Site icon KyaHotaHai.com

व्यास पूर्णिमा(गुरु-पूर्णिमा)(आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा)

व्यास-पूर्णिमा आषाढ़ की पूर्णिमा को मनाई जाती है। वैसे तो व्यास नाम के कई विद्वान हुए हैं परन्तु व्यास ऋषि जो चारों वेदों हैं के प्रथम व्याख्याता थे, उनकी आज के दिन पूजा होती है। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यास जी ही हैं। अतः वे हमारे आदिगुरु हुए। आज वे हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी स्मृति को ताजा रखने के लिए हमें अपने-अपने गुरुओं को व्यास जी का अंश मान कर उनकी पूजा करनी चाहिए।प्राचीनकाल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित अपने गुरु का पूजन करके उन्हें शक्ति के अनुसार दक्षिणा दे कर स्वयं कृत्कृत्य होता था। इस दिन केवल गुरु (शिक्षक) ही नहीं अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि गुरुजनों की भी पूजा का विधान है।गुरु-पूजा के दिन स्नान, पूजादि से निवृत्त हो कर उत्तम वस्त्र पहन कर गुरु के पास जाना चाहिए। वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर गुरु को प्रसन्न करने उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। गुरु का आशीर्वाद ही विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्धक होता है। इस पर्व को श्रद्धा-भाव से मनाना चाहिए, अन्धविश्वासों के आधार पर नहीं। व्यास जी द्वारा रचे हुए ग्रन्थों का अध्ययन-मनन करके उनके उपदेशों पर आचरण करना चाहिए।

Exit mobile version