क्या भारत में सरोगेट विज्ञापन कानूनी है? surrogate advertising meaning in hindi, surrogate advertising kya hota hai hindi me, Surrogate Advertising in India

surrogate advertising kya hota hai hindi me: दोस्तों, अगर आपको याद हो तो 2021 में अमिताभ बच्चन ने एक पान मसाला का विज्ञापन किया था। बाद में सोशल मीडिया पर जब लोगों ने इसे लेकर सवाल उठाने शुरू किए तो उन्होंने कहा था कि उन्हें मालूम नहीं था कि यह एक सरोगेट विज्ञापन है। इसके बाद उन्होंने विज्ञापन छोड़ते हुए कंपनी को पैसा लौटा दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरोगेट विज्ञापन होता क्या है? सरोगेट विज्ञापन क्यों किया जाता है? इन सारे सवालों का जवाब आज हम इस आर्टिकल में आपको देने जा रहे हैं।

दरअसल, सरोगेट विज्ञापन एक बहुत बड़ा छल है जो लोगों के साथ किया जाता है। छल इसलिए क्योंकि इस एड के बहाने कंपनी किसी और प्रोडक्ट का प्रचार कर रही होती है, जिसका प्रचार प्रतिबंधित होता है। उदाहरण के लिए आपने टीवी पर देखा होगा कि शराब की बड़ी कंपनी अपने प्रचार में सोडा या फिर किसी म्यूजिक सीडी को दिखा रही होती हैं लेकिन इसी बहाने वे असल रूप में अपने शराब का विज्ञापन कर रही होती हैं।

यही खेल सरोगेट विज्ञापन का खेल है। हालांकि अब इस खेल पर भी भारत में प्रतिबंध लग गया है। सेंट्र्ल कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट जो भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय के अंतर्गत आती है, उसने साफ कर दिया है कि ऐसे भ्रामक विज्ञापन टीवी चैनल, यूट्यूब या अखबरों में नहीं दिखा जाएंगे। यह भ्रामक ही है क्योंकि आप एक चीज के आड़ में दूसरे चीज को बेच रहे हैं। तो चलिए अब विस्तार से जान लेते हैं कि surrogate advertising kya hota hai hindi me

सरोगेट विज्ञापन क्या होता है हिंदी में | surrogate advertising kya hota hai hindi me

सरोगेट विज्ञापन वह विज्ञापन होता है जिसके जरिए प्रतिबंधित उत्पादों का किसी और उत्पाद के बहाने प्रचार किया जाता है। जैसे- शराब की कंपनियां टीवी पर सोडा का विज्ञापन दिखाती हैं लेकिन असल में वे शराब का प्रचार कर रही होती हैं। उदाहरण के लिए- मैकडोनाल्ड कंपनी अपने प्रचार में नंबर 1 यारी बोलते हुए सोडे के साथ तीन युवाओं को दिखाती है। इस प्रचार में कहीं भी आपको शराब का जिक्र नहीं मिलेगा। लेकिन नीचे कंपनी का लोगो आएगा और समझने वाले समझ गए कि कंपनी क्या प्रचार करना चाहती है। यही भ्रम फैलाया जाता है सरोगेट विज्ञापन के जरिए।

दरअसल, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीजों जैसे शराब, सिगरेट, पान मसाला आदि के विज्ञापन दिखाने पर प्रतिबंध है। ऐसे में इन्हें बनाने वाली कंपनियां इनके प्रचार के लिए सरोगेट विज्ञापन का सहारा लेती हैं। वे विज्ञापन में अपने किसी और प्रोडक्ट को दिखाती हैं लेकिन इसी बहाने अपने मेन प्रोडक्ट यानी शराब या मान मसाला का प्रचार कर देती हैं।

आसान शब्दों में कहें तो यह विज्ञापन की दुनिया का सबसे घिनौना खेल है। यह समाज को अंधेरे में रखने का एक आपराधिक मामला भी है। आखिर आप ऐसे विज्ञापनों का अप्रत्यक्ष भी प्रचार कैसे कर सकते हैं जो समाज के युवाओं और बच्चों पर या किसी भी इंसान पर गलत असर डाले।

क्या आज के लोग इतना मूर्ख हैं कि वे नहीं समझते कि आखिर किंगफिशर के ड्रिंकििंग वाटर का विज्ञापन दिखाने का क्या मतलब है? या फिर लोग इतने मूर्ख हैं कि वे नहीं समझते कि इंपीरियल ब्लू जो शराब की कंपनी है वह म्यूजिक सीडी का प्रचार क्यों कर रही है। तो यह भ्रम फैलाकर आप प्रतिबंधित चीजों का विज्ञापन करेंगे तो कैसे बर्दाश्त किया जाएगा। चलिए अब आपको surrogate advertising kya hota hai hindi me के तहत बताते हैं कि इस तरह के विज्ञापनों के लिए भारत में क्या कानून है। Surrogate Advertising in India के बारे में अब जानते हैं।

Surrogate Advertising in India in hindi

दोस्तों, भारत में सरोगेट विज्ञापनों पर कड़ा प्रतिबंध है। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि भ्रम फैलाने वाले कोई भी विज्ञापन टीवी, अखबार या यूट्यूब कहीं भी इस देश में नहीं दिखाए जाएंगे। इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत साफ कर दिया है कि ऐसे विज्ञापन बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

