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सुशीला देवी कौन हैं (संपूर्ण जीवन परिचय, 10 रोचक बातेंं) । sushila devi biography in hindi

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जूडो प्लेयर सुशीला देवी कौन हैं, sushila devi biography in hindi (फैमिली, उम्र, जाति, धर्म, पति, करियर)

sushila devi biography in hindi: कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को जूडो गेम में सिल्वर मेडल दिलाने वाली सुशीला देवी को आज हर कोई गूगल पर सर्च कर रहा है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर सुशीला देवी कौन हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। आखिर वे कहां से आती हैं और उनकी जीवनी क्या है। तो इस आर्टिकल में हम आपको सुशीला देवी का संपूर्ण जीवन परिचय बताने जा रहे हैं। अंत तक पढिएगा और इस जरूरी जानकारी को शेयर भी जरूर कर दीजिएगा।

दोस्तों, सुशीला देवी एक जूडो प्लेयर हैं। कॉमनवेल्थ गेम में सिल्वर मेडल जीतकर वे अचानक से सुर्खियों में आ गई हैं। हालांकि वह अपने देश के लिए काफी समय से मेडल जीतती रही हैं लेकिन इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि मीडिया ने भी उन पर फोकस किया है और अब लोग उनके बारे में सर्च करने लगे हैं।

सुशीला देवी की कहानी ऐसी है कि वह हर लड़की और महिला को प्रेरित करेगी। चलिए आपको हम उनकी संघर्ष की कहानी भी बताएंगे। लेकिन पहले जान लेते हैं कि आखिर उनका जीवन परिचय क्या है। sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी का जीवन परिचय हिंदी में । sushila devi biography in hindi

नामसुशीला देवी
पूरा नामसुशीला देवी लिकमाबाम
क्यों चर्चा में हैंकॉमनवेल्थ गेम में सिल्वर मेडल जीता है
कौन से गेम में जीता हैजूडो में
किस कैटेगरी में जीता है48 किलोग्राम भार कैटेगरी में
जन्मस्थानइम्फाल
जन्मतिथि1 फरवरी 1995
उम्र27 साल
नागरिकताभारतीय
धर्महिंदू
जातिअभी ज्ञात नहीं
कुल संपत्तिज्ञात नहीं
पेशाजूडो प्लेयर (मार्शल आर्ट)
पति का नामअभी शादी नहीं हुई है
कोचजीवन शर्मा
भाईशिलाक्षी (जूडो प्लेयर)
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सुशीला देवी का प्रारंभिक जीवन । sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी का जन्म 1 फरवरी 1995 को मणिपुर की राजधानी इंफाल में बेहद ही साधारण परिवार में हुआ। इंफाल के पूर्वी जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है हिंगांग मयाई लिकाई वहीं पर इनका जन्म हुआ था। बताते हैं कि अपने चाचा को देखकर सुशीला ने जूडो को बचपन से ही शौक के रूप में पाला।

सिर्फ 7 साल की सुशीला थीं जबसे वह मार्शल आर्ट के लिए खुद को तैयार करने लगी थीं। पहले तो उन्होंने सिर्फ शौक के लिए यह किया लेकिन धीरे-धीरे उनकी रूचि इसमें पढ़ने लगी। उनके चाचा लिकमबम दीनित ने जब देखा कि उनकी बच्ची सुशीला तो काफी छोटे ही उम्र में शानदार जूडो खेलने लगी है तो उन्होंने उन्हें प्रेरित करना शुरू किया।

चाचा लिकमबम खुद अंतरराष्ट्रीय स्तर के जूडो खिलाड़ी रहे हैं इसलिए उन्हें मालूम था कि अगर सुशीला ने लंबे समय तक अपना यही तेवर मार्शल आर्ट में रखा तो फिर वह छा जाएंगी। और यही हुआ भी। चाचा के निगरानी में सुशीला ने प्रशिक्षण शुरू किया और आज वह दुनिया के फलक पर चमक रही हैं और लगाातार जूडो में भारत का नाम रोशन कर रही हैं।

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सुशीला देवी का करियर । sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी के अवॉर्ड्स (मेडल्स) । sushila devi biography in hindi

गेम्समेडल
2014 Commonwealth Gamesसिल्वर मेडल (48 किलोग्राम)
2019 South Asian Gamesगोल्ड मेडल
2022 Commonwealth Gamesसिल्वर मेडल
2020 Summer Olympicsपहली खिलाड़ी के रूप में क्वालिफाई किया हालांकि पहले राउंड में बाहर हो गईं

सुशीला देवी का रिकॉर्ड । sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी जूडो की पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। ऐसा करके वो इतिहास रच चुकी हैं। 2020 के टोक्यो ओलंंपिक में भारत की तरफ से जूडो के लिए प्रतिनिधित्व करने वाली वह एक मात्र खिलाड़ी थीं।

इसके बाद से ही दुनियाभर में उनका नाम रोशन हो गया। हालांकि पहले राउंड में वे बाहर जरूर हो गईं लेकिन जो हौसला उन्होंने ओलंपिक में दिखाया उसने साफ कर दिया कि आने वाले तमाम ओलंपिक्स में जूडो में अब सुशीला देवी भारत को लगातार मेडल दिलवाएंगी।

सुशीला देवी से क्या सीखना चाहिए । sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी क्यों सबसे अलग हैं । sushila devi biography in hindi

सुशीला देवी की संघर्ष कहानी

सुशीला देवी अपने जूडो करियर को संवारने के लिए अपनी सबसे प्यारी कार तक बेच चुकी हैं। जी हां, यह बेहद ही इमोशनल कहानी है। दरअसल, 2018 के एशियन गेम्स से पहले ही सुशीला देवी को हैमस्ट्रिंग सर्जरी से गुजरना पड़ा था। इस कारण से वे लंबे समय तक कोई टूर्नामेंट नहीं खेल सकती थीं। इसे देखकर उनके कई सारे प्रायोजकों ने उनसे अपना पार्टनरशिप तोड़ दिया। इनके जरिए उन्होंने सालभर में ठीक ठाक पैसा आ जाता था जिससे वे दुनियाभर के देशों में कंपटिशन में हिस्सा लेती थीं।

अब जब प्रायोजक हट गए तो उनके सामने आर्थिक स्थिति मुश्किल होने लगी। लेकिन स्वस्थ होते ही उन्होंने ठान लिया कि वे एशियन गेम्स में जरूर हिस्सा लेंगी। लेकिन वहां जाएं कैसे तो इसके लिए उन्होेंने अपनी कार बेच दी और निकल पड़ीं