राकेश झुनझुनवाला कौन थे? राकेश झुनझुनवाला के बारे में बताइए? राकेश झुनझुनवाला का जीवन परिचय, Rakesh Jhunjhunwala Story in hindi
Rakesh Jhunjhunwala Story in hindi: दोस्तों, भारतीय शेयर बाजार के बादशाह माने जाने वाले दिग्गज कारोबारी राकेश झुनझुनवाला इस दुनिया को अब अलविदा कह दिए हैं। राकेश झुनझुनवाला भारतीय शेयर बाजार के वह अकेले शख्स थे जिसने सिर्फ 5000 रुपये लगाकर 2500 करोड़ रुपये बनाए थे। जिस शेयर पर राकेश हाथ रख देते थे वह शेयर सोना हो जाता था। आज मैं उनकी एक ऐसी कहानी आपके लिए लाया हूं जो आपकी पूरी जिंदगी बदल देगी तो इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा और शेयर जरूर करिएगा।
राकेश झुनझुनवाला सिर्फ एक नाम नहीं हैं बल्कि हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा हैं जो फर्श से अर्श तक पहुंचने का सपना रखता है। हर वह इंसान जो चाहता है कि वह अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा बने उन सबके लिए इनकी कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
एक इंंसान जो अपनी जिद से अरबपति बन जाए वह भी सिर्फ शेयर बाजार में पैसे लगाकर तो आप क्या कहेंगे। लेकिन यह इतना भी आसान नहीं था। लेकिन एक जिद थी कि कुछ करूंगा तो बड़ा करूंगा। और इस जिद ने झुनझुनवाला की जिंदगी बदल दी। आप भी चाहेंगे तो आपकी भी जिंदगी बदल सकती है। सिर्फ आप राकेश झुनझुनवाला की यह कहानी पढ़ लीजिए और उनसे ये 10 बातें सीख लीजिए। तो चलिए शुरू करते हैं।
यह कहानी है युवा हो रहे राकेश झुनझुनवाला की। राकेश झुनझुनवाला जब पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता के सामने हाजिर हुए तो उनके मन में सिर्फ एक सपना था कि शेयर बाजार का किंग बनना है। लेकिन पिता चाहते थे कि बेटा कोई अच्छी नौकरी करे। चूंकि राकेश सीए कर चुके थे और उस समय एक सीए की बाजार में खूब डिमांड थी लेकिन राकेश बंधना नहीं चाहते थे। वे तो आसामान की ऊंचाइयों को नापना चाहते थे।
जब वे पिता के पास पहुंचे तो वे आराम कुर्सी पर बैठे हुए थे। उन्होंने राकेश की तरफ देखा और पूछा- अब आगे क्या करना है? राकेश ने सकुचाते हुए कहा- सोचा है कि शेयर बाजार में कदम रखूं। पिता तुरंत उठ खड़े हुए। नाराजगी से उनकी तरफ देखा और बोले- कुछ समझ रहे हो क्या बोल रहे हो तुम।
लेकिन राकेश तो मन बना चुके थे। उन्होंने कहा, जी पिताजी आपने सही सुना है। मैं शेयर बाजार का किंग बनना चाहता हूं। पिता को लगा कि अभी युवा है तो पूरे जोश में सीधे शेयर मार्केट का किंग ही बनने जा रहा है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि सच में यह इंसान एक दिन शेयर बाजार का बादशाह बन जाएगा।
खैर, उस समय पिता ने दो टूक कह दिया, सुनो राकेश अब तुम इतने बड़ हो गए हो कि मैं तुम्हें किसी भी फील्ड में जाने से नहीं रोक सकता। लेकिन हां, मैं नहीं चाहता कि तुम इस फील्ड में जाओ लेकिन तुम्हारी मर्जी। तुम जाना चाहते हो तो जाओ लेकिन इतना सुन लोग मैं तुम्हें इसके लिए एक पैसे नहीं दूंगा।
इतना ही नहीं पिता ने एक और हिदायत दी। कहा- और हां सुनो मैं चाहता हूं कि तुम शेयर बाजार में पैसे लगाने के लिए अपने दोस्त से भी पैसे नहीं लोगे। तुम खुद कमाओ और अपना पैसा लगाओ। ये मैं इसलिए भी कह रहा हूं कि इससे तुम्हें अहसास होगा कि किस मेहनत से तुम कमा रहे हो और अगर वह पैसा शेयर में डूब जाए तो कैसा महसूस होता है।
Rakesh Jhunjhunwala Story in hindi
राकेश को पिता की बातें बुरी नहीं लगीं। क्योकि उनका सपना बहुत आगे का था। बहुत बड़ा था। वे जानते थे कि पिता उन्हें बेहद प्यार करते हैं और एक दिन वह समझ जाएंगे कि मेरा रास्ता सही है। इसके बाद राकेश ने अपने पिता के पैर छुए और अपनी पहली उड़ान शेयर बाजार के लिए शुरू कर दी।
अपने पिता की बात को मानते हुए राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में अपना खुद का बिजनेस शुरू किया। शेयर बाजार में उन्होंने पहली बार 5 हजार रुपये लगाए। यह टाटा कंपनी के शेयर थे जिस पर सबसे पहले राकेश ने दांव चला था। दांव कामयाब हुआ और एक साल में ही शेयर के दाम जिसे उन्होंने 43 रुपये में खरीदा था उसे 143 रुपये में बेचा। अब राकेश समझ गए थे कि अब उन्हें कैसे छलांग लगानी है।
सीए थे तो मार्केट की समझ उनसे बेहतर किसे हो सकती थी। बस हर कंपनी का आंकलन करते और पैसे लगा देते। लेकिन पैसे किसी और से उधार नहीं लेते। शेयर बाजार से ही जो मुनाफा होता उसे टुकड़ों में अलग-अलग कंपनियों में लगा देते। रिस्क भी लेते और दिमाग से भी खेलते। नतीजा यह हुआ कि चार साल के भीतर ही उनका टर्नओवर 2 करोड़ के आसपास पहुंच गया।
अब तो राकेश ने तेजी से पैर पसारना शुरू किया। कई लोग करोड़ों रुपये बनाने के बाद शेयर बाजार से हट जाते हैं लेकिन जिन्हें किंग बनना होता है वे कुछ और ही रास्ता अपनाते हैं। राकेश झुनझुनवाला को तो शेयर मार्केट का बादशाह बनना था तो उन्होंने दूसरा रास्ता अपनाया। सीधे अपने मुनाफे का एक करोड़ रुपये दांव पर लगा दिए।
जी हां, 90 के दशक में शेयर बाजार में यह इंसान एक करोड़ रुपये का दांव सेसा स्टालिट कंपनी पर चला। एक करोड़ में राकेश ने कंपनी के 4 लाख शेयर खरीद लिए। इसमें से हर शेयर के दाम जैसे -जैसे बढ़ने लगे राकेश उसे बेचते गए और देखते ही देखते वे 50 करोड़ के मालिक बन बैठे।
Rakesh Jhunjhunwala Story in hindi
अब तो राकेेश को शेयर बाजार में पकड़ना मुश्किल था। शयेर मार्केट में हलचल मच गई थी कि यह कौन सा बंदा आ गया है जो जिस भी शेयर पर दांव लगाता है वह शेयर राकेट की तरह ऊपर भागने लगता है। हर तरफ राकेश का नाम होने लगा और इसका फायदा यह हुआ कि राकेश के लिए राह अब और आसान हो गई।