दरअसल, 1995 में केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम बनता है और उसके बाद से टीवी पर तंबाकू और शराब जैसे उत्पादों के विज्ञापन पर रोक लगा दी जाती है। बस यहीं से सरोगेट विज्ञापनों ने जन्म लिया। प्रतिबंधित कंपनियों को लगा कि अब वे अपना विज्ञापन कैसे कर पाएंगी तो उन्होंने दूसरे उत्पादों का बहाना बनाया और अपने ब्रांड को चुपके से इन्हीं विज्ञापनों के जरिए प्रमोट करना शुरू कर दिया।

यह खेल लंबा चला। टीवी पर भ्रम फैलाए गए। इन भ्रामक विज्ञापनों की आड़ में लंबे समय तक ये कंपनियां जिनके मेन उत्पाद पर प्रतिबंधत था, बावजूद इसके ये अपने दूसरे प्रोडक्ट मार्केट में लाकर अपना प्रचार करती रहीं और सारा खेल सबके सामने चलता रहा।

आप खुद सोचिए कि पान मसाला वाली कंपनी सिल्वर इलाचयी का नाम लेकर अपना प्रोडक्ट सालों से बेच रही हैं। हमारे महान ऐक्टर इनका प्रचार भी कर रहे हैं। इतना बड़ा झूठ फैलाया जा रहा है और सभी आंखें मूंदे सो रहे हैं। ये सरोगेट विज्ञापन की काली सच्चाई है जो इस समाज के लिए बेहद ही घातक है। surrogate advertising kya hota hai hindi me के तहत अब जानते हैं कि इस विज्ञापन का असली मतलब क्या है और क्यों है यह पूरा खेल।

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surrogate advertising meaning in hindi | सरोगेट विज्ञापन से आप क्या समझते हैं?

सरोगेट विज्ञापन का मतलब ऐसे विज्ञापनों से है जिसकी आड़ में किसी अन्य प्रतिबंधित प्रोडक्ट का प्रचार किया जाता है। जैसे-शराब और सिगरेट के विज्ञापनों पर प्रतिबंध है। तो सिगरेट और शराब बनाने वाली कंपनियां अपने किसी अन्य प्रोडक्ट के लिए विज्ञापन बनवाती हैं लेकिन उसमें लोगो अपनी मेन कंपनी (शराब या सिगरेट वाली कंपनी) का लगाकर गुपचुप तरीके से अपने प्रतिबंधित उत्पाद का प्रचार कर देती हैं।

तो साफ है कि सरोगेट विज्ञापन एक तरह से झांसा देने वाला विज्ञापन है। जिसमें दिखाया कुछ और जा रहा है लेकिन विज्ञापन का असली मकसद कुछ और है। यानी आप सोडे का विज्ञापन देख रहे हैं लेकिन कंपनी उस सोडे के बहाने आपको अपने शराब तक लेकर जा रही है। चूंकि वह शराब का विज्ञापन सीधे टीवी पर नहीं दिखा सकती इसलिए सोडा दिखाकर चालाकी कर रही है।

क्या भारत में सरोगेट विज्ञापन कानूनी है?

भारत में सरोगेट विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक है। अगर कोई किसी भी तरह का भ्रामक विज्ञापन दिखाता है तो फिर वह गैरकानूनी है और उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई हो सकती है। भारत सरकार 2003 में सिगरेट और दूसरे तंबाकू उत्‍पाद एक्ट Cigarettes and other Tobacco Products Act 2003) लेकर आई। इसके तहत तंबाकू और सिगरेट से जुड़े विज्ञापन सीधे तौर पर करने पर 2 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा इस तरह के विज्ञापन दिखाने पर 1 हजार से 5 हजार तक का जुर्माना भी लग सकता है।

इसके अलावा अब सरोगेट विज्ञापनों पर रोक के लिए भारत सरकार ने कुछ नई गाइडलाइंस भी जारी की हैं जिसके तहत हर तररह के सरोगेट विज्ञापनों पर अब अंकुश लग सकेगा। ये हैं नए दिशानिर्देश-

  • भ्रामक और सरोगेट एड नहीं दिखा सकते हैं
  • बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए हानिकारक चीजों को प्रोत्साहित करने वाले विज्ञापन नहीं दिखा सकते हैं
  • वैज्ञानिक तथ्यों के बगैर शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ाने का दावा नहीं कर सकते हैं
  • प्राकृतिक या पारंपरिक खाने की तुलना में विज्ञापन में दिखाए प्रोडक्ट को बेहतर दिखाना बंद करना होगा
  • इसके अलावा डिस्क्लेमर यानी वैधानिक चेतावनी में भी अब चालाकी नहीं चलेगी। यहां फॉन्ट बदल देने या फिर छोटा कर देने वाला खेल अब नहीं चलेगा।
  • इसके अलावा कंपनियां वीओ यानी विज्ञापन के आवाज में भी खेल करती हैं। जब तंबाकू की बात होती है तो बहुत जल्दी जल्दी बोलती हैं अब ऐसा नहीं कर पाएंगी। आराम से अपनी बात रखनी होगी।

दोस्तों, उम्मीद है कि आपको surrogate advertising kya hota hai hindi me के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अब अभी आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे कमेंट में जरूर पूछें हम हर सवाल का जवाब देंगे। हमारी वेबसाइट kyahotahai.com को गूगल में सर्च करते रहें और हमें अपना सहयोग दें। लव यू…)



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