October 4, 2024

स्त्रियों का यह त्यौहार जनसमाज में बहुत प्रचलित है। यह ऐसा अवसर है जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर-सी बिछा देती है। इस दिन किसान लोग मल्हार गाते हैं। इसे आबाल-वृद्ध सारा स्त्री समाज विधि-विधानपूर्वक करता है। घर-घर में झूले पड़ते हैं। नारियों के समूह के समूह गा-गाकर झूला झूलते हैं। इस माह लड़कियों को ससुराल से पीहर में बुला लेना चाहिए। जिस लड़की के विवाह के पश्चात् पहला सावन आया हो उसे ससुराल में नहीं छोड़ना चाहिए । सुंदर-से-सुंदर पकवान पकाकर बेटियों को सिंघारा भेजना चाहिए । सावन में सावन में हिंडोले पर झूलना चाहिए। सुहागी मणस कर सासू के पाँव छूकर उसे देनी चाहिए। यदि सास न हो तो जेठानी अथवा किसी वयोवृद्धा को देना शुभ होता है। इस तीज पर मेंहदी लगाने का विशेष महत्व है। स्त्रियाँ मेंहदी से हाथों पर भिन्न-भिन्न प्रकार के बेल-बूटे बनाती हैं। मेंहदी रचे ये हाथ बड़े सुन्दर लगते हैं। इस तीज पर मेंहदी रचाने की कलात्मक विधियाँ परम्परा से स्त्री समाज में चली आ रही हैं। स्त्रियाँ पैरों में आलना भी लगाती हैं जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है।

इस तीज पर तीन बातों को तजने (छोड़ने) का विधान है– (१) पति से छल कपट, (२) झूठ एवं दुर्व्यवहार तथा (३) परनिंदा ।कहते हैं कि इस दिन गौरी विरहाग्नि में तप कर शिव से मिली थीं। इस दिन जयपुर में राजपूत लाल रंग के कपड़े पहनते हैं।

श्री पार्वती जी की सवारी बड़ी धूमधाम से निकलती है। राजा सूरजमल के शासनकाल में इस दिन पठान कुछ स्त्रियों का अपहरण करके ले गए थे, जिन्हें राजा सूरजमल ने छुड़वा कर अपना बलिदान दिया था। उसी दिन से यहाँ मल्ल युद्ध का रिवाज शुरू हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *