प्रथम बरसी कब करें, प्रथम बरसी कैसे करें. pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh, प्रथम वार्षिक श्राद्ध कब करें
pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh: दोस्तों, आज एक बार फिर बेहद ही जरूरी जानकारी आपके लिए लाए हैं। प्रथम बरसी कब करते हैं? प्रथम श्राद्ध क्या होता है और इसे कैसे करते हैं? मृत्यु के कितने दिन बाद पहली बरसी करते हैं? पहली बरसी कहां जाकर करें? क्या गया में पहली बरसी करें? वार्षक श्राद्ध कितने महीने में करना चाहिए? इन सारे सवालों के जवाब आपको आज इस आर्टिकल में मिल जाएंगे तो चलिए शुरू करते हैं।
दोस्तों, जैसा कि आप सबको मालूम है कि इस बार 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष रहेगा। इस बीच में अपने पितरों को जो भी पिंडदान करता है यानी श्राद्ध कर्म करता है वह पुण्य का भागी बनता है। इस बीच में जिन भी पितरों का पिंडदान होता है वे सभी स्वर्ग को जाते हैं।
रह गई बात कि गया जाकर पिंडदान करें या फिर घर पर रहकर तो आप दोनों ही स्थिति अपने अनुकूल देखते हुए यह निर्णय ले सकते हैैं। अगर आपके पास समय नहीं है या कुछ पारिवारिक दिक्कत है जिससे आप गयाजी नहीं जा सकते तो कोई बात नहीं अगले साल चले जाइएगा लेकिन पिंडदान तो पितृ पक्ष में करना ही है तो घर से कर दीजिए। पंडितजी को बुलाइए और सही समय देखकर श्राद्ध कर्म जरूर कीजिए। चलिए हम आपको बताते हैं कि पहली बरसी यानी अगर आपके घर किसी की मृत्यु हुई है तो उसकी पहली बरसी कब और कैसे आप मनाएंगे।
प्रथम बरसी कब की जाती है | pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh
दोस्तों, जब भी आपके पिता या दादा या परदादा जिसकी भी मृत्यु होती है उसके मृत्यु के एक साल बाद ठीक उसी दिन को पहली बरसी कहेंगे। लेकिन पहला श्राद्ध वह होगा जो भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या के सोलह दिनों के बीच पड़ने वाले पितृपक्ष में आएगा। यानी आपके जो भी पितर हैं जिनका निधन हुआ है उनके एक साल बाद जो भी पितृ पक्ष आता है, उसमें आप उनका पहला श्राद्ध कर सकते हैं।
संभव है कि यह श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष उनके मृत्यु के कुछ महीनों बाद ही आ जाए या कुछ दिन बाद ही आ जाए तो कोई बात नहीं चूंकि उनकी मृत्यु हो गई है और उनकी आत्मा अभी रास्ते में है। इसलिए आपको पिंडदान यानी इस पितृपक्ष में उनका श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए।
पितृपक्ष ऐसा समय है जिस समय आप जो भी अन्न या जल अपने पितरों को देते हैं उसी शक्ति से वे स्वर्ग की ओर आगे बढ़ते हैं। आपके जिस भी सगे संबंधी का निधन हुआ है उसकी आत्मा को लेकर यम के दूत चलते हैं तो रास्ते में कई सारे व्यवधान आते हैं। इनसे किसी भी तरह से वे पार पाते हुए थक जाते हैं। भूखे प्यासे उनका दम घूंटने लगता है। ऐसे में अगर समय-समय पर आप अपने पितरों को जल और अन्न देते रहेंगे तो उनकी आत्मा तृप्त होती रहेगी और वे स्वर्ग की ओर आसानी से बढ़तेै रहेंगे।
इसलिए कहा जाता है कि अपने जिस भी पितर की पहली बरसी मनानी है तो उसके मृत्यु के ठीक एक साल बाद उसी तारीख पर बरसी मनाएं। लेकिन प्रथम श्राद्ध आप पितृ पक्ष में ही करें चाहें वह उनकी मृत्यु के जितने दिन भी बाद आ जाए।
प्रथम वार्षिक श्राद्ध कब करें | pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh
दोस्तों, जैसा कि हमने बताया कि प्रथम बरसी तब होगी जिस दिन आपके जिस भी संबंधी का निधन हुआ है उसका एक साल पूरा हो रहा हो। यानी अगर वे सितंबर 2021 में मरे हैं तो सितंबर 2022 में ही उनकी पहली बरसी होगी लेकिन पहला वार्षिक श्राद्ध उनका पितृ पक्ष में ही होगा। यानी अगर वे दिसंबर में भी देहांत हुआ है तो भी एक साल नहीं होने पर भी सितंबर में पड़ने वाले पितृपक्ष में आप उनका वार्षिक श्राद्ध जरूर करें।
इसका मतलब साफ है कि आपको इस साल 10 सितंबर से 25 सितंबर के बीच पड़ने वाले श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष के दौरान ही अपने पितरों का प्रथम वार्षिक श्राद्ध करना है। कुछ लोग कहते हैं कि अभी एक साल नहीं हुआ है तो वे अगले साल का इंतजार करते हैं। यह गलत है।
