इस दिन आंवले के वृक्ष के पास बैठ कर भगवान का पूजन किया जाता है। एक बार एक राजा के राज्य में फाल्गुण शुक्ल एकादशी व्रत-महात्म्य था। एक भूखा-प्यासा व्याघ भी रात भर वहीं बैठा रहा। इस प्रकार अनजाने में ही उसने आमलकी एकादशी का व्रत रख लिया। तथा रात भर जागने के कारण जागरण का फल भी उसे अनजाने में ही मिल गया। दूसरे जन्म में वह एक बड़े राज्य का अधिकारी बना। गोस्वामी तुलसीदास भी सत्संगति के महत्व को इस कथन में स्पष्ट करते हैं।एक घड़ी आधी घड़ी, आधी की पुनि आध तुलसी संगति साधु की, कटै कोटि अपराध ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.