3 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं, छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाएं, घर में बच्चों को कैसे पढ़ाएं, tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye: दोस्तों, एक बार फिर हम आपके लिए एक जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। तीन साल के बच्चे को पढ़ना कैसे सीखाएं? हर मां-बाप यही चाहता है कि जब उसका बच्चा तीन साल का हो जाए तो पढ़ना शुरू कर दे। प्ले स्कूल में नाम लिखा दिया जाता और फिर बच्चा स्कूल जाने लगता है। लेकिन मां-बाप को लगता है कि वो सीख नहीं रहा है। घर पर वे बैठाते तो हैं पढ़ने के लिए लेकिन उन्हें लगता है कि चीजें याद तो कर ले रहा है लेकिन लिख नहीं रहा है। ऐसे में पैरेंट्स परेशान हो जाते हैं। तो इस आर्टिकल में एक्सपर्ट्स से बातचीत के बाद हम बेहद ही सरल तरीके से यह बताने जा रहे हैं कि आखिर तीन साल के बच्चे को पढ़ना कैसे सीखा सकते हैं। तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।

दोस्तों, सबसे पहले तो पैरेंट्स को यही नहीं पता होता है कि किस उम्र से बच्चों की पढ़ाई शुरू करा देनी चाहिए। तो इसका जवाब है कि अगर बच्चा तीन साल का हो गया है तो अब धीरे-धीरे उसकी पढ़ाई शुरू करा दीजिए। अगर अभी आप उसे स्कूल नहीं भेजना चाहते तो कोई बात नहीं घर पर ही कम से कम तीन घंटे उसे बिल्कुल क्लासरूम की तरह बैठाकर पढ़ाइए।

लेकिन यह घर पर संभव नहीं है। इसके अलावा जब आप उसे स्कूल में भेजेंगे तो वह दूसरे बच्चों के साथ जब तीन चार घंटे रहेगा तो उसका दिमाग कई तरह से विकसित होगा। घर में एक चाहरदीवारी में वह बंद है। गांवों में तो फिर भी उसके पास कई लोग हैं लेकिन शहरों में तो वह अपने मकान तक कैद है। ऐसे में उसका पूरा विकास नहीं हो पाएगा। ऐसे में जितना जल्दी हो यानी तीन साल के बाद तो उसे स्कूल के माहौल में डाल ही दीजिए। tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye इसीलिए गूगल पर इतना सर्च होता है।

तीन साल पर स्कूल में डालने के क्या फायदे हैं यह हम इस आर्टिकल में आपको नीचे बताएंगे। अभी बस इतना जान लीजिए कि तीन साल की उम्र बच्चे के लिए पढ़ाई शुरू करा देने की सबसे सही उम्र है। अब बच्चा पूरा वाक्य बोलने लगता है और सुनी हुई कविता या क ख ग और ए बी सी डी याद करने लगता है। कई बच्चे दिमाग से तेज होते हैं उन्हें तो सबकुछ रट जाता है।

लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत होती है उन्हें लिखवाने में। कोई भी चीज धीरे-धीरे ही आती है। अगर आप तीन साल से उसे पेंसिल थमाएंगे तो कहीं जाकर वह चार साल में सही से लिखना शुरू करेगा। आज की जिंदगी बहुत फास्ट है ऐसे में तीन साल में पेंसिल आपको पकड़ा ही देनी चाहिए। चलिए अब tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye के तहत सबसे पहले आपको बताते हैं कि तीन साल में पढ़ाई क्यों शुरू करा देनी चाहिए।

तीन साल में पढ़ाई क्यों शुरू करा देनी चाहिए | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • बच्चों का संपूर्ण विकास होता है।
  • कई बच्चे बोल पाने में दिक्कत महसूस करते हैं अगर अभी से उन्हें बच्चों के बीच में डालेंगे तो वह बोलना शुरू कर देंगे।
  • कई बच्चे हाईपर ऐक्टिव होते हैं। वे एक जगह टिककर नहीं बैठते। बाद में यह रोग में बदल जाता है जिसे जीवन भर आपको झेलना पड़ेगा। ऐसे में उसे स्कूल में डालिए तो टिककर बैठना सीख जाएगा।
  • कुछ बच्चों में ऑटिज्म जैसा लक्षण बचपन से मिलने लगता है तो मां-बाप डर जाते हैं। लेकिन यह नहीं देखते कि गलती कहां हो रही है। बच्चों को बच्चे के बीच में डाले ही नहीं। समाज में रखेंगे ही नहीं तो उसमें दिक्कत तो आएगी ही। ऐसे में उसे तुरंत स्कूल में डालिए।
  • कुछ बच्चे दब्बू होते हैं। कुछ लोगों के बीच में बोल नहीं पाते हैं। डरते हैं। बच्चों को देखकर भी डरते हैं। ऐसे बच्चों को जितना जल्दी हो स्कूल के माहौल में डालिए।
  • कुछ बच्चे शरारती होते हैं। घर पर लाड प्यार से बिगड़ जाते हैं। तो इन्हें स्कूल डालना जरूरी है।
  • हर समय मोबाइल में आजकल बच्चे चिपके रहते हैं. इससे उन्हें कई तरह के रोग भी हो रहे हैं। ऐसे में ३ साल से ही जब उन्हें स्कूल भेजना शुरू कर देंगे तो कुछ समय के लिए मोबाइल से दूरी बनेगी और धीरे-धीरे वे मोबाइल से दूर हो जाएंगे।
  • तीन साल से स्कूल जाने पर वह सामान्य बच्चों की तरह बोलना, पढ़ना और खेलना कूदना सीखेगा।
  • बच्चों के बीच में जितने ही बच्चे रहते हैं उतना ही उनका दिमाग तेज होता है।
  • बच्चों के मानसिक रोग से जुड़े कई मसले स्कूल भेजते ही दूर हो जाते हैं. खुद डॉक्टर भी इसको मानते हैं।
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तीन साल के बच्चे को पढ़ना कैसे सीखाएं | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • F,अभी आपका बच्चा सिर्फ तीन साल का है इसलिए धैर्य से काम लें और पहले उसे एक जगह पर बैठना सीखाएं।
  • अगर स्कूल में दाखिला करा दिया है तो सिर्फ स्कूल के भरोसे ना रहें।
  • घर पर कम से कम दो घंटे आपको उसे पढ़ाना ही पढ़ाना है।
  • सबसे पहले तो उसके लिए ऐसी कॉपी लाइए जिसमें लाइन्स बने हों और उन्हें उस लाइन्स को भरते हुए हर वर्ड लिखने के लिए सिखाना है।
  • गांवों में कहते हैं कि जो बच्चा जीरो बनाना यानी गोली बनाना सीख गया तो वह धीरे-धीरे हर वर्ड लिख लेगा।
  • ऐसे में आपको सबसे पहले बच्चे को गोली बनाना यानी जीरो बनाना सीखाना है।
  • धैर्य नहीं छोड़ना है। कई मां-बाप एक दो दिन पढ़ाते हैं और बच्चा नहीं सिखता है तो कहते हैं कि इसका मन पढ़ाई में नहीं लगता और उसे पढ़ाना छोड़ देते हैं।
  • आप खुद सोचिए सिर्फ तीन साल की उम्र में आप क्या करते थे। यह सोचकर उसे पढ़ाइए।
  • मारिए मत। डांटिए मत। अगर ऐसा करेगे तो वह आपके पास नहीं बैठेगा।
  • प्यार से पुचकारिए। हर छोटी से छोटी बात पर उसका हौसला बढ़ाइए।
  • अगर वह कुछ गलत भी बना रहा है तो उसे बनाने दीजिए।
  • जैसे ही वह कुछ अच्छा बनाए तो तुरंत ताली बजाइए। उसे कुछ गिफ्ट दीजिए जैसे चॉकलेट या कुछ और। इससे वह प्रोत्साहित होगा।
  • हिंदी और अंग्रेजी के अक्षरों का बड़ा चार्ट घर पर रखिए। इस चार्ट में हर शब्द पर खुद अपनी उंगली और बच्चे की उंगली रखकर तेज-तेज बोलकर उसे पढ़ना सीखाइए।
  • इससे अक्षर ज्ञान के साथ-साथ तस्वीर के जरिए वह अक्षर उसके मन मस्तिष्क में बैठता जाएगा।
  • उसे इसके साथ-साथ रंगों का भी ज्ञान होता जाएगा।
  • खेल-खेल में पढ़ना सीखाइए। बोरिंग हो जाने पर बच्चा मन नहीं लगाएगा।
  • छोटे बच्चों को सीखाने का अच्छा तरीका है कि उसे मन भर कलर करने दीजिए। उसका मन कलर करने में अधिक लगता है।
  • ऐसे में आप अलग-अलग चित्र बनाइए। उसे बताइए कि बेटा ये ऐपल है। ऐपल रेड होता है तो चलो इसमें रेड कलर भरो।
  • अब देखिए आप एक साथ तीन चीजें उसे बता रहे हैं। एक तो अक्षर ए का ज्ञान दे रहे हैं। दूसरा ए फॉर एपल होता है यह बता रहे हैं और तीसरा एपल रेड होता है यानी कलर का ज्ञान दे रहे हैं।

