November 22, 2024


अपने देश में कई केंद्र शासित प्रदेश हैं। पर, अक्सर लोग सवाल करते हैं कि प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश में क्या अंतर है। तो चलिए, आज हम इस सवाल का जवाब विस्तार से जानते हैं।

केंद्रशासित को अगर आप अलग-अलग करके देखें तो आपको इसका अर्थ सीधे पता चल जाएगा। जी हां, मतलब ऐसा क्षेत्र जहां का प्रशासन केंद्र के हाथ में हो, वह केंद्रशासित प्रदेश है। यानी यहां राज्य का नहीं बल्कि सीधे केंद्र का दखल होता है।

केंद्र शासित प्रदेश बनाने के पीछे क्या है कारण
भारत की बात करें तो परिस्थितियों के हिसाब से इसका निर्णय होता है। इसमें सबसे अहम होता है जनसंख्या और आकार में छोटा होना। इसके अलावा संस्कृति को भी देखा जाता है। प्रशासनिक स्तर पर और सामरिक महत्व को देखते हुए निर्णय लेना।

प्रशासन और सुरक्षा की दृष्टि से भी है बंटवारा
केंद्रशासित प्रदेशों में सुरक्षा और प्रशासन के स्तर पर भी दो भाग में बंटवारा होता है। एक ऐसा केंद्रशासित प्रदेश होता है, जहां विधानसभा का गठन होता है। वहीं दूसरे में विधानसभा का गठन नहीं होता है। विधानसभा जहां भी होगा वहां केंद्र का दखलसीधे होगा। वहां हर निर्णय के लिए राज्य सरकार को उप राज्यपाल से अनुमति की जरूरत होगी।

इतिहास के आईने में
दिल्ली के पास अपना हाई कोर्ट, सीएम और मंत्रिपरिषद के कारण 1991 में इसको आधा राज्य का दर्जा दिया गया था। तो यह भी एक कारण है। इसी तरह अगर दमन और दीव की बात करें तो यहां भी पुर्तगाल का शासन था, जैसे गोवा में था। तो इस पर जब भारतीय सेना का कब्जा हुआ तो इसे भी केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। हालांकि गोवा को बाद में पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।

इन तीन प्रदेशो में है विधानसभा
अगर देश की बात करें तो यहां जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभा है। यहां चुनाव के बाद बहुमत वाली पार्टी सरकार बनाती है। सरकार ही राज्य के प्रशासन को देखती है। हालांकि कई मामले जैसे पुलिस यानी सुरक्षा का मामला केंद्र के पास होता है। इसके अलावा भी ज्यादातर मामले में उपराज्यपाल का निर्देश ही सर्वोपरि होता है।

ये हैं केंद्रशासित प्रदेश
दिल्ली
जम्मू-कश्मीर
चंडीगढ़
दमन-दीव और दादरा नगर हवेली
लद्दाख
पुडुचेरी
लक्षद्वीप
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *