November 21, 2024
diwali

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन कैसे करें, लक्ष्मी पूजन के समय क्या करना चाहिए, laxmi pujan deepawali

laxmi pujan deepawali: दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष विधान है। ब्रह्मपुराण’ के अनुसार इस दिन अर्धरात्रि के समय लक्ष्मी महारानी सद् गृहस्थों के मकानों में यत्र-तत्र विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन घर-बाहर को खूब साफ-सुथरा करके सजाया-संवारा जाता है। दीपावली मनाने से श्री लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से निवास करती हैं।

दीपावली और छोटी दिवाली क्यों मनाते है

वास्तव में दीपावली धनतेरस, नरक चतुर्दशी तथा महालक्ष्मी पूजन- इन तीनों पर्वो का समुदाय है। कहते हैं, कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचन्द्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा आसुरी वृत्तियों के प्रतीक रावणादिका संहार करके अयोध्या पधारे थे। अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया था।

इसीलिए हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से दीपावली भी प्रमुख है। इस दिन उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था। विक्रमी संवत् का आरम्भ भी तभी से माना जाता है। अतः यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है। आज के दिन वैश्य लोग अपने बही-खाते बदलते हैं तथा अपने वर्ष के लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।

दीपावली के दिन आकाशदीप जलाने की प्रथा के पीछे अनुमान है कि अमावस्या से पितरों की रात आरम्भ होती है। कहीं वे पथ-भ्रष्ट न हो जाएं इसलिए उनके लिए प्रकाश का विधान किया जाता है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन हैं

दीपावली पर जुआ खेलने की प्रथा भी है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्ष भर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे। इस द्यूत क्रीड़ा को राष्ट्रीय दुर्गुण ही कहा जाएगा।

दीपावली पर मां लक्ष्मी के पूजन की विधि

  • घर की सफाई करके, लीप पोत कर लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी में दीवार को चूने अथवा गेरू से पोत कर लक्ष्मी जी का चित्र बनाओ।
  • लक्ष्मी जी का फोटो लगाओ। संध्या के समय पकने वाला स्वादिष्ट व्यंजनों में दाल, चावल, हलवा-पूरी, बड़ा, कदली-फल, पापड़ तथा अनेक प्रकार की मिठाइयाँ होनी चाहिएँ ।
  • लक्ष्मी जी के चित्र के सामने एक चौकी रखो। इसे मौली बांधो। इस पर मिट्टी के गणेश जी स्थापित करो। उसे रोली लगाओ। दो खुमचा में दीपक रखो। छः चौमुखे दीपक बनाओ। २६ छोटे दीपक रखो।
  • इनमें तेल तथा बत्ती डाल कर जलाओ। फिर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि सहित पूजा करो। पूजा पहले पुरुष करे बाद में स्त्रियाँ।
  • पूजा करने के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों पर जला कर रखो। एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रख कर लक्ष्मी जी के व्रत का पूजन करो। पूजा के पश्चात् तिजौरी में गणेशजी तथा लक्ष्मी जी की मूर्ति रखकर विधिवत् पूजा करो।
  • अपनी इच्छानुसार घर की बहुओं को रुपये दो। लक्ष्मीपूजन रात के समय बारह बजे करना चाहिए। इस समय एक पाट पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेश जी की जोड़ी रखो।
  • समीप ही एक सौ एक रुपये, सवासेर चावल, गुड़, चार केले, मूली, हरी गुवार फली तथा पांच लड्डू रखकर सारी सामग्री सहित लक्ष्मी गणेश का पूजन करके लड्डुओं से जिमाओ।
  • दीपकों का काजल सब स्त्री-पुरुषों को आंखों में लगाना चाहिए। रात्रि जागरण करके गोपालसहस्र नाम का पाठ करना चाहिए। इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाना नहीं चाहिए। बड़ों के चरणों की वंदना करनी चाहिए। दूकान-गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
  • रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरान्त चूने अथवा गेरू में रुई भिगो कर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) का तिलक काढ़ना चाहिए। दूसरे दिन चार बजे प्रातःकाल उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर कूड़े को दूर फैकने के लिए ले जाते हुए कहते जाओ- ‘लक्ष्मी लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिंद्र जाओ।’ इसके बाद लक्ष्मी जी की कहानी सुनो।


दीपावली की कथा

एक बार सनत्कुमार जी ने सब महर्षि मुनियों से कहा, “महानुभाव! कार्तिक की अमावस्या को प्रातःकाल ही स्नान करके भक्ति-पूर्वक पितर तथा देव पूजन करना चाहिए। रोगी तथा बालक के अतिरिक्त और किसी व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए। सांयकाल में विधिपूर्वक लक्ष्मी जी का मंडप बनाकर फूल, पत्ते, तोरण, ध्वजा, और पताका आदि से सुसज्जित करना चाहिए। अन्य देवी देवताओं सहित लक्ष्मी जी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। पूजनोपरांत परिक्रमा करनी चाहिए।

मुनीश्वरों ने पूछा, “लक्ष्मी पूजन के साथ अन्य देवी-देवताओं के पूजन का क्या कारण है?” सनत्कुमार जी बोले, “राजा बलि के यहां समस्त देवी-देवताओं सहित लक्ष्मी जी बन्धन में थीं। आज के दिन भगवान विष्णु ने उन सबको कैद से छुड़वाया था। बन्धन मुक्त होते ही सब देवता लक्ष्मी जी के साथ जाकर क्षीर-सागर में सो गए थे। इसलिए अब हमें अपने-अपने घरों में उनके शयन का ऐसा प्रबन्ध करना चाहिए कि वे क्षीरसागर की ओर न जाकर स्वच्छ स्थान और कोमल शय्या पाकर यहीं सोए रहें। जो लोग लक्ष्मी जी के स्वागत की उत्साहपूर्वक तैयारियाँ करते हैं, उनको छोड़ कर फिर वे कहीं भी नहीं जाती हैं।

रात्रि के समय लक्ष्मी जी का आह्वान करके उनका विधिपूर्वक पूजन करने नाना प्रकार के मिष्ठान का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। दीपक जलाने चाहिए। दीपकों को सर्वानिष्ट-निवृत्ति हेतु अपनी मस्तक पर घुमा कर चौराहे या शमशान में रखना चाहिए।

दूसरे दिन राजा का कर्त्तव्य है कि नगर में ढिढोरा पिटवा कर सब बालकों को अनेक प्रकार के खेल खेलने की आज्ञा देनी चाहिए। बालक क्या-क्या खेल सकते हैं, इसका भी पता करना चाहिए। यदि वे आग जला कर खेलें और उसमें ज्वाला प्रकट न हो तो समझना चाहिए कि इस वर्ष भयंकर अकाल पड़ेगा। यदि बालक दुःख प्रकट करे तो राजा को दुःख तथा सुख प्रकट करने पर सुख होगा। यदि वे आपस में लड़ें तो राज-युद्ध होने की आशंका होगी। बालकों के रोने से अनावृष्टि की संभावना करनी चाहिए। यदि वे घोड़ा बन कर खेलें तो मानना चाहिए कि किसी दूसरे राज्य पर विजय होगी। यदि बालक लिंग पकड़ कर क्रीड़ा करें तो व्यभिचार फैलेगा। उनके अन्न या जल चुराने का अभिप्राय होगा अकाल ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *