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गया में ही पिंडदान क्यों किया जाता है (खर्चा, सामग्री, शुभ समय) | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai 2022

gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

गया में पिंडदान के लिए किस दिन जाएं? गया में पिंडदान का कितना खर्चा आता है? गया में पिंडदान की विधि, gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai kharcha: दोस्तों, आज फिर आपके लिए बेहद ही जरूर जानकारी लेकर आए हैं। हिंदू धर्म में पिंडदान का बहुत ही महत्व है। घर के पितरों को यानी जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनका पिंडदान गया में जाकर करने से उनका मोक्ष होता है और उनकी आत्मा तृप्त होती है। इससे वर्तमान और आगे आने वाली पीढ़ियां हमेशा ही सुख और शांति से रहती हैं। 10 सितंबर से इस बार पितृपक्ष शुरू हो रहा है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि गया में जाकर पिंडदान कराने में कितना समय लगेगा? कितना खर्चा आएगा? कौन सा समय इसके लिए शुभ है? किस तारीख को गया जाएं? इस आर्टिकल में आपके सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा। तो चलिए शुरू करते हैं।

दोस्तों, पिंडदान को शास्त्रों में सबसे जरूरी दान माना गया है। अपने घर के पुरखों के लिए आप जो पिंडदान करते हैं, उसी से उनकी आत्मा तृप्त होती है और वे आपको तृप्त करते हैं। यानी जब आपको पुरखे जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनकी आत्मा तृप्त होती है तो उसी से वह अपने वर्तमान परिवार यानी आप सभी को और आने वाली आपकी पीढ़ियों के लिए वहां से आशीर्वाद भेजते हैं।

वैसे भी लोगों ने कहा है कि बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद सबसे अधिक फलता है। तो सोचिए जो लोग भगवान के पास ही चले गए हैं, अगर उनका आशीर्वाद मिल जाएगा तो क्या कुछ नहीं हासिल कर सकते हैं। इसीलिए जब भी समय मिले अपने परिवार के पितरों के लिए एक बार गया जी जरूर जाइए और वहां जाकर पिंडदान कीजिए। अगर गया में जाकर पिंडदान करते हैं तो फिर आपका वर्तमान और भविष्य हमेशा के लिए सुख समृद्धि की राह पर आगे बढ़ेगा।

चलिए आपको बताते हैं कि आखिर गया में ही पिंडदान को सबसे बेहतर क्यों माना जाता है। इसके पीछे क्या कारण है। उसके बाद हम जानेंगे कि आखिर वहां खर्चा कितना आएगा और वहां पिंडदान की क्या विधि होगी और किस दिन पिंडदान कराना सही रहेगा।

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पिंडदान क्या होता है | pindaan kya hota hai hindi

पिंडदान के दौरान पितरों को दिए जाने वाले अन्न और जल से ही उन्हें शक्ति मिलती है और वे परलोक का अपना सफर तय करते हैं। पिंडदान के दौरान जो अन्न (चावल आदि) और जल आप अपने पितरों को (जिनकी मृत्यु हो चुकी है) को देते हैं, उसी से उनकी आत्मा तृप्त होती है और वे खुद को परलोक गामी होते ही हैं साथ ही अपने परिवार पर भी कृपा बरसाते हैं। यानी आप भी उनके आशीर्वाद से सुखी होते हैं और आपकी आगे की पीढ़ियां भी सुखमय जीवन जीती हैं।

यही वजह है कि गरुण पुराण में भी कहा गया है कि अपने पितरों का पिंडदान अवश्य करें। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यम के दूत जब आपके परिवार के किसी सदस्य को मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को पकड़कर ले जाते हैं तो उसे रास्ते में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

कई बार वे भूख प्यासे व्याकुल हो जाते हैं। ऐसे में जैसे ही आप पिंडदान करके उन्हें पानी और अन्न चढाते हैं तो उसे ग्रहण कर उन्हें शक्ति मिलती है और यह उनके परलोक की राह को आसान बना देता है। इससे धीरे-धीरे वे इस लोक को छोड़कर परमात्मा के लोक में चले जाते हैं।

हर साल उनकी तिथि पर या पितृ पक्ष में जाकर आप पिंडदान करते हैं तो फिर उनकी आत्मा तृप्त होती है और वे आपको और आपके परिवार को आशीर्वाद देते हैं जिससे आप भी सुख शांति से रहते हैं।

गया में पिंडदान का क्या महत्व है | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

गया में पिंडदान से मृत आत्मा को सीधे स्वर्ग मिलता है। यही वजह है कि पितृ पक्ष में देश के हर कोने से लोग गया में जाकर पिंडदान जरूर करते हैं। ऐसा विश्वास है कि खुद भगवान विष्णु जल के रूप में विराजमान रहते हैं और जैसे ही इस जल से किसी का पिंडदान किया जाता है, भगवान उन्हें सीधे मोक्ष दे देते हैं।

