November 21, 2024
sedition law hindi me 2022



राजद्रोह कानून का इतिहास | राजद्रोह कानून के बारे में हिंदी में | sedition law hindi me 2022 | राजद्रोह कानून | राजद्रोह कानून का उद्देश्य क्या है | Rajdroh kanoon Kya Hai


दोस्तों, आजकल आप खूब चर्चा सुन रहे होंगे राजद्रोह कानून के बारे में। इसे अंग्रेजी में sedition law कहते हैं। sedition law hindi me में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। आपको हम इस बारे में पूरी जानकारी सरल भाषा में समझाने जा रहे हैं। तो दोस्तों, पूरा आर्टिकल पढ़िएगा और इसे शेयर भी करिएगा। हमारे वेबसाइट पर आने के लिए लव यू रहेगा दोस्तों, तो चलिए शुरू करते है और sedition law hindi me 2022 के बारे में विस्तार से बताते हैं।

sedition law hindi me 2022

सबसे पहले तो बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला देते हुए sedition law यानी राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। इस कानून पर रोक की मांग लंबे समय से हो रही थी। आखिर ऐसा क्यों हुआ। क्यों रोक लगाने की मांग की गई। यह हम नीचे बताएंगे। पहले आप जान लीजिए कि आखिर यह कानून है क्या। इससे काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगा। sedition law hindi me 2022 के बारे में नीचे आपको कई सारे प्वाइंट्स मिलेंगे। इसमें आपका भ्रम काफी दूर हो जाएगा।

Rajdroh kanoon Kya Hai hindi me | sedition law hindi me 2022

दोस्तों, यह एक ऐसा कानून है जिसके जरिए अगर कोई भी व्यक्ति ध्यान दीजिएगा इस बात पर कोई भी व्यक्ति। जी हां, कोई भी व्यक्ति जो देश का नागरिक है वह सरकार के खिलाफ कुछ बोल रहा है, लिख रहा है या किसी भी तरह की अन्य सामग्री का प्रयोग कर रहा है, जिससे कि देश और इसके संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश सामने आए तो फिर उस शख्स के खिलाफ आईपीएसी की धारा 124A के तहत तुरंत केस दर्ज किया जा सकता है।

राजद्रोह कानून के बारे में हिंदी में | sedition law hindi me 2022

दोस्तों, इस कानून के बारे में तो हमने आपको ऊपर बताया ही। इसमें यह भी जान लीजिए कि यह एक गैर जमानती अपराध है। यानी कि अगर आपके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत केस दर्ज हुआ तो फिर आपकी जमानत नहीं होगी।

राजद्रोह कानून में कितने साल की सजा होती है

दोस्तों, यह अच्छा सवाल है। यह काफी पुराना कानून है। इस कानून के मुताबिक आरोपी शख्स को तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा उस पर जुर्माना भी ठोका जा सकता है। इसके अलावा यह ऐसा खतरनाक कानून है कि आप सरकारी नौकरी से भी वंचित हो जाएंगे। sedition law hindi me 2022 के बारे में पढ़ते हुए आपको राजद्रोह और राष्ट्रद्रोह के बारे में भी जानना चाहिए। कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। तो नीचे पढ़िए कि आखिर दोनों में अंतर क्या है।

राष्ट्रद्रोह और राजद्रोह में क्या अंतर है?

दोस्तों, बहुत ही शानदार सवाल आप लोगों ने किया है। काफी लोग हैं जो इन दोनों को एक ही समझ लेते हैं। यह गलत है। चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि इन दोनों में आखिर अंतर क्या है। तो दोस्तों, जान लीजिए कि अगर वर्तमान सरकार के खिलाफ कोई फैसला किया जाए या कोई साजिश रची जाए जिससे उसे नुकसान को अंदेशा हो तो फिर राजद्रोह लग जाएगा। लेकिन अगर कोई व्यक्ति पूरे देश के साथ गद्दारी करे। देश के साथ विश्वासघात करे तो फिर उस पर राष्ट्रद्रोह लगेगा और उसका अपराध बहुत बड़ा है। जैसे अगर कोई पाकिस्तान का साथ दे और भारत की तमाम खूफिया चीजों को उसके साथ शेयर करे तो वह राष्ट्रद्रोह है। sedition law hindi me 2022 में अब आपको इसकी धारा के बारे में भी पढ़ना चाहिए। आखिर इस धारा में ऐसा क्या है खास। नीचे इस बारे में पढिए।

124A IPC in Hindi

दोस्तों, इसी कानून के बारे हमें हमने ऊपर लिखा है। यह राजद्रोह कानून की ही आईपीसी धारा है जो कि गैर जमानती है। इसमें फंसे तो लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ेगी। हालांकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। बता दें कि आईपीसी 124A में राजद्रोह का स्पष्ट उल्लेख है। इसके मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति बोलकर, लिखकर, इशारों से या फिर चिह्नों के जरिए या किसी और तरीके से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने की कोशिश करेगा,अशांति पैदा करेगा तो उसे राजद्रोह का आरोपी माना जाएगा।

राजद्रोह कानून के बारे में हिंदी में | sedition law hindi me 2022

दोस्तों, अगर आपको इसके इतिहास में ले जाएं तो इसका इतिहास बेहद पुराना है। सबसे पहले 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसका प्रयोग हुआ था। इंग्लैंड में वहां के सरकार और राजसत्ता के खिलाफ लोग अपनी आवाज उठाने लगे थे। तो सत्ता को बरकरार रखने के लिए पहली बार तब इंग्लैंड में यह कानून लाया गया।

राजद्रोह कानून भारत में | sedition law hindi me 2022

भारत पर अंग्रेजों के कब्जे के बाद यह कानून भारत में भी आया। थॉमस मैकॉले ने इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) का ड्राफ्ट तैयार किया था। 1860 में इसे लागू किया गया। अंग्रेजों ने 1870 में भारतीय क्रांतिकारियों को परेशान करने के लिए धारा 124A को आईपीसी से जोड़ा था। आपको बता दें कि इस कानून का इस्तेमाल महात्मा गांधी, भगत सिंह जैसे नेताओं को गिरफ्तार करने में भी हुआ है।

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