आप खुद सोचिए जो आत्मा भटक रही है। जिसे स्वर्ग तक पहुं.चने के लिए रास्ते में आने वाली तमाम बाधाओं को पार करना है। भूख और प्यास के साथ वे कब तक जुझते रहेंगे तो उन्हें तो हर वक्त आपके अन्न और जल की जरूरत है। तो एक साल का इंतजार क्यों कर रहे हैं। अगर आप पितृ पक्ष में उन्हें अन्न और जल देंगे तो यह लंबे समय तक उनकी आत्मा को तृप्त करेगा और उन्हें लंबे समय तक टिके रहने और स्वर्ग की अपनी राह को आसान बनाने का मौका देगा। इसलिए प्रथम श्राद्ध आपको इसी पितृ पक्ष में ही करना है।
प्रथम वार्षिक श्राद्ध कैसे करें | pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh
- अगर घर पर श्राद्ध कर रहे हैं तो पंडित जी को बुलाएं।
- पंडित जी का पैर पखारेंं और उन्हें आसन दें।
- अब पंडित जी के बताए अनुसार सारी श्राद्ध सामग्री उनके सामने रख दें।
- अब पंडितजी आपको शुद्ध जल और गंगा जल के साथ ही गौमुत्र को मिलाकर एक जगह रखवाएंगे।
- अब देवताओं को इससे अर्घ्य देना है।
- अब पितृ पक्ष में अपने पितरों को ध्यान देने और आह्वान करने के लिए जनेऊ को दाएं कंधे पर रखें।
- अब दो भाग में बंटे कुशाओं का दान करें।
- अब चावल का आटा लेकर उसमें घी और दूध मिलाएं।
- इसे धीमी आंच पर पकने दें।
- इस बीच पंडितजी के बताए मंत्रों का उच्चारण करें और अपने पितरों का ध्यान करें।
- धूप और दीप जलाकर सभी देवताओं और अपने पितरों को दिखा्एं।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और कामना करें कि आपके पितरों को स्वर्ग मिले।
- गया नहीं गए हैं तो यहीं से ही फल्गु नदी का ध्यान करें और उनका पूजन अर्चन कर अपने पितरों के लिए मोक्ष की कामना करें।
- अब पीपल के पत्ते पर चावल का यह पका हुआ आटा निकालकर इससे पिंड बनाएं।
- तीन वंश के लिए पिंडदान अवश्य करें। यानी अगर आपके पिता का निधन हुआ है तो पिता, दादा और परदादा के लिए तीन पिंड बनेगा।
- इसके बाद पंडितजी के बताए निर्देशानुसार इन पिंडों की पूजा और इन पिंडों को जल अक्षत आदि अर्पण करना है।
- इसी पिंड के रूप में आपके पितर आपके सामने आए हैं और आपको और आपके पूरे परिवार को अपना आशीर्वाद बरसा रहे हैं।
- इसके बाद ब्राह्मणों को पूरे मन से भोजन कराएं।
- इसके बाद सभी को दक्षिणा दें।
- इस दिन कोई भी दरवाजे पर आए उसे भोजन के लिए अवश्य पूछें।
- कुत्ता या गाय कोई भी दरवाजे पर दिखे तो उसे भोजन कराएं।
- आपके पितर किसी भी रूप में आज आपके पास आ सकते हैं इसलिए कहीं ऐसा ना हो कि वे बिना खाए लौट जाएं और आपको हानि हो जाए।
प्रथम बरसी कब और कैसे करें | pratham barsi kab ki jati hai varshik shradh
पहली बरसी आपको अपने पिता या जो भी संबंधी का निधन हुआ है उसके ठीक एक साल बाद उसी तारीख पर करनी है। इस दिन आपको उनका एक फोटो फ्रेम करवा कर लाना है उसे दक्षिण दिशा में करते हुए रख देना है। फूल और माला से उस जगह को सुसज्जित करना है।
सुबह स्नान आदि के बाद भगवान के साथ ही उनकी भी पूजा करनी है। इसके बाद आसपास के लोगों को बरसी में शामिल होने के लिए बुलाना है। कम से कम पांच ब्राह्मणों को भोजन कराना है। इसलिए उन्हें भी पहले से बोल दें। अब जब सभी लोग आ जाएं तो आप कीर्तन शुरू करा सकते हैं। या बरसी से एक दिन पहले रामायण पाठ करा सकते हैं।
आपके लिए जो भी यथाउचित लगे वैसा करें। बेहतर तो यही होगा कि रामकथा का आयोजन बरसी से नौ दिन पहले कर दें ताकि बरसी के दिन पूर्णाहुति हो और उसका लाभ पूरे परिवार को मिले। या फिर सात दिन पहले भागवत कथा का आयोजन कर दें और आठवें दिन बरसी के दिन ही उसका हवन हो तो लाभ सबको मिलेगा।
अगर यह संभव नहीं है तो सिर्फ कीर्तन भी करा सकते हैं। एक दिन पहले कीर्तन कराएं और फिर सबको अगले दिन भोजन कराएं। इस दिन हर किसी को फोटो पर पुष्ण अर्पण करने के लिए मौका दीजिए। हर किसी को श्रद्धांजलि व्यक्त करनेे दीजिए। आपके जो भी संबंधी गुजरे हैं उनके बारे में कुछ अच्छी चीजें आप शेयर करना चाहते हैं तो उसे शेयर कीजिए। इससे आपका मन हल्का होगा।
इसी तरह से उनके नाम पर आज के दिन बरसी पर किसी सामाजिक संस्था की शुरुआत करना अच्छा रहेगा। अगर आप कर सकते हैं तो जरूर करें। गरीबों के लिए कुछ नया कर सकते हैं या बेसहारा और बुजुर्ग लोगों के लिए कुछ कर सकते हैं तो उनकी आत्मा को बहुत ही सुकून होगा अगर आप ऐसा किए तो। ऐसा करके आप ना सिर्फ उनकी आत्मा को खुश करेंगे बल्कि खुद अपने परिवार और आने वाली पीढि़यों को भी संवार देंगे। तो कुछ अच्छा कीजिए ताकि जग आप पर फख्र महसूस करे।
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