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घर पर श्राद्ध कर्म कैसे करें (पिंडदान की पूरी विधि, मंत्र) | pind daan vidhi in hindi ghr par shradh vidhi

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pind daan vidhi in hindi: दोस्तों, एक बार फिर आपके लिए एक जरूर जानकारी। बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जो कि अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए गया नहीं जा सकते हैं. कई सारी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं जिस कारण से यह संभव नहीं है। ऐसे लोग घर पर भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। इस आर्टिकल में मैं आपको पूरी विधि और मंत्र सबकी जानकारी देने जा रहा हूं। मैं खुद एक ब्राह्मण परिवार से आता हूं इसलिए मुझे पूरी विधि खुद मालूम है। ऐसे में अगर पंडित नहीं भी मिलते हैं तो आप इस विधि के जरिए घर पर खुद आप श्राद्ध कर्म पूरे विधि विधान से पूर्ण कर सकते हैं। तो चलिए विस्तार से आपको बताते हैं।

दोस्तों, कई सारे पंडित मेरे मित्र हैं और मैं खुद ब्राह्मण हूं। इसलिए इस तरह के विषय पर मैं अक्सर लिखता रहता हूं। अब 10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है ऐसे में कई सारे मेरे मित्र और वरिष्ठ लोगों ने मुझसे कहा था कि मैं एक ऐसा कोई आर्टिकल लिखूं जिसमें पूरा विस्तार से बताया जाए कि कैसे घर पर भी रहते हुए हम पिंडदान यानी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।

दोस्तों, कई बार परिस्थितियों ऐसी हो सकती हैं कि हम किसी अपने से बेहद प्यार करते हैं लेकिन उसके बावजूद हम गया जाकर उनका तर्पण नहीं कर सकते हैं। तो आपको इसमें पश्चाताप करने की जरूरत नहीं है। आपका प्यार उनके प्रति कम नहीं हुआ है। जो व्यक्ति स्वर्ग के रास्ते में है वह आपकी दिक्कत को समझता है। बस आप इतना तो जरूर करिए कि इस पितृ पक्ष में घर पर रहते हुए ही उसके लिए पिंडदान यानी श्राद्ध कर्म जरूर करिए। चलिए विधि मैं बता देता हूं।

क्या घर पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं | pind daan vidhi in hindi

बिल्कुल कर सकते हैं। इसके लिए कोई जरूरी नहीं है कि आप गया ही जाएं। गया को माना गया है कि वहां जाकर तर्पण करने से आपके पितरों का तारण जल्दी होता है यानी उन्हें जल्दी स्वर्ग और मोक्ष मिलता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घर पर अगर आप मन से पूजा करेंगे तो उनकी आत्मा तृप्त नहीं होगी।

उदाहरण के लिए ऐसे समझिए कि अगर कहते हैं कि काशी में जिसकी मृत्यु होती है उन्हें पुण्यात्मा माना जाता है और कहा जाता है कि उन्हें तो स्वर्ग ही मिलता है लेकिन अगर कोई पापी जाकर काशी में मरे तब। इसी तरह से अगर कोई पुण्यात्मा अगर किसी छोटे गांव या शहर में ही मरे लेकिन उसने जीवन भर परोपकार किया है तो क्या भगवान उसे सिर्फ इसलिए स्वर्ग नहीं भजेंगे क्योंकि वह काशी में नहीं मरा। ऐसा संभव है क्या?

ठीक यही बात यहां भी लागू होती है। अगर किसी कारण से आप गया नहीं गए तो इसका मतलब यह नहीं कि आप घर पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते। या पिंडदान नहीं कर सकते। अब सोचिए कि ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली या मिली तो एक दिन की मिली और बिना मन के आप भागकर गया पहुंच भी गए तो मन तो आपका ऑफिस में अटका है तो फिर ऐसे भी पिंडदान या श्राद्ध कर्म का क्या मतलब जहां आपका मन ही ना हो।

इसलिए घर पर ही सही पूरे मन और श्रद्धा भाव से श्राद्ध करिए। वैसे भी कहा गया है कि जो चीज श्रद्धा से की जाए वही श्राद्ध है यानी जहां श्रद्धा नहीं वहां श्राद्ध भी नहीं है। फिर तो आप मूर्ख बना रहे हैं खुद को भी और अपने पितरों को भी। जिसका घाटा आपको ही होगा। पितरों को तो जहां जाना है और जैसे रहना है वैसे ही वे रहेंगे लेकिन आपके सामने पूरा वर्तमान और पूरा भविष्य पड़ा है।

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