गरुण पुराण में इसके पीछे एक कहानी भी है। इसके अनुसार जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने असुर कुल में एक गया नामके असुर को रचा था। असुर स्त्री के कोख से जन्म नहीं लेने के कारण असुर होकर भी उसके अंदर असुरत्व नहीं था।

लेकिन गया को यह लगता था कि अगर उसने कुछ बड़ा नहीं किया तो उसे शायर असुर कुल में सम्मान ना मिले। इस कारण उसने भगवान विष्णु की कड़ी तपस्या शुरू कर दी। भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने दर्शन दिया। भगवान ने आशीर्वाद मांगने को कहा तब गया ने कहा- आप मेरे शरीर में खुद वास कीजिए ताकि मुझे जो भी देखे उसके हर पाप नष्ट हो जाएं और वह जीव पुण्य आत्मा बने और उसका मोक्ष हो जाए। उसे स्वर्ग मिले।

भगवान विष्णु उससे खुश थे तो उन्होंने यह आशीर्वाद दे दिया और अपने धाम लौट गए। लेकिन इधर एक चीज गड़बड़ होने लगी जो भी उसे देखता वह कितना भी पापी हो उसका मोक्ष हो जाता। वह स्वर्ग पहुंच जाता। इससे देवता लोग घबड़ा गए और भगवान के शरण में गए।

भगवान ने सभी देवताओं को कहा कि आप परेशान न हों उसका अंत मैं खुद करूंगा। चूंकि भगवान के भीतर वास करने के कारण यमराज खुद उसे नहीं मार सकते थे। ऐसे में एक बार जब गयासुर कीकटदेश में जाकर भगवान की भक्ति में लीन हो शयन करने लगा तभी भगवान की गदा से उसकी इहलीला खत्म हो गई। यानी उसे भगवान ने मार दिया।

लेकिन मरने से पहले गयासुर ने भगवान से यह वरदान मांगा कि भगवान खुद यहां जल में विराजमान रहेें और जो भी यहां पर अपने पितरों का श्राद्ध करे उसकी आत्मा मुक्त हो जाए और उसे मोक्ष मिल जाए। भगवान ने मरते हुए गयासुर को यह आशीर्वाद दिया।

माना जाता है कि जहां पर गयासुर मरा उसे ही बाद में गया के नाम से जाना गया जो कि आजकल बिहार में स्थित है। इसके बाद से ही हर कोई इस पवित्र जगह पर अपने पितरों को तर्पण करता है। यहां स्वयं भगवान विष्णु विराजमान हैं इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है।

गया में पिंडदान में कितना समय लगता है | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

पिंडदान करना कोई साधारण काम नहीं है। अपने पितरों को सही से उन्हें स्वर्ग मिले इसके लिए अगर आप पिंडदान की पूरी विधि करते हैं तो फिर कम से कम सात दिन का समय इसमें लगता है। हालांकि आजकल लोगों के पास वक्त नहीं है ऐसे में गया में भी तमाम पंडितजी लोग एक घंटे में भी पिंडदान करा देते हैं।

पिंडदान की प्रक्रिया जटिल होती है लेकिन अक्सर जो यजमान होते हैं यानी जो पिंडदान कराने गए होते हैं उन्हीं के पास समय नहीं होता है। ऐसे में वे खुद पंडितजी से कह देते हैं कि पंडितजी थोड़ा जल्दी कराइएगा। यह बहुत ही गलत परंपरा विकसित हो रही है जिसका विरोध होना चाहिए।

गया में आजकल पंडितों ने भी अपना अलग-अलग घंटे के हिसाब से सेवा शुरू कर दिया है। जो कि गलत है लेकिन चूंकि जजमान खुद कह रहे हैं कि जल्दी करा दीजिए तो पंडित जी भी एक घंटे में सबकुछ कराके उन्हें छोड़ देते है और यजमान को लगता है कि उन्होंने बहुत अच्छे से पिंडदान कर दिया है।

देखिए आप अपने किसी सबसे खास का पिंडदान करने गया गए हैं। तो वक्त लेकर जाइए। यह बहुत ही महान काम करने गए हैं आप जो आपकी वर्तमान और भविष्य दोनों ही पीढियों को संवारेगा। और जो वक्त चला गया है यानी जो आपके खास हैं जिनका निधन हुआ है उन्हें भी स्वर्ग तक पहुंचाएगा। तो इसमें जल्दबाजी मत कीजिए। यहां पूरा वक्त दीजिए।

आप खुद पंडितजी से कह दीजिए कि भाई मेरे पास पूरा वक्त है आप पूरे विधि विधान से पूजा कराइए। इसके बाद आप अगर समय हो तो कम से कम 5 दिन तो जरूर दीजिए। यहां रुकिए और हर रोज घाट पर पहुंचकर पिंडदान कीजिए। इससे आपको भी अच्छा लगेगा और आपके पितर पूरी तरह से तृप्त होंगे।

