इस दिन श्रीकृष्ण की बालसहचरी तथा अह्लादिनी शक्ति राधा का जन्म हुआ था। राधा विश्व की प्रेमिका थीं। प्रेम के साम्राज्य की तो वो महारानी हुई हैं। राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण है। यदि श्रीकृष्ण के साथ से राधा को हटा दिया जाय तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाता है। राधा ही के कारण वे रासेश्वर हैं। इस दिन स्नानादि करके मंडप के भीतर मंडल बनाकर मिट्टी या ताम्बे का बर्तन रखो। श्री राधा की सोने की मूर्ति बनवा कर उसे दो वस्त्रों से ढक कर बर्तनों पर स्थापित करो। दोपहर के समय श्रद्धा भक्तिपूर्वक राधा जी की विधिपूर्वक पूजा करो। यदि संभव हो तो इस दिन उपवास रखकर दूसरे दिन सुवासिनी स्त्रियों को भोजन कराने के पश्चात् किसी आचार्य को मूर्ति का दान कर देना चाहिए।पुराणों में श्री राधा को आजन्म कुमारी, श्रीकृष्ण की स्वकीया तथा परकीया प्रेयसी चित्रित किया गया है। राधा भक्तिरस की मूर्तिमती गंगा हैं।