November 22, 2024

NSA यानी अपराधियों में खौफ का दूसरा नाम। जी हां, अपराधी थर-थर कांपते हैं इस नाम से। कोई भी शख्स जो किसी गलत काम में संलिप्त होता है, उसके लिए यह खौफ का पर्याय है। NSA यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (national security act)। हिंदी में कहें तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून। इसका शार्ट फॉर्म रासुका भी बेहद फेमस शब्द है। आपने अक्सर सुना होगा कि भलाने पर रासुका लगा है। वह इसी कानून के बारे में होता है। तो चलिए इसके बारे में आसान भाषा में आपको सबकुछ बताते हैं।

NSA ka full form kya hai? NSA का फुलफॉर्म क्या है

NSA को जानने से पहले जान लीजिए कि इसका फुलफॉर्म national security act है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून। इसे रासुका भी कहते हैं। रासुका इसका छोटा स्वरूप है। देश या राज्यों मे बेहतर कानून व्यवस्था के लिए यह बेहद ही उपयोगी माना जाता है।

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NSA kya hai in hindi। एनएसए क्या है। रासुका क्या है

एनएसए या फिर रासुका क्या है., इसे लेकर बहुत ही सारे सवाल लोगों के मन में रहते हैं। तो चलिए आज आपको इसका जवाब देने की कोशिश करते हैं। तो दोस्तों, यह ऐसा कानून है जिसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को भांपते हुए अगर कोई भी संदिग्ध व्यक्ति पाया जाता है तो उसे तुरंत हिरासत में लेने का अधिकार होता है। यह ऐक्शन स्थानीय स्तर पर भी जिला प्रशासन की तरफ से लिया जा सकता है। उन्हें इस कानून के तहत छूट हैे कि अगर उन्हें लगे कि इस अमुक शख्स से समाज के भीतर सद्भाव, एकता या किसी भी तरह का वैमनस्य फैल सकता है, इसकी गतिविधि से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है तो तुरंंत वह उसे हिरासत में ले सकती है।

NSA kanoon kab bna? एनएसए कानून कब बना था?

एनएसए कानून यानी रासुका 1980 में बना था। यह इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाया गया। मकसद साफ था कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ और सख्त कानून बने। ऐसा कानून जिससे जिला स्तर तक भी पुलिस के पास इतना अधिकार हो जाए कि कोई भी व्यक्ति जो संदिग्ध दिखे और उससे देश की एकता और अखंडता को खतरा हो उसे बिना आरोप तुरंत गिरफ्तार कर सके।


रासुका किस पर लगाते हैं? nsa kis par lagate hain। rasuka kyon lagta hai

ये सवाल भी अक्सर पूछा जाता है कि आखिर रासुका किस पर लगा सकते हैं। कैसे लोग इस कानून के दायरे में आएंगे। तो इसका आसान सा जवाब है कि अगर कोई भी व्यक्ति जिससे स्थानीय स्तर पर या देश के स्तर पर किसी भी तरह की सुरक्षा का खतरा हो, वह किसी भी तरह की एकता या शांति को भंग करने के काम में संलिप्त हो तो उसे तुरंत हिरासत में ले लिया जाता है और उस पर रासुका लगा देते हैं। अगर राज्य सरकार को किसी व्यक्ति पर यह शक है कि वह किसी गलत इरादे से उसके राज्य में रह रहा है तो भी उसे तुरंत गिरफ्तार करवा सकती है। आसान भाषा में कानून-व्यवस्था के खतरे को ध्यान में रखते हुए किसी भी संदिग्ध को इस कानून के तहत गिरफ्तार कर सकते हैं।

rasuka mein kya saja hoti hai। रासुका में किस तरह की सजा होती है

रासुका के तहत बिना किसी आरोप के भी जिससे खतरा हो उन्हें जिला प्रशासन 12 महीने तक जेल में रख सकता है। इस संदिग्ध व्यक्ति के बारे में जिला प्रशासन खतरे का ब्यौरा देते हुए प्रदेश सरकार को जानकारी दे देता है। वह बताता है कि अमुक व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों की गई है।

रासुका किस पर लगाते हैं? nsa kis par lagate hain। rasuka kis par lagta hai

ये सवाल भी अक्सर पूछा जाता है कि आखिर रासुका किस पर लगा सकते हैं। कैसे लोग इस कानून के दायरे में आएंगे। तो इसका आसान सा जवाब है कि अगर कोई भी व्यक्ति जिससे स्थानीय स्तर पर या देश के स्तर पर किसी भी तरह की सुरक्षा का खतरा हो, वह किसी भी तरह की एकता या शांति को भंग करने के काम में संलिप्त हो तो उसे तुरंत हिरासत में ले लिया जाता है और उस पर रासुका लगा देते हैं। अगर राज्य सरकार को किसी व्यक्ति पर यह शक है कि वह किसी गलत इरादे से उसके राज्य में रह रहा है तो भी उसे तुरंत गिरफ्तार करवा सकती है। आसान भाषा में कानून-व्यवस्था के खतरे को ध्यान में रखते हुए किसी भी संदिग्ध को इस कानून के तहत गिरफ्तार कर सकते हैं।

rasuka mein adhiktam kitne din ki saja hoti hai? रासुका में कितने दिन की सजा होती है? रासुका में अधिकतम कितने दिन की सजा होती है?

यह सवाल भी अक्सर किया जाता है कि आखिर रासुका के तहत सजा कितनी होती है और कितने दिन तक लोगों को जेल में रहना पड़ सकता है। तो जान लीजिए कि इस कानून के तहत बिना किसी जमानत के तीन महीने तक संदिग्ध को जेल में रहना पड़ सकता है। इतना ही नहीं अगर उसके बाद भी उससे खतरा बना हुआ है तो सरकार 3-3 महीने के लिए हिरासत की अवधि आगे भी बढ़ा सकती है। अधिकतम 12 महीने की सजा इसमें होती है।

रासुका लगने पर वकील नहीं मिलते हैं

अगर किसी भी व्यक्ति पर रासुका लग जाए तो उसे वकील नहीं मिलते हैं। यह जानना बेहद जरूरी है कि आप पैरवी के लिए वकील नहीं रख सकते हैं। सरकार द्वारा गठति सलाहकार बोर्ड के सामने ही सिर्फ अपना पक्ष रखा जा सकता है। यहां अपील करने के बाद मामला आगे बढ़ सकता है।

rasuka me jamanat kaise milti hai। रासुका में जमानत कैसे मिलती है

रासुका लगने पर जमानत मिलना आसान नहीं होता है। कानून के तहत राज्य या केंद्र सरकार की तरफ से आवश्यकता पड़ने पर एक सलाहकार समिति का गठन किया जाता है। इसमें तीन सदस्य होते हैं जो हाई कोर्ट के जज रहे हों या हों। इनके सामने ही गिरफ्तार शख्स को तीन सप्ताह के भीतर पेश करना होता है। यहां गिरफ्तारी का कारण बताना पड़ता है। अगर यह समिति गिरफ्तारी के कारण से संतुष्ट हो गई और सरकार हिरासत आगे भी चाहती हो तो बढ़ा दिया जाता है लेकिन अगर ये समिति असंतुष्ट हो जाती है तो वह इस आदेश को रद्द कर देती है जिसके बाद संबंधित शख्स को तुरंत रिहा करना पड़ता है।

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