2003 में टाइटन कंपनी में राकेश के निवेश ने उन्हें अरबपति बना दिया। अब वे हर घंटे 35 लाख रुपये से अधिक कमा रहे थे। जिस शेयर बाजार में लोग जाने से पहले सौ बार सोचते हैं सिर्फ उस शेयर बाजार में 5 हजार रुपये लगाकर एक शख्स अब इतना कमा रहा था कि हर घंटे उसके खाते में 35 से 50 लाख रुपये आ रहे थे। और इसके बाद तो राकेश झुनझुनवाला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आज उनकी संपत्ति की बात करें तो वह 4.3 बिलियन डॉलर है। यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपये के मालिक हैं राकेश। तो दोस्तों, यह कहानी आपको कैसी लगी। यह प्रेरणादायी कहानी पढ़कर अगर आप भी सही राह पर चलते हैं तो फिर आपकी भी जिंदगी बदल सकती है। चलिए अब Rakesh Jhunjhunwala Story in hindi के तहत राकेश के जीवन के बारे में आपको जानकारी दे देते हैं।
नाम | राकेश झुनझुनवाला |
जन्म तिथि | 5 जुलाई 1960 |
उम्र | 62 साल |
जन्मस्थान | हैदराबाद |
निधन | 14 अगस्त 2022 |
निधन का स्थान | मुंबई (कैंडी अस्पताल) |
कॉलेज | सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई |
एजुकेशन | बीकॉम, सीए |
प्रोफेशन | शेयर बाजार के बादशाह, कारोबारी, निवेशक |
पत्नी का नाम | रेखा झुनझुनवाला |
बच्चों के नाम | आर्यमन झुनझुनवाला और आर्यवीर झुनझुनवाला (बेटे), निष्ठा झुनझुनवाला (बेटी) |
कुल संपत्ति | 40 हजार करोड़ रुपये |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
- जीवन में सपना हमेशा बड़ा देखें।
- सपने पूरा करने के लिए अपनों से भी टकराना पड़े तो टकरा जाएं।
- लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए।
- लक्ष्य को पाने के लिए जोखिम लेने से न चूकें।
- समय का महत्व समझें। सही समय पर सही स्टेप नहीं उठाए तो पीछे रह जाएंगे।
- शेयर बाजार में तुक्का न मारें, कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी लें।
- हमेशा पढ़ते रहें। नॉलेज हमेशा ही आपको आगे बढ़ने में मदद करेगा। अरबपति बनने के बाद भी राकेश आज भी हर रोज कुछ न कुछ पढ़ते रहत थे।
- लक्ष्य को पाने के लिए ईमानदारी पूर्वक प्रयास करें।
- कितने भी बड़े इंसान बन जाएं लेकिन पैर आपके जमीन पर रहने चाहिए यानी अपनी जड़ों से हमेशा जुड़ाव होना चाहिए।
- हमेशा कुछ नया और समय से आगे की सोचें।
- अपने को हमेशा निखारते रहें।
- जिंदगी में प्रयोग करते रहें। हर प्रयोग एक नई सबक देता है।
- किसी भी कंपनी में निवेश से पहले उसका पूरा इतिहास देखते थे।
- हर कंपनी कैसे आगे बढ़ी है. उसका ग्रोथ कैसा रहा है उसे खंगालते थे।
- देश के हालात कैसे चल रहे हैं और उस समय शेयर बाजार की क्या स्थिति है इसे भी देखते थे।
- सही समय पर सही शेयर में निवेश करते थे।
- दुनियाभर के शेयर बाजारों पर नजर रखते थे और उस हिसाब से शेयरों का चयन करते थे।
- देश के वर्तमान हालात को देखते हुए और कंपनी के लॉस और गेन को समझते हुए निवेश करते थे।
- हमेशा ही कम जोखिम वाले कंपनियों में निवेश करते थे।
- एकमुश्त निवेश वहीं करते थे जहां से उन्हें पूरा भरोसा होता था कि पैसा बेहतर लौटकर आएगा।
- जहां रिस्क लेना होता था वहां पर कम पैसे लगाते थे और धीरे-धीरे बढ़ाते थे।
- कोई गलती हो जाती थी तो उसके लिए खुद को दोषी मानते थे अपनी कंपनी के अन्य कर्मचारियों को नहीं।
- हर गलती से सीखते थे और अगली बार ऐसा न हो इसका ख्याल रखते थे।
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