अकसर कोई दुर्घटना होने पर आपको पंचनामा शब्द सुनने को मिलता है। आपके मन में कई बार यह विचार भी आता है कि आखिर ये पंचनामा क्या होता है…तो चलिए आज इस बारे में विस्तार से जान लीजिए।
दरअसल, भारत में जब भी कहीं पर किसी भी तरह का अपराध होता है या फिर हादसा होता है तो तुरंत उसकी सूचना पुलिस को दी जाती है।
जब भी किसी व्यक्ति की आकस्मिक मौत या किसी भी तरह से संदिग्ध मौत हो जाती है तो इसकी सूचना भी तुरंत पुलिस को दी जाती है।
इस स्थिति में पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को सबसे पहले अपने कब्जे में लेती है। इसके बाद पुलिस की तरफ से जो प्रक्रिया शुरू होती है उसे पंचनामा कहते हैं।
इसके तहत क्या होता है
शव को कब्जे में लेने के बाद पुलिस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसी कार्रवाई को पंचनामे की कार्रवाई के नाम से भी जानते हैं। पुलिस इस क्रम में पांच लोगों को पंचांग के रूप में नियुक्त करती है और पंचनामा यानी पंचायत नामा का काम शुरू करती है।
कौन होता है इसके लिए अधिकारी
पंचनामा के लिए पुलिस में कम से कम उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी का मौजूद होना अनिवार्य है। इसके ऊपर का अधिकारी भी हो सकता है।
इसके बाद ही होता है पोस्टमॉर्टम
पंचनामा अहम कार्रवाई है। इसके बाद ही शव का पोस्टमॉर्टम होता है। पंचनामा के बाद मृतक के शव को पुलिस अधिकारी द्वारा चिकित्सालय भेजा जाता है। यह इसलिए भी जरूरी है ताकि चिकित्सा और वैज्ञानिक आधार पर मौत के कारण का पता लगाया जा सके।
पुलिस हिरासत में मौत होने पर क्या होता है
पुलिस हिरासत में अगर मौत हो जाए तो फिर नियम बदल जाता है। अब पुलिस द्वारा नहीं बल्कि मजिस्ट्रेट के द्वारा पंचानामा होगा। या फिर एक स्थिति यह भी है कि अगर किसी मामले में पुलिस को लगता है कि उन पर भी आरोप लग सकता है तो पुलिस पहले ही मजिस्ट्रेट से पंचनामा कराने की अपील कर देती है।