत ही पुण्य मिलता है। यही वजह है कि दुनियाभर से लोग रथ यात्रा के समय में जगन्ननाथपुरी में जुटते हैं और भगवान के रथ को स्पर्श कर इस पुण्य के भागी बनते हैं। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि भगवान का यह रथ खींचने वाले को मोक्ष तक प्राप्त होता है। rath yatra kyu manaya jata hai hindi के तहत अब जानिए कि रथ यात्रा कहां मनाते हैं।

रथ यात्रा कहाँ मनाया जाता है?

रथ यात्रा की शुरुआत जगन्नाथ पुरी से ही होती है। पुरी नगर क्षेत्र से होकर यह रथ यात्रा गुंडीचा मंदिर सबसे पहले पहुंचती है। इसी मंदिर परिसर में सात दिन के लिए भगवान बलराम, भगवान कृष्ण और देवी सुभद्रा विश्राम करते हैं। माना जाता है कि द्वापरयुग में तीनों यहां विश्राम कर चुके हैं। यहां आने वाले भक्तों को भगवान के दर्शन कराए जाते हैं। इस दर्शन को आड़प दर्शन भी कहते हैं।

गुंडीचा मंदिर में भगवान इसलिए विश्राम करते हैं क्योंकि यह उनके मौसी का घर है। देवी गुंडीचा को भगवान कृष्ण की मौसी मानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार रथ यात्रा के तीसरे दिन मां लक्ष्मी भगवान की तलाश करते हुए इसी मंदिर में आती हैं। पर, भगवान जगन्नाथ से मिलने देने से पहले ही द्वारपाल दरवाजा बंद कर देते हैं और इससे मां लक्ष्मी रूठ कर रथ का पहिया तोड़ देती हैं और वापस लौट जाती हैं।

इसके बाद भगवान द्वारा मां लक्ष्मी को मनाने की भी यहां परंपरा है। इसी रथ यात्रा के दौरान भक्तजन गाते हुए मां को मनाते हैं। इसे देखना भी अद्भूत होता है। रथ यात्रा के 10वें दिन यह रथ वापस मंदिर की ओर प्रवेश करता है। बहुत ही धूमधाम से भगवान की वापसी भी होती है।

अगले दिन यानी एकदाशी को सभी देवताओं को भगवान का दर्शन करने के लिए मंदिर का द्वार खोला जाता है। पौराणिक कथाओं में यह मिलता है कि रथ यात्रा के 11वें दिन भगवान के मंदिर लौटने पर देवता लोग आकाश से आकर उनका दर्शन करते हैं।

इसके बाद मंत्रोच्चार के बीच भगवान बलराम, कृष्ण और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को फिर से प्रतिष्ठित कर दिया जाता है। इस पूरे 10 दिन की यात्रा में पूरा जगन्नाथपुरी उल्लास और उमंग से सराबोर रहता है। वैसे देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग मंदिरों की तरफ से अब रथ यात्रा निकालने की परंपरा है। गुजरात में भी धूमधाम से रथ यात्रा निकाली जाती है। rath yatra kyu manaya jata hai hindi के तहत अब रथ यात्रा की कहानी जान लीजिए।

रथ यात्रा की कहानी | रथ यात्रा का इतिहास | rath yatra history in hindi

रथ यात्रा की कहानी भी दिलचस्प है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी। कहा जाता है कि भगवान उनकी इच्छा पूरी करने के लिए जगन्नाथ के रूप में रथ पर निकले। इस दौरान बड़े भाई बलराम भी साथ थे।

आगे-आगे भगवान बलराम रथ पर सवार थे, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे सुरक्षा करते हुए भगवान कृष्ण रथ पर थे। इसी तरह से तीनों भाई बहन पहली बार एक साथ नगर का भ्रमण कर किए। इस दौरान वे लोग कुछ दूरी पर अपनी मौसी गुंडिचा के घर भी सात दिन के लिए ठहरे।

