ईवीएम का पूरा नाम क्या है, evm kya hai hindi, वीवीपैट का पूरा नाम क्या है, evm का प्रयोग कब हुआ

दोस्तों, आज फिर आपके लिए एक नई जानकारी। evm kya hai hindi और Evm का प्रयोग कब हुआ? जैसा कि हम सभी जानते है कि भारत में लोकसभा का चुनाव और विधान सभा का चुनाव दोनों में EVM मशीन का इस्तेमाल वोट डालने के लिए किया जाता है. सभी के मन में एक सवाल ज़रूर आता है कि आखिर EVM ka full form क्या होता है या ईवीएम का पूरा नाम क्या है? और इसे किसने और कब बनाया था? तो इस आर्टिकल में आपको इन सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं-

EVM मशीन का इतिहास | evm kya hai hindi

भारत में पहला वोटिंग मशीन का अविष्कार 1980 में M.B Haneefa के द्वारा हुआ था। इस मशीन को उस वक़्त “Electronically Operated Vote Counting Machine” नाम दिया गया था.


इस मशीन का पहला ओरिजिनल डिज़ाइन तमिल नाडु के 6 शहरो में अलग अलग सरकारी एक्सीबिशन में लोगो को दिखाया गया था।


सबसे पहले EVM का इस्तेमाल 1982 में केरला के Paravur constituency में कुछ पोलिंग बूथ पर हुआ था।


1989 में, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से भारत के चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम का गठन किया गया था।

EVM का full form | evm का पूरा नाम क्या है | evm kya hai hindi

EVM ka full form इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine) है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को लागू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हाल ही में इसका उपयोग 2017 में पूरे भारत में पांच राज्यों में हुए राज्य चुनावों में किया गया है। आज, इसने भारत में स्थानीय, राज्य और आम (संसदीय) चुनावों में कागजी मतपत्रों यानी बैलट पेपर की जगह ले ली है।

EVM = Electronic Voting Machine

EVM की डिज़ाइन को समझे

ईवीएम मशीन में मुख्य रूप से दो यूनिट होते हैं, पहला नियंत्रण इकाई और दूसरा मतदान इकाई। ये दोनों इकाइयाँ एक केबल द्वारा जुड़ जाती हैं। बैलेटिंग यूनिट को मतदान डिब्बे के अंदर रखा जाता है और नियंत्रण इकाई मतदान अधिकारी के पास रहती है। बैलेटिंग यूनिट में पार्टी के प्रतीकों और संबंधित उम्मीदवार नामों के साथ क्षैतिज रूप से लेबल किए गए नीले बटन होते हैं। नियंत्रण इकाई में एक “बैलट” चिह्नित बटन है।

मतदाता ने मतपत्र इकाई पर वांछित नीले बटन को दबाकर अपना वोट डाला। जैसे ही अंतिम मतदाता वोट डालते हैं मतदान अधिकारी “क्लोज बटन” दबाते हैं ताकि ईवीएम किसी भी वोट को स्वीकार न करे। चुनाव समाप्त होने के बाद, बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल यूनिट से काट दिया जाता है और अलग रखा जाता है।

EVM के फायदे (EVM advantage in hindi)

  • यह अमान्य या संदिग्ध यानि इनवैलिड वोटों की संभावना को कम करता है।
  • इससे बैले पेपर की तुलना में वोटो की गिनती बहुत ही आसानी और तेज़ी से हो जाती है, इससे चुनाव अधिकारियों के समय की बचत भी हो जाती है और चुनाव के रिजल्ट जल्दी आ जाते है.
  • यह एक पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें कागज का उपयोग शामिल नहीं है जो पेड़ों को बचाने में मदद करता है।
  • यह लागत प्रभावी प्रक्रिया है क्योंकि प्रत्येक मतदान केंद्र में केवल एक ही मतपत्र की आवश्यकता होती है और ईवीएम की परिवहन लागत भी पारंपरिक मतपेटियों से कम होती है।
  • इसे बिना किसी परेशानी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया या पहुंचाया जा सकता है।
  • कम समय में अधिक लोग वोट डाल सकते हैं।
  • भविष्य के संदर्भ के लिए डेटा को अधिक समय तक बचाया जा सकता है।

EVM के नुकसान

  • चूँकि एवं एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है और ये सॉफ्टवेयर की मदद से काम करता है इसी लिए इसे हैक होने की संभावना ज़्यादा रहता है
  • अगर एवं में ग़लत सॉफ्टवेयर दाल दिया जाए तो इससे किसी एक ही कैंडिडेट को सभी वोट ट्रांसफर होने की संभावना हो सकती है.


(दोस्तों, उम्मीद है कि आपको evm kya hota hai के बारे में सभी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करें। हम जवाब जरूर देंगे। एक सहयोग कीजिए। हमारे वेबसाइट को गूगल में सर्च करते रहिए और अपने पसंद का आर्टिकल पढ़ते रहिए। जय हो)

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