गया में पिंडदान का कितना खर्चा आता है | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

दोस्तों, पिंडदान का खर्चा आप पर निर्भर करता है। यथाशक्ति ही पिंडदान कीजिए। दिखावे में मत कीजिएगा। ऐसा नहीं कि वे तो ये चीजें दान कर रहे हैं तो आपको भी वही करना है। आपकी जितनी क्षमता है उस हिसाब से दान कीजिए। हां, यह जरूर है कि ऐसे जगहों पर कुछ पंडित लोग लालच में आ जाते हैं और ज्यादा पैसा मांगते हैं लेकिन आप कई पंडितों से बात करेंगे तो जरूर कुछ ऐसे मिल जाएंगे जो कम में ही आपका सारा पिंडदान प्रक्रिया को संपन्न करा देंगे।

गया में अगर 4-5 वेदी बनाकर दो या तीन पुजारी अगर पिंडदान में लगेंगे और तीन घंटे या उससे अधिक अगर पूजा चलती है तो आपको हर एक पंडितजी को 2 हजार रुपये देने होंगे। यानी मान कर चलिए कि 5 से 6 हजार रुपये आपके पंडितजी पर खर्च होंगे।

इसी तरह से सामग्री का खर्चा करीब 2 हजार से 3 हजार तक होगा। रहने का खर्चा करीब 500 से 1 हजार तक होगा। ऐसे में अगर आप गया जा रहे हैं और पिंडदान करना है और अच्छे तरीके से करना है तो कम से कम बजट आपको 10 हजार तक मिनिमम रखना है। इतना रहेगा तो आप आराम से गया में रहकर अपना अच्छे से पिंडदान अपने पितरों के लिए कर सकेंगे। 15 हजार रुपये की व्यवस्था कर लिए तो पिंडदान के साथ ही एक दिन रुककर शहर को भी घूम सकेंगे और गया के बारे में भी जान सकेंगे।

गयाजी कब जाना चाहिए | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

गयाजी पितृपक्ष में ही जाना चाहिए। सबसे अधिक फल आपको पितृपक्ष में ही मिलता है। अगर आप पितृपक्ष में यहां जाकर अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं तो आप पुण्य के भागी होते हैं और आपके पितरों को मोक्ष भी मिलता है।

इस बार 10 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है जो कि 25 सितंबर तक चलेगा। ऐसे में इस बीच किसी भी दिन आप गया जाकर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर सकते हैं तर्पण कर सकते हैं। कुछ लोग पूछते हैं कि किस दिन जाएं तो इसका जवाब यही है कि हर एक दिन इसके लिए शुभ है। बस आपको घर से निकलते समय दिशाशुल के दिन ना निकलें।

किसी भी अच्छे दिन निकल जाएं और 25 सितंबर से पहले वहां जाकर किसी भी दिन पंडितजी के साथ अपने पितरों को श्राद्ध अर्पण करें और उन्हें स्वर्ग का राह आसान बनाएं।

गयाजी में पिंडदान कैसे किया जाता है | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

पिंड दान कितनी बार करना चाहिए | gaya me pinddaan me kitna samay lagta hai

वैसे तो शास्त्रों में कहा गया है कि आप जब भी अपने पितरों को पिंड देना चाहें आप दे सकते हैं क्योंकि वे जब भी भूखे प्यासे रहते हैं तो उन्हें आपके अन्न जल की बहुत ही आवश्यकता होती है। इसीलिए लोग कहते हैं कि सुबह सुबह जल भगवान सूर्य को अर्पित कीजिए। एक तरह से यह जल भी आपके पितरों के पास भी जाता है।

लेकिन पिंड दान आपको साल में कम से कम एक बार तो जरूर ही करना चाहिए। अगर आपके पास वक्त नहीं है और आज के भागमभाग भरी जिंदगी में जब काी किसी के पास किसी के लिए वक्त नहीं है कम से कम आपके पितर यह तो उम्मीद करते ही हैं कि एक बार उनके लिए आप गया पहुंचकर साल में एक बार ही सही पिंडदान अवश्य कीजिए।

अपने और अपने परिवार की सुख शांति के लिए और अपने पितरों की आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचाने के लिए प्लीज आपसे हाथ जोड़कर मैं विनती कर रहा हूं कि आप एक बार पिंड दान जरूर कीजिए। वह भी गया जाकर। गया को विष्णु नगर भी बोलते हैंं। यहां दान करेंगे तो आपके पितरों को सीधे मोक्ष मिलेगा और उनकी आत्मा हमेशा के लिए तृप्त हो जाएगी। तो साल में एक बार पितृपक्ष में यहां जरूर जाइए।

इस बार 10 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है और 25 सितंबर तक रहेगा तो प्लीज गया जाइए और एक बार अपने पितरों के लिए पिंडदान जरूर कीजिए।

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