December 21, 2024
lightining

दोस्तों आइए आज कुछ नई जानकारी हासिल करते हैं। अक्सर आप सुनते हैं कि अमुक जगह बिजली गिरी और कुछ लोगों की मौत हो गई। आखिर ये बिजली गिरती कैसे है? बिजली गिरने पर बचाव के क्या उपाय हैं? बिजली का कड़कना किसे कहते हैं? आइए, आज इन सबकी जानकारी हम आपको देते हैं।

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि बिजली चमकती कैसे है?
दरअसल, गर्मी में समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर उठता है। जैसे-जैसे यह ऊपर जाता है वैसे-वैसे तापमान में कमी आती है। जी हां, आपको बता दें कि प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की कमी आ जाती है।

ऊपर जाने पर ये धीरे-धीरे बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े का रूप ले लेते हैं। दोस्तों, आप लोग कई बार देखते हैं कि आसमान से बर्फ गिरता है। ये वही बर्फ है। बादलों के बीच जो यह बर्फ बनता है यही कई बार आसमान से नीचे गिरता है और हम आप कहते हैं कि देखो आसमान से बर्फ गिर रहा है।

*अब समझिए कि इसमें बिजली कैसे पैदा होती है?*

दरअसल, ये जो बर्फ आसमान में बनते हैं यही बर्फ हवा के कारण आपस में टकराने लगते हैं। इस कारण से घर्षण उत्पन्न होता है। इसी घर्षण से स्टेटिक करंट उत्पन्न होता है।

इस करंट का पॉजिटिव चार्ज ऊपर चला जाता है और निगेटिव चार्ज नीचे चला आता है। अब यही निगेटिव चार्ज पॉजिटिव चार्ज को ढूंढ़ता है। अब इसे जहां पॉजिटिव चार्ज मिल जाता है, ये वहीं गिर जाता है।

*धरती पर ही क्यों गिरता है?*
अब इसे ऐसे समझिए कि जब बादल आएंगे तब जमीन पर भी हवा चलने लगती है। अब इस कारण से घास वगैरह में भी हवा के कारण घर्षण होता है। अब इनका जो घर्षण होता है उसमें पॉजिटिव ऊपर होता है और निगेटिव नीचे धऱती के अंदर चला जाता है। ऐसे में जैसे ही पॉजिटिव मिलता है ऊपर से निगेटिव चार्ज नीचे गिर जाता है और इसे ही हम लोग वज्रपात या बिजली का गिरना कहते हैं।


*समझिए कि कितना खतरनाक होता है आसमानी बिजली?*

आसमानी बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी कहीं ज्यादा होता है।

आसमानी बिजली का वोल्टेज करीब 10 करोड़ वोल्ट का होता है। सोचिए कि हम आपके घर में जो बिजली प्रयोग में लाते हैं वह सिर्फ 220 वोल्ट को हाता है।

आसामानी बिजली में जो करंट होता है वह 10 हजार एम्पियर होता है। अब इसे ऐसे समझिए कि सिर्फ 5 एम्पियर पर हमारा फ्रिज, कूलर आदि चल जात है।

इसका हिट 27 हजार से 30 हजार डिग्री सेल्सियस तक होता है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सूर्य के सरफेस का तापमान 6 हजार डिग्री सेल्सियस ही है।

*राहत की बात क्या है*
आकाशीय बिजली में राहत की बात सिर्फ यह है कि करंट भले ही इसमें बहुत अधिक है लेकिन यह रहता है बहुत कम समय के लिए। समझिए कि सेकंड के भी 500वें भाग तक ही यह रहता है।


*इसमें आवाज क्यों आती है?*
तो दोस्तों अभी हमने ऊपर आपको बताया कि इस बिजली का टेंपरेचर तो बहुत अधिक होता है। करीब 30 हजार डिग्री सेल्सियस तक। वहीं अगर हवा में बारिश की बूंदों की बात करें तो वह तो ठंडा होता है। तो ऐसे में ठंडे पर जब कुछ गर्म चीज ले जाएंगे तो आवाज बहुत तेज होता है। उदाहरण के लिए किचन के आप समझ लीजिए। अगर खौलते तेल में पानी की कुछ बूंद पड़ जाए या कोई सब्जी ही डाल दें तो कैसे छनछना उठता है। बिजली का टेंपरेचर इतना तेज होता है कि वायुमंडल की हवाएं दूर होने का प्रयास करती हैं। तो यह हवा के पास जो नमी होती है उसे वाष्प बनाकर यह तेजी से दूर हटाता है जिससे तेज आवाज होता है।

अब जानते हैं कहां ज्यादा बिजली गिरने की संभावना रहती है?

मोबाइल फोन के पास- मोबाइल टावर से कनेक्ट रहता है। इसलिए वहां चांस अधिक रहता है।

पेड़ के पास भी बिजली अधिक गिरने की संभावना रहती है।

खाली मैदान में भी बिजली कड़कने पर भागना नहीं चाहिए, वहां भी खतरा अधिक रहता है।

खिड़की के पास भी नहीं खड़ा होना चाहिए, वहां भी संभावना रहती है।

तालाब के पास भी बिजली गिरने की संभावना अधिक रहती है।

बिजली कड़कने पर टावर के पास भी नहीं रहना चाहिए।

बिजली कड़के तो कभी भी छाता नहीं खोलना चाहिए। यह बहुत बड़ी गलती होती है।


*अब कुछ और तथ्य जान लीजिए*
आसमानी बिजली महिला के मुकाबले पुरुष पर अधिक गिरता है। एक अनुमान है कि 80 फीसदी पुरुष तो सिर्फ 20 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं।

आसमानी बिजली का सबसे अधिक असर हमारे ब्रेन पर पड़ता है। हर्ट और लंग्स को भी ज्यादा प्रभावित करता है।

कहा जाता है कि जहां एक बार बिजली गिरती है, वहां दोबारा नहीं गिरती। यह गलत तथ्य है। अमेरिका में स्टैचू आफ लिबर्टी के पास कई बार बिजली गिर चुका है।


*यह भी ध्यान रखिए*

अगर आप कहीं बाहर हैं। खुले में हैं तो भागिए मत। खड़े भी मत रहिए। तुरंत नीचे बैठ जाइए। कान ढक करके बैठिए। एक दूसरे से कम से कम 100 फीट की दूरी बनाकर बैठिए।

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