आजकल का युग डिजिटल मार्केटिंग का युग है। हर कोई आज शेयर मार्केट की तरफ भाग रहा है। जल्दी से जल्दी लोग निवेश करके करोपड़पति और अरबपति बनना चाह रहे हैं। इस दौरान आपको जो दो शब्द खूब सुनने को मिल रहे होंगे वह हैं NSE और BSE।

ये शब्द जैसे ही आपके कानों में सुनाई देते होंगे आप जरूर सोचते हैं कि आखिर ये शब्द है क्या। शेयर मार्केट और इन शब्दों का क्या संबंध है। NSE और BSE के जरिए क्या होता है। तो चलिए आज विस्तार से इस पर बात करते हैं। आखिर NSE और BSE है क्या और इसमें क्या अंतर है। इसका खेल कैसे होता है। कैसे लोग करोड़पति और अरबपति बन रहे हैं।

सबसे पहले तो फुलफॉर्म जान लीजिए
BSE – BOMBAY STOCK EXCHANGE
NSE- NATIONAL STOCK EXCHANGE


अब एक-एक करके इनके बारे में विस्तार से जान लेते हैं। इससे पहले आपको जानना होगा कि स्टॉक मार्केट आखिर क्या है।

STOCK MARKET
तो चलिए आसान भाषा में यह जान लीजिए कि जिस तरह से आप कुछ खऱीदने के लिए मार्केट में जाते हैं और वहां बेचने वाले आते हैं, जिनसे आप सामान खरीदते हैं। तो यह पूरा सिस्टम भी वही है लेकिन यह ऑनलाइन सिस्टम है। जहां आप घर बैठे किसी से कुछ खरीद रहे हैं और किसी के कुछ बेच रहे हैं। लेकिन यहां पर कंपनियों के शेयर खरीदे जाते हैं। शेयर यानी कंपनी का कुछ हिस्सा। शेयर क्या होता है इसके बारे में आपको हमारी वेबसाइट पर आर्टिकल मिल जाएगा।

तो चलिए अब जानें कि BSE क्या है और शेयर मार्केट में इसका क्या रोल है।

BSE
BOM
BAY STOCK EXCHANGE को भारत का सबसे पुराना और बड़ा स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है। बात करें इतिहास की तो इसकी शुरूआत 1857 में हुई थी। कुछ लोगों ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी। पहले बीएससी (BSE) ‘द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स असोसिएश (THE NATIVE SHARE & STOCK BROKERS ASSOCIATION) के नाम से जाना गया।

1957 के बाद आया यह बदलाव
1957 में भारत सरकार ने सिक्योरिटिज़ कॉन्ट्रेक्ट रेग्यूलेशन एक्ट, 1956 ( SECURITIES CONTRACT REGULATION ACT, 1956) के तहत बीएससी को लाया। यह इसलिए कि सरकार ने अब इस मार्केट में अपना दखल देना शुरू किया। इसके बाद इसे भारत के स्टॉक एक्सचेंज का दर्जा मिला।

अब तक इतनी कंपनियां लिस्टेड
बीएससी स्टॉक एक्सचेंज आज सबसे आगे है। यह दुनिया के टॉप 10 शेयर मार्केट में भी आता है। बीएससी में 5000 से ज्यादा कंपनिया लिस्टेड हैं और लगातार संख्या बढ़ भी रही है। हर दिन यहां कंपनियों के शेयर मार्केट में आते हैं। लोग खरीदते और बेचते हैं।

यह भी है खासियत
BSE का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स है और इसके इंडेक्स की शुरूआत 1986 में हुई। मतलब यह कि BSE में लिस्टिड कंपनियों में से सेंसेक्स उन कंपनियों का सूचकांक (INDEX) जारी करता है जिनका स्टॉक मार्कट में अच्छा प्रदर्शन है। सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल हैं।
बीएससी (BSE) को एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज भी माना जाता है।

एनएससी (NSE- NATIONAL STOCK EXCHANGE)
NSE की शुरुआत बीएसई के बाद हुई। इसे भारत का दूसरा स्टॉक एक्सचेंजक कह सकते हैं। यहां भी रोजाना हजारों शेयर बिकते और खरीदे जाते हैं। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी। 1993 से एनएससी ने स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर काम करना शुरू किया था।


इसकी शुरुआत का जाता है श्रेय
एनएससी (NSE) के आ जाने से ही भारतीय शेयर बाजार में इलैक्टॉनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरूआत का श्रेय जाता है। पहले शेयर बाजार का काम पेपर सिस्टम के जरिए हुआ करता था लेकिन एनएससी के स्टॉक एक्सचेंज के रूप में काम करने के बाद से शेयर बाजार इलैक्टॉनिक सिस्टम पर आ गया। इससे काफी ट्रांसपरेंसी आई है और निवेश आसान हुआ है।

इंडेक्ट निफ्टी को समझिए
एनएससी का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी है। आपको बता दें कि निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल है। यही वजह है कि निफ्टी को निफ्टी-50 के नाम से भी जाना जाता है। निफ्टी इन 50 कंपनियों के जरिए ही मार्केट के उतार चढ़ाव को दर्शाती है।

ऑफिस कहां है
NSE और BSE दोनों का ही हेड ऑफिस मुंबई में है।

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