दोस्तों, आज हम लोग सूर्य ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी हासिल करेंगे। यह कब होता है ? क्यों होता है ? इसके पीछे वजह क्या है ? कैसे होता है ? इसका असर क्या होता है? यह सारी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलेगी। तो चलिए शुरू करते हैं। अंत तक बने रहिएगा और स्टोरी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करिएगा।
सूर्य ग्रहण कब होता है?
दोस्तों जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो फिर ऐसी घटना होती है जिसमें चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए छिप जाता है। इसी घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। खगोल विद्या के अनुसार हमेशा ही अमावस्या को यह घटना होती है।
पूर्ण ग्रहण के बारे में बताइए
दोस्तों पूर्ण ग्रहण के बारे में चलिए अब जान लेते हैं। दरअसल, जब भी चंदा द्वारा सूरज को पूरी तरह ढक लिया जाता है तब पूर्ण ग्रहण हो जाता है। कहा जाता है कि धरती के बहुत ही कम क्षेत्र में पूर्ण ग्रहण को देखा जाता है।
सूर्य ग्रहण के कितने प्रकार होते हैं
दोस्तों सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
दोस्तों पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस समय चंद्रमा पृथ्वी के काफी पास होता है। यह पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में पूरी तरह से ले लेता है। इसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच उतना ही आए कि सूर्य का कुछ हिस्सा ही पृथ्वी से दिखाई ना देता हो।
वलयाकार सूर्य ग्रहण
यह वह सूर्य ग्रहण है जब चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूर रहते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है। इस स्थिति में अगर हम पृथ्वी से सूर्य को देखेंगे तो वह वलय आकार का दिखेगा और उसका काफी हिस्सा चंद्रमा से ढका नहीं होगा।
खगोल शास्त्र के मुताबिक सूर्य ग्रहण
दोस्तों खगोल शास्त्रियों की मानें एक वर्ष में 5 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण होते हैं।
खगोल शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो सूर्य ग्रहण होने चाहिए। अगर दो ही ग्रहण किसी साल होता है तो दोनों को सूर्य ग्रहण ही माना जाता है।
सूर्य ग्रहण की अवधि
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक सूर्य ग्रहण की अवधि अधिक से अधिक 11 मिनट की होती है।