December 21, 2024

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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) अब कांग्रेस को देश की सत्ता में लाने के लिए रोडमैप तैयार कर चुके हैं। कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पीके की मदद ले रही है। हाल ही में पीके ने सोनिया गांंधी के सामने जो प्रजेंटेशन रखा है, उससे सोनिया खुश बताई जा रही हैं। अगर कांग्रेस पीके के बनाए इस रोडमैप पर चलती है तो फिर राहुल गांधी देश के अगले पीएम होंगे। क्योंकि यह रोडमैप कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए है। चलिए आपको बताते हैं कि बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने और राहुल गांधी को पीएम बनाने के लिए पीके का मास्टर प्लान क्या है।

देश के 370 सीटों के लिए पीके ने बनाया मास्टर प्लान

दोस्तों, चुनावी रणनीति के बादशाह हैं प्रशांत किशोर। पीएम मोदी को सबसे पहले पीएम बनाने वाले भी वही हैं। ऐसे में इस बार उन्होंने राहुल गांधी को पीएम बनाने की ठानी है। अगर कांग्रेस उन्हें मौका दे देती है तो उनका प्लान बिल्कुल तैयार है। वे अपने रोडमैप में कांग्रेस के लिए देश के 370 सीटों पर फोकस कर रहे हैं। ये वे सीटें हैं जहां कांग्रेस हमेशा से मजबूत रही है लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदर्शन खराब हुआ है। अगर इन सीटों पर कांग्रेस फिर मेहनत करे तो बात बन सकती है। पीके का यही मानना है।

बाकी सीटें गठबंधन को देने की तैयारी

पीके ने ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया है कि उसमें कई राज्यों की छोटी पार्टियां खुद कांग्रेस के साथ आ मिलेंगी। इसी चक्रव्यूह के तहत बड़ी संख्या में सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए भी रखी गई हैं। पर, ये सीटें उन्हें ही मिलेंगी जो कांग्रेस को मजबूत करेंगे। यानी सीटें तभी मिलेंगी जब लगेगा कि वे मजबूत हैं और अपने क्षेत्र की सीटें जीत पाएंगे।

यूपी और बिहार के लिए पीके की है अलग रणनीति

पीके ने यूपी और बिहार में अकेले दम पर कांग्रेस को मैदान में उतरने की सलाह दी है। इसका मतलब साफ है कि देश को संदेश देना कि कांग्रेस में अभी भी वह कुव्वत है कि वह अपने दम पर भी मैदान मार सकती है। ये बड़े राज्य हैं और यहां गठबंधन के मोह में फंसकर कांग्रेस अब तक अपना बहुत कुछ गंवा चुकी है। अब समय है कि कांग्रेस खुद को इन राज्यों में मजबूत करे। इन राज्यों में बूथ स्तर तक पीके कांग्रेस को मजबूत करेंगे। पार्टी के कोर वोटर्स को फिर से पार्टी से जोड़ा जाएगा। पुराने कार्यकर्ताओं को दोबारा से पार्टी में लाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा।

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विपक्षी दलों के साथ दिल खोलकर खड़ा होने की नसीहत

पीके ने कांग्रेस को यह भी नसीहत दी है कि वे विपक्षी दलों के साथ दिल खोलकर खड़े हों। इसका फायदा यह होगा कि विपक्षी जितने दल हैं वे उनके साथ आएंगे। पीके ने इसके पीछे यह भी कहा कि चुनाव के समय जरूरी नहीं है कि हम सभी पार्टियों के साथ एक साथ मिलकर लड़ें लेकिन चुनाव बाद के लिए सारे रास्ते खुले हों। यह बहुत जरूरी है। हालांकि पीके ने यह भी साफ कर दिया है कि विपक्षी एकता में कांग्रेस सेंटर में तभी हो सकती है जब वह पूरे देश में मजबूत हो। क्योंकि उसी स्थिति में अन्य पार्टियां उसके साथ खड़ी होंगी। यह बड़ी बात है और इसी प्लानिंग के तहत कांग्रेस इस बार आगे बढ़ेगी।

मोदी की स्कीम को काउंटर करने के लिए खास रणनीति

पीके ने साफ कर दिया है कि मोदी की जो लोकप्रियता है वह अचानक से खत्म नहीं होगी। उनके स्कीम को लेकर गांवों के लोगों के बीच जो एक इमोशनल बॉन्डिंग है, उसके सामने अगर कांग्रेस को खड़ा होना है तो एक खास रणनीति और बेहतर प्लानिंग की जरूरत है। कुछ ऐसी योजनाओं का रोडमैप लेकर उनके पास जाना होगा जिस पर वे विश्वास कर पाएं। ये नही कि ये सिर्फ हवाई बातें हों। इससे वोटर फिर छिटक जाएंगे।


बीजेपी को काउंटर करने के लिए एक खास विचारधारा पर फोकस

पीके साफ कर चुके हैं कि बीजेपी की जो राष्ट्रवाद की विचारधारा फिलहाल देश में आक्रामक रूप में दिख रही है. उस राष्ट्रवाद की छौंक के खिलाफ कांग्रेस के पास भी एक काउंटर विचारधारा जरूरी है। अगर आपके पास इस तरह की कोई रणनीति नहीं होगी तो फिर आपके लिए मुश्किल हो जाएगा। आखिर आप किस तरफ खड़े होना चाहते हैं यह क्लियर होना चाहिए। यह इसलिए भी ताकि जनता के बीच इसका संदेश बहुत ही स्पष्ट जाता है। अगर आप सही तरीके से अपनी विचारधारा पर स्टैंड नहीं लेंगे और इधर-उधर भटककेंगे तो आप अपने वोटरों को सही तरीके से नही साध पाएंगे।

खुद में बदलाव के लिए तैयार रहना

पीके की यह रणनीति भी रहती है और कांग्रेस ने मौका दिया तो वह निश्चित ही उसमें व्यापक बदलाव के लिए इस रणनीति को अपनाएंगे। यह रणनीति है बदलाव के लिए तैयार रहना। आप कितनी भी पुरानी और दिग्गज पार्टी हों लेकिन वर्तमान समय के साथ नहीं चलेंगे तो सत्ता में वापसी आसान नहीं होगी। इस पर कांग्रेस को भी ध्यान देना होगा। पीके वैसे तो अपना रोडमैप आज के अनुरूप ही बना रहे हैं और उसका आने वाले समय में कांग्रेस फायदा उठाने की भी कोशिश करेगी।



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