October 22, 2024

यदि कोई चन्द्रायण का व्रत करना चाहे तो शरद पूर्णिमा से शुरू कर अगली पूर्णिमा तक रखना चाहिये। रोज नहा-धोकर तुलसी की पूजा करनी चाहिए। पूजा-गृह में हर समय दीपक जलाए रखना चाहिए। तुलसी दल व गंगाजल पीना चाहिए या एक गिलास दूध या ठण्डाई या फलों आदि का रस ही पीना चाहिए। व्रती को पहले दिन एक ग्रास, दूसरे दिन दो ग्रास करके पन्द्रहवें दिन पन्द्रह ग्रास खाने चाहिए। अगले पन्द्रह दिनों में एक-एक ग्रास कम करें। पूर्णिमा को ब्राह्मणों को भोजन कर परिवार के सभी सदस्यों को भोजन खिलाने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर, सासू जी के पांव छूकर, उन्हें भी रुपया देना चाहिए। इस प्रकार धर्म-कार्य करके पुण्य मिलता है।

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