December 21, 2024
narak chaturdashi

इस पर्व का सम्बन्ध स्वच्छता से अधिक है। इसीलिए इस त्यौहार को घर का कूड़ा कचरा साफ करने वाला त्यौहार कहते हैं। वर्षा ऋतु में मकानों पर जो काई आदि लग जाती है उसे इसी दिन हटाया जाता है। यह काम सामूहिक रूप में करना चाहिए।

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-ठवटन लगाकर भली-भाँति स्नान करना चाहिए। इस दिन के स्नान का विशेष माहात्म्य है। जो लोग इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान नहीं करते वर्ष भर उसके शुभ कार्यों का नाश होता है। वर्ष भर दुःख में बीतता है। वे मलिन तथा दरिद्री रहते हैं।

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इस दिन स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय दीपक भी जलाए जाते हैं। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। दीपक जलाने की विधि त्रयोदशी से अमावस्या तक है। त्रयोदशी के दिन यमराज के लिए एक दीपक जलाया जाता है। अमावस्या को बड़ी दीपावली का पूजन होता है। इन तीनों दिनों में दीपक जलाने का कारण यह बताया जाता है कि इन दिनों भगवान वामन ने राजा बलि की पृथ्वी को नापा था। भगवान वामन ने तीन पगों में सम्पूर्ण पृथ्वी तथा बलि के शरीर को नाप लिया था। त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा अमावस्या को इसीलिए लोग यम के लिए दीपक जला कर लक्ष्मी पूजनसहित दीपावली मनाते हैं जिससे उन्हें यम-यातना न सहनी पड़े। लक्ष्मी जी सदा उनके साथ रहें ।

कहते हैं इस दिन भारत-सम्राट विष्णु ने वेविलोनिया में एक नरकासुर नामक राक्षस की हत्या करके विजय प्राप्त करके जनता को उसकी क्रूरता तथा अत्याचारों से बचाया था। पुराणों में भी मिलता है कि इस दिन श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी सत्यभामा ने नरकासुर को मारा था।

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