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दोस्तों, बिहार को मेधावी छात्रों का गढ़ माना जाता है। एक फिल्म में डॉयलॉग भी था कि यहां हर घर में एक आईएएस, एक इंजीनियर और एक नेता होता ही है। ऐसा ही एक गांव है बिहार में जिसे आईआईटी गांव कहा जाता है। यहां हर घर में आपको आईआईटी से पढ़े इंजीनियर मिल जाएंगे। इन्हें आईआईटियन्स का गांव भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे विलेज ऑफ आईआईटियन्स भी कहते हैं।
story of village of iitians in bihar in hindi। विलेज ऑफ आईआईटियन्स की कहानी
दोस्तों, चलिए आपको इस गांव के बारे में बताते हैं। इस गांव का नाम है पटवा टोली। यह बिहार के गया जिले में स्थित है। इस जगह की पहचान पहले बुनकरों के लिए थी। लेकिन गांव से एक लड़का आईआईटी क्या पहुंचा इस पूरे गांव की किस्मत बदल गई। जिस गांव में गरीबी चरम पर थी आज वह पूरे बिहार के सबसे अधिक शिक्षित गांवों में से एक है। हर घर में शिक्षा का अलख ऐसा है कि हर पढ़ने वाला बच्चा यहां से सीधे आईआईटी में पहुंचने का ही सपना लेकर बड़ा होता है।
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bihar me village of iitians kaha hai। bihar ka iit wala ganw kaha hai। आईआईटी वाला गांव कहां है
दोस्तों, जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया है कि यह गया जिले में स्थित है। गया जिले में एक छोटा सा टोला है जिसे पटवा टोला कहते हैं। इस गांव का एक और नाम रहा है इसे मैनचेस्टर ऑफ बिहार के नाम से भी जाना जाता है। पहले तो इसकी यही पहचान थी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर घर में पावरलूम का काम होता था। यानी यहां के लोग तौलिया, गमछा आदि तैयार करते थे। आज वही अपने बेटों को आईआईटी के लिए तैयार करते हैं।
1992 में इस छात्र ने बदल दी थी पूरे गांव की किस्मत। IIT WALE GAON KI KAHANI
वह वर्ष 1992 था। जितेंद्र प्रसाद नाम के छात्र ने इस टोला से निकलकर आईआईटी में खुद के लिए जगह बनाई। उनके आईआईटी में सलेक्ट होने के बाद उन्होंने कुछ अपने दोस्तों को प्रोत्साहित किया। वे भी लगन से जुटे और आईआईटी में पहुंचे। 2000 में जितेंद्र अमेरिका गए और उनके आगे बढ़ने के इस हौसले ने गांव के अन्य बच्चों में जज्बा भर दिया। सभी को लगने लगा कि अब बुनकर के बच्चे भी आईआईटी तक पहुंच सकते हैं। फिर क्या था सभी बच्चे जुट गए तैयारी में। अभिभावक जुट गए उन्हें आईआईटी तक पहुंचाने के लिए और अधिक मेहनत करने में और फिर तो हर साल जब भी रिजल्ट आता इस गांव से कोई न कोई आईआईटी में जरूर पहुंचता। आजकल तो दर्जनों की संख्या में आईआईटी और एनआईटी में यहां के बच्चे जाते हैं।
जब बच्चों का उत्साह आईआईटी की तरफ बढ़ा तो गांव वालों को जरूरत महसूस हुई कि एक ऐसी जगह हो जहां सभी बच्चे बैठकर पढ़ाई करें। बुनकर लोग थे तो घरों में पढ़ाई का माहौल नहीं था। फिर क्या था चंदा मिलाया गया और गांव में ही एक शानदार लाइब्रेरी का निर्माण कर दिया गया। अब बच्चे स्कूल के समय से ही अपना ज्यादा वक्त इसी लाइब्रेरी में बिताते हैं और लक्ष्य साफ है कि आईआईटी इंजीनियर बनना है।
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हर घर में हैं इंजीनियर, 400 स्टूडेंट हो चुके हैं सफल। bihar me engineers ka gaon kaha hai
बिहार में गया के इस गांव में हर घर में आपको एक इंजीनियर मिल जाएगा। करीब 400 छात्र देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों से पढ़ाई कर रहे हैं या कर चुके हैं। हर साल यहां पर इतिहास रचा जाता है। हर साल यहां आईआईटीएन्स निकलते हैं। हर साल नए बच्चे अपने सपने को साकार करने के लिए जुट जाते हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए ये कड़ी मेहनत करते हैं। तो वहीं, अपने बच्चों का सपना पूरा करने के लिए इनके पैरेंट्स भी खूब मेहनत करते हैं। नतीजा हर साल यहां के गांवों में रिजल्ट निकलने पर खुशियों का माहौल रहता है।
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