कहानियां सुनाते हुए पढ़ाइए | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • बच्चों को कहानियां सुनना पसंद होता है। पहले संयुक्त परिवार होता था तो दादा-दादी और नाना-नानी कहानियां सुनाते थे लेकिन एकल परिवार में यह जिम्मेदारी आपको खुद निभानी है।
  • हर रोज सोने जाते समय आप यह तय कीजिए कि उसे एक कहानी जरूर सुनाएंगी।
  • इस कहानी को सुनाते हुए आप उसे बीच-बीच में शब्दों का ज्ञान देते रहिए।
  • उदाहरण के लिए जब आप खरगोश और कछुए की कहानी सुनाइए तो आप रैबिट के बारे में बता सकती हैं। आर फॉर रैबिट होता है। इस पर जोर देकर उसे बताइए।
  • कहानियां सुनते हुए बच्चा जो भी अपने दिमाग में अंकित करता है वह हमेशा के लिए उसका हो जाता है।
  • हर तरह की कहानी सुनाइए। प्रेरक प्रसंग मोटिवनेशन कहानी इससे उसका फ्यूचर भी आप मजबूत करते चलेंगे।
  • कहानियां सुनाते हुए आप उसे रिश्तों का भी ज्ञान दीजिए। यह जान लीजिए यह कोमल मन है और मिट्टी का दिमाग है इसे आप अभी जितना और जैसे शेप देना चाहें दे सकते हैं। बाद में नहीं दे पाएंगे।

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खेल-खेल में पढ़ाइए | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • बच्चों को खेल अधिक पसंद होता है तो आप इसी खेल को उसे पढ़ाने का तरीका बना लीजिए।
  • जैसे उसके साथ शब्दों को जोड़ने वाले गेम्स खेलिए। उसे मजा भी आएगा और अक्षर ज्ञान भी होगा।
  • अलग-अलग अक्षरों वाले खिलौने लाइए और उसके साथ खेलने को दे दीजिए।
  • जानवरों वाले खिलौनों के साथ खेलिए तो उनके नाम सीखेंगे।
  • फलों वाले खिलौनों के साथ खेलने पर उनके बारे में सीखेंगे।
  • आप खुद उनके साथ खेलिए और खेल खेल में ही बीच बीच में इनके रंग और लेटर्स के बारे में उन्हें बताते रहिए।
  • इनडोर और आउटडोर दोनों ही तरह के गेम्स उन्हें खेलाइए और साथ में उन्हें सीखाइए।

कुछ न कुछ उनसे पूछते रहें | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • कई मां-बाप बच्चों को पढ़ाते तो हैं लेकिन जल्दी जल्दी सिर्फ उन्हें कुछ लिखाकर अपना कोरम पूरा करा हुआ मान लेते हैं। माफ कीजिएगा लेकिन आप सही नहीं कर रहे हैं।
  • आपका बच्चा है और उसे कुछ बनाना है तो आपको टाइम देना पड़ेगा।
  • कोरम पूरा मत कीजिए बल्कि सही में उसे टाइम दीजिए।
  • उससे कुछ न कुछ जरूर पूछते रहिए।
  • सवाल करते रहिए इससे बच्चों का दिमाग विकसित होता है।
  • उन्हें खुद भी सवाल करने की आदत बनती है जो बाद में उन्हें काम आती है।
  • हर सवाल का जवाब देने की क्षमता उनमें विकसित होती है।

तीन साल के बच्चों को पढ़ाते हुए मां-बाप ये गलती ना करें | tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye

  • धैर्य ना खोएं।
  • गुस्सा ना करें।
  • किसी भी गलती पर डांटे नहीं।
  • अधिक लाड़ प्यार भी ना करें।
  • बच्चा कोई भी सवाल करे तो उसे टालें नहीं।
  • मोबाइल देकर खुद को फ्री करने की भूल ना करें।
  • एक ही बार में सब सीखा देने की कोशिश ना करें।
  • बच्चा जितनी बार एक ही सवाल पूछे हर बार जवाब दें।
  • नीरस होकर नहीं उसमें रूचि लेकर पढ़ाएं।
  • बच्चे को पढ़ाते समय खुद भी मोबाइल में न देखते रहें यानी मोबाइल को दूर रखकर उसके पास बैठें।
  • आपस में बात न करते रहें उस समय फोकस उसी पर होना चाहिए।
  • बच्चों के सामने लड़ाई ना करें।
  • बच्चों के सामने ऐसी कोई बात ना बोलें जिससे बाद में आपको शर्मिंदा होना पड़े। क्योंकि बच्चे हर बात कॉपी करते हैं।

आज आप क्या सीखकर जा रहे हैं

दोस्तों, आज आपने जाना कि tin saal ke bache ko padhna kaise sikhaye यानी तीन साल के बच्चों को कैसे पढ़ाएं के बारे में जानकारी ली। इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो नीचे कमेंट में पूछिए। हमें जवाब देकर खुशी होगी। हमारे वेबसाइट को गूगल में सर्च करके यहां आते रहिए। लव यू रहेगा इसके लिए…।

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