8 मार्च को दुनियाभर में महिलाओं का खास दिन मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कहते हैं।

अपने देश में भी इस दिन अलग-अलग क्षेत्र की महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। तमाम मंचों से महिलाओं के जज्बे को सलाम किया जाता है।

पर, आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसकी शुरुआत क्यों हुई थी और इसके पीछे उद्देश्य क्या था।

तो चलिए आज इस पर विस्तार से बात कर लेते हैं।

सबसे पहले जब इसका जिक्र आता है तो रूस की कुछ महिलाओं की चर्चा होती है। रूस की ये महिलाएं ब्रेड एंड पीस की मांग को लेकर 1917 में हड़ताल की थीं।

ये हड़ताल 8 मार्च को शुरू हुई और यह एक ऐसी हड़ताल बन गई जैसी हड़ताल दुनिया में कभी हुई ही नहीं थी।

पहली बार बड़ी संख्या में महिलाएं अपने हक के लिए कोई मांग कर रही थीं और वो भी पूरी मजबूती से।

इसके बाद यह हुआ कि जब रूस के जार ने सत्ता छोड़ी तब वहां की अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दे दिया।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत एक आंदोलन के रूप में हुई। आज से करीब 113 साल पहले साल 1908 में इसकी शुरुआत हुई।

कहा जाता है कि जब अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में करीब 15 हजार महिलाओं ने मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों, अच्छी सैलरी और वोटिंग के अधिकार की मांग की तो पूरी दुनिया ने उनके लिए तालियां बजाईं। उनके साहस को सलाम किया।

सबसे पहले अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर इस दिवस को 28 फरवरी 1909 में मनाया गया।

बाद में 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा भी दे दिया गया।

कहा जाता है कि 19 मार्च, 1911 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस डेनमार्क और जर्मनी में आयोजित किया गया

हालांकि साल 1921 में इस तारीख को बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। तब से महिला दिवस पूरी दुनिया में 8 मार्च को ही मनाया जाता है।

महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने और समाज में उन्हें भी बराबरी का हक देने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है।

महिलाओं के इस आंदोलन को सफलता मिली, और एक साल बाद ही सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया, जिसके बाद इसकी शुरुआत हो गई।
हर साल महिला दिवस किसी ना किसी थीम पर आधारित होता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 (IWD 2022) की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ यानी मजबूत भव‍िष्‍य के ल‍िए लैंग‍िक समानता जरूरी है।
आज के बदलते समय के साथ इसको मनाने का तरीका भी बदल गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं के प्रति सम्मान और उनको समाज में बराबरी का दर्जा दिलाना है।

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