भगवान के जगन्नाथ पुरी से जुड़े इसी लगाव के कारण यहां के लोग आज भी उन्हें, उनके भाई बलराम और देवी सुभद्रा को रथ पर सवार करके नगर का भ्रमण कराते हैं। यह परंपरा तब से आज तक लगातार चली आ रही है। rath yatra kyu manaya jata hai hindi के तहत अब जानिए कि इसकी शुरुआत किसने की थी।

जगन्नाथ रथ यात्रा किसने शुरू की थी | rath yatra kyu manaya jata hai hindi

कुछ लोग यह सवाल पूछते हैं कि जगन्नाथ रथ यात्रा किसने शुरू की थी? तो दोस्तों, इसका जवाब है कि इस रथ यात्रा की शुरुआत भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण ने खुद की थी। उन्होंने अपनी बहन सुभद्रा के कहने पर इस नगर यानी पुरी को घुमाने के लिए रथ पर सवार हुए थे। इस दौरान बड़े भाई बलराम भी साथ थे।

चूंकि भगवान ने पहली बार खुद अपनी बहन को नगर का भ्रमण कराया और उन्हें पूरा नगर दिखाया इसीलिए तब से यह यात्रा रथ यात्रा के रूप में मनाया जाने लगा। हर कोई इस दिन भगवान जगन्नाथ और उनकी बहन सुभद्रा, भाई बलराम का पूजन अर्चन कर इस रथ यात्रा का सहभागी बन पुण्य का भागी भी बनता है। rath yatra kyu manaya jata hai hindi के तहत अब जानिए कि इसका मतलब क्या होता है।

रथ यात्रा का मतलब क्या होता है?

भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलराम भगवान के रथ यात्रा को ही जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा कहते हैं। रथ यात्रा का मतलब हिंदुओं के उस पर्व से है जिसमें वे एक जगह जुटकर बिना किसी जातिगत भेदभाव के सभी इस पर्व में सम्मिलित होते हैं। भगवान बलराम, भगवान जगन्नाथ यानी कृष्ण और बहन सुभद्रा की अलग-अलग तैयार रथ को पूरे नगर में घुमाया जाता है। इस रथ को सभी लोग खींचने की कोशिश करते हैं।

यह रथ बहुत ही उल्लास के साथ पूरे नगर में घूमता है। इस पर लोग पुष्पवर्षा करते हैं। लोक गीत और तमाम भक्ति गीतों की रसधारा से पूरा नगर गुंजायमान होता है। बच्चे, बूढ़े, महिला, जवान सभी इसमें हिस्सा लेते हैं और खुशी देखते ही बनती है। यह रथ यात्रा दुनियाभर में अपने खास आयोजन के लिए फेमस है।

हिंदुओं का यह पहला त्योहार है जो किसी मंदिर या घर के अंदर नहीं बल्कि बाहर सड़क पर रथ यात्रा के रूप में मनता है और सभी समुदाय के लोग एक साथ इस रथ यात्रा का हिस्सा बनते हैं।

…तो आज आपने क्या सीखा

तो दोस्तों, आज आपने सीखा कि रथ यात्रा क्यों निकालते हैं, रथ यात्रा की कहानी क्या है और क्यों देशभर में यह मनाया जाता है। उम्मीद है कि आपके मन में रथ यात्रा से जुड़े जो भी सवाल हैं उसके जवाब यहां मिल गए होंगे। अगर अब भी कोई सवाल है तो नीचे कमेंट में पूछिए। हमें आपकी सहायता करके खुशी होगी। आप किसी सब्जेक्ट पर पढ़ना चाहते हैं वह भी कमेंट में बता सकते हैं। आपके सहयोग से ही हमें आगे बढ़ना है इसलिए हमारे वेबसाइट kyahotahai.com को गूगल में सर्च करते रहिए। यहां आने के लिए लव यू रहेगा…।




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