November 14, 2024

थैलेसीमिया एक जन्मजात बीमारी है जो माता पिता के जीन्स से बच्चों को मिलती है , जिसकी वजह से बच्चे को जन्म से लेकर मृत्यु तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत रहती है, थैलेसीमिया एक ऐसा ब्लड डिसॉर्डर है, जिसकी वजह से मरीज के शरीर में RBC यानी रैड ब्लड सेल्स कम बनती हैं या बनती ही नहीं या जिस फॉर्म और रूप में बननी चाहिए उस फार्म में नहीं बनती!!

थैलेसीमिया के प्रकार


1-माइनर थैलेसीमिया
2-मेजर थैलेसीमिया

1-माइनर थैलेसीमिया

माइनर थैलेसीमिया एक तरह से बीमारी तो नहीं है क्योंकि इसका किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता है, बस आम तौर पर माइनर थैलेसीमिया कैरियर की हीमोग्लोबिन 12.5 से नीचे ही रहती है मतलब की RBC पूरी मात्रा में नही बनती और जहां तक हमारी जानकारी है RBC जिस रूप और फॉर्म में बननी चाहिए उसमें भी नहीं बनती
लेकिन एक बार फिर कहते हैं कि *माइनर किसी तरह की बीमारी नहीं है* ये बस एक अवस्था है हमारे ब्लड की!

2-मेजर थैलेसीमिया

मेजर थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में RBC नहीं बन पाती जिसकी वजह से मरीज को जन्म से लेकर मृत्यु तक ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है ,
जिसका एक मात्र इलाज है *बोन मेरो ट्रांसप्लांट*

मेजर थैलेसीमिया का कारण.


दो माइनर थैलेसीमिया कैरियर की अगर आपस में शादी हो जाये तो उनसे जो बच्चा पैदा होगा उसके 50 फीसदी चांस होते हैं कि वो मेजर पैदा होगा*
*और केवल व केवल मेजर पेशेंट के दुनिया में आने की वजह ही यही है कि दो माइनर की आपस में शादी और फिर उनसे बच्चे का पैदा होना*

रोकथाम इलाज व बचाव


*शादी करने से पहले अगर दोनों पक्षों का माइनर थैलेसीमिया टेस्ट करा लिया जाये और अगर दोनों माइनर हैं तो उनकी शादी रोक दी जाये तो मेजर बच्चे को दुनिया में आने से रोका जा सकता है* और इस विश्व को थैलेसीमिया मुक्त बनाया जा सकता है!

*शादी भी हो गई है तो गर्भधारण से पहले पति पत्नी दोनों माइनर थैलेसीमिया टेस्ट करायें अगर दोनों माइनर हैं तो बच्चे को न बनायें*

अगर गर्भ भी हो गया हो तो कम से कम जन्म देने से पहले ही बच्चे का थैलेसीमिया मेजर होने का टेस्ट करायें और *अगर बच्चा मेजर है तो अबौर्शन ही एक मात्र उपाय है जो कि लीगल है*

थैलेसीमिया का इलाज


थैलेसीमिया मेजर का मात्र एक इलाज इस दुनिया में है वो है *बोन मैरो ट्रांसप्लांट*, जो की बहुत ही खर्चीला है लगभग 20 लाख का खर्च आता है भारत में

जिसकी वजह से हमारा आर्थिक रूप से मध्यमवर्ग या पिछड़ा वर्ग का परिवार इसका इलाज भी नहीं करा सकता!!!!

*दूसरा तो वही ऑप्शन है जब तक बच्चा जीवित है ब्लड चढ़वाते रहो*

तो दोस्तों खुद भी एक कसम खाओ कि *कुंडली मिले या न मिले लेकिन हम शादी से पहले अपना खुद का माइनर थैलेसीमिया टेस्ट करायेंगे ही करायेंगे* क्योंकि आप समझ सकते हैं कि अगर बच्चे को हर 15 दिन मे कैंडला (एक मोटी प्लास्टिक की निडल) हाथ में लगवानी पड़े तो बच्चे पर क्या गुजरती है ???
और उस माँ बाप पर क्या गुजरती है जिसका बच्चा इस खतरनाक बीमारी से पीड़ित हो अब फैसला आपके हाथ में है….

हाँ एक बात और दोस्तों ये जो ऊपर बात की गई है वो भविष्य की बात की गई है लेकिन उनके लिए क्या करेंगे जो हाल फिलहाल वर्तमान में इस भयानक बीमारी से जूझ रहे हैं ?

दोस्तों ऐसे मासूम बच्चों के लिए प्लीज़ प्लीज़ हर तीसरे महीने बिना किसी से पूछे , बिना किसी से कुछ कहे अपने आस पास किसी भी ब्लड बैंक मे जाकर ब्लड डोनेट करें (और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें) ताकि इन मासूम बच्चों को समय पर ब्लड मिल सके
इस जानकारी को इतना फैलाइये की हम थैलेसीमिया मुक्त भारत का सपना देख सकें..

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