इस समय पूरे देश में दो ही विषय की चर्चा है। एक तरफ हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव का रिजल्ट और दूसरी तरफ एक ऐसी फिल्म जिसे लेकर देश में दो अलग-अलग धड़े बन गए हैं। एक धड़ा इस फिल्म The Kashmir Files का सीधे विरोध तो नहीं कर रहा लेकिन दबी जुबान इसकी खिलाफत कर रहा है। वहीं एक धड़ा खुलकर इसका समर्थन कर रहा है और सबको इस फिल्म The Kashmir Files Film Review को देखने के लिए प्रेरित कर रहा है।
आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है। आखिर यह फिल्म इतनी चर्चा में क्यों है। The Kashmir Files फिल्म में आखिर ऐसा क्या है जिसके कारण कुछ लोगों को यह फिल्म पच नहीं पा रही है। आखिर ऐसा क्या सच दिखा दिया गया है कि कुछ लोगों का पेट गुड़गुड़ करने लगा है।
हर कोई जानता है कश्मीरी हिंदुओं के साथ क्या हुआ..फिर चुप्पी क्यों
इस सब्जेक्ट के बारे में तो हर कोई जानता है। कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ है यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन पहली बार किसी फिल्ममेकर ने इस पर फिल्म बनाने की हिम्मत की। अब जब फिल्म रिलीज हो गई है तो आइए जानते हैं कि आखिर इस फिल्म मे ऐसा क्या है। क्या यह फिल्म दिखाना चाहती है और क्या बताना चाहती है। कैसी है यह फिल्म। इस फिल्म को क्यों देखना चाहिए और क्यों नहीं। पूरा रिव्यू पढ़िए और खुद फैसला लीजिए।
1990 के नरसंहार पर अब तक की सबसे भावुक फिल्म
तो दोस्तों इस फिल्म की कहानी है 1990 की। जब अपने ही घर से कश्मीरी हिंदुओं को आतंकियों के कारण भागने को मजबूर होना पड़ा था। जब अपने ही घर में पंडितों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ा था। जब अपने ही लोगों के सामने अपनों का ही गला घोंट दिया गया था। जब अपनों के सामने ही अपनों को कुचल दिया गया। अपनों के सपनों का गला घोंट दिया गया।
दर्द देखकर रो उठेंगे आप
1990 में हुए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर बनी यह फिल्म आपको भावुक कर देगी। कश्मीरी पंडितों के दर्द को आप पर्दे पर देखेंगे और आपकी आंखें बरस पड़ेंगी। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इस नरसंहार को इस दर्द के साथ पर्दे पर उकेरा है कि आप बस उस पीड़ा के साथ हो लेते हैं और आपका अंतर्मन कराह उठता है। आप सोचने लगते हैं कि हमारे भाइयों ने कितना दर्द सहा होगा तब। कैसे कश्मीरी आतंकियों ने यहां हिंदूओं को उन्हीं की स्वर्ग की धरती पर नरक में धकेल दिया। उन्हें बेरहमी से मारा। उनकी जमीनें छीन लीं। अपनी ही धरती से पलायन कर वे शरणार्थी बनकर रह गए। यह दर्द वे अब तक कैसे जीते आए हैं, इसे देखना है तो यह फिल्म जरूर देखिए।
अनुपम खेर की शानदार ऐक्टिंग
अपने ही देश का एक हिस्सा कैसे दर्द के आगोश में अपना जीवन गुजार दिया, उसे देखना हो तो यह फिल्म जरूर देखिए। अपनों का गम क्या होता है उसे महसूसना हो तो यह फिल्म जरूर देखिए। इस फिल्म में अनुपम खेर के साथ ही सभी किरदारों ने शानदार ऐक्टिंग की है। एक रिटायर्ड टीचर (अनुपम खेर) जो कि कश्मीरी पंडित हैं उनके परिवार के साथ कैसे एक के बाद एक उत्पीड़न होता है, इसी को केंद्रबिंदु बनाकर विवेक ने पूरी फिल्म को खींचने की कोशिश की है।
इसलिए फिल्म को 5 स्टार
फिल्म में दिखाई गई हिंसा कहीं-कहीं आपको विचलित करती है और उस दुख से जोड़ती है कि कैसे हमारे भाइयों ने यह दर्द सहा होगा। एक कतार में 24 कश्मीरी पंडितों को खड़ा करके भुन दिया जाता है, उस दृश्य को देखकर आप फफक पड़ेंगे। ऐसी फिल्म बनाने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। इसलिए विवेक बधाई के पात्र हैं। 1990 के नरसंहार में मरे कश्मीरी पंडितों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो यह फिल्म जरूर देखिए। फिल्म को 5 में से 5 स्टार।