नाटो किसे कहते हैं, नाटो का उद्देश्य क्या है? नाटों में कुल कितने देश हैं? NATO kya hai hindi me

रूस और यूक्रेन की बीच युद्ध के दौरान जो शब्द सबसे अधिक चर्चा आया वह था NATO। इस शब्द को सुनकर आपने भी जरूर सोचा होगा कि NATO kya hai hindi me? नाटो का मतलब क्या होता है? इस आर्टिकल में हम आपको इससे जुड़े सारे सवालों का जवाब देंगे। हम यहां यह भी बताएंगे कि NATO क्या है, NATO का फुल फॉर्म क्या है, नाटो के सदस्य देश कौन-कौन हैं? तो चलिए दोस्तों, शुरू करते हैं।

दोस्तों, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दोबारा ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ को सैन्य शक्ति मुहैया कराने के लिए दुनिया के कई देश साथ आए और उन्होंने एक संधि पर समझौता किया। इसमें इनके मित्र देशों के खिलाफ अगर कभी भी कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो फिर ये सारे देश अपनी सेना उसके खिलाफ उतार देंगे।

तो चलिए नाटो के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। सबसे पहले जान लेते हैं कि NATO kya hai hindi me? इसके बाद इसका फुलफॉर्म और इसके सदस्य देशों के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।

नाटो क्या है हिंदी में NATO kya hai hindi me?

नाटो यानी उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Orgnization or NATO)। उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन को नाटो बोलते हैं। इसकी स्थापना 1949 में हुई। नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य माध्यमों से अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी पहुंचना है। सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद बना यह संगठन मुख्य रूप से सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करने के उद्देश्य को लेकर बना।

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) और सोवियत संघ दो देश महाशक्ति बनकर उभरे | यूरोप में संभावित खतरे को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्सेमबर्ग ने एक संधि की जिसे बूसेल्स की संधि कहा गया | इसमें यह निर्धारित किया गया कि किसी भी देश पर हमला होने पर वह सभी एक- दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता मुहैया कराएंगे।

उधर, अमेरिका बर्लिन में सोवियत संघ की घेराबंदी और सोवियत प्रभाव को समाप्त करने के लिए सैनिक गुटबंदी के लिए आगे आया | अमेरिका ने ही संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत उत्तर अटलांटिक संधि का प्रस्ताव पेश किया था जिसमें 1949 में जाकर फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 12 देशों ने हस्ताक्षर किए।

नाटो के सदस्य देश कौन-कौन हैं?

नाटो जब बना तो अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल इसके 12 संस्थापक सदस्य थे। वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 30 पर है। नॉर्थ मैसेडोनिया साल 2020 में इसमें शामिल होने वाले सबसे नया देश है।

शीत युद्ध से पूहले यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी, स्पेन ने भी इसकी सदस्यता ले ली। बाद के दिनों में यानी शीत युद्ध समाप्त होने के बाद पोलैंड, हंगरी, और चेक गणराज्य जैसे देश भी इसमें शामिल हो गए।

नाटो में कौन से देश शामिल हो सकते हैं

नाटो का सदस्य बनने के लिए यूरोपीय देश होना अनिवार्य है। हालांकि बाद में नाटो ने खुद की पहुंच बढ़ाने के लिए कई देशों से संपर्क भी स्थापित किए। उदाहरण के लिए अल्जीरिया, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और ट्यूनिशिया भी नाटो के सहयोगी हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी नाटो की भूमिका हमेशा से रही है।

नाटो का उद्देश्य क्या है?

नाटो की स्थापना ही इस शर्त के साथ हुई कि वे एक संधि पर हस्ताक्षर करें और उसमें लिखी हुई सारी शर्तें मानें। इसके मुताबिक सिर्फ सैन्य शक्ति का सहयोग ही नहीं बल्कि कई मोर्चे पर सहयोग अपेक्षित है। नीचे इसके बारे में हम बता रहे हैं-

  • यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक बनना यानी सभी मित्र देश अपनी सैन्य शक्ति के साथ खड़े हो जाएंगे।
  • सैन्य तथा आर्थिक विकास के लिए जो भी चीजें तय हों, उसके सामने यूरोपीय राष्ट्रों की सुरक्षा सर्वोपरि हो।
  • पश्चिम यूरोप के सभी देशों को एक साथ जोड़े रखना।
  • किसी भी तरह के साम्यवाद के प्रसार को रोकने में भूमिका निभाना।

(दोस्तों, उम्मीद है कि नाटो के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो नीचे कमेंट में करें हम जवाब तुरंत देंगे। यहां आने के लिए लव यू दोस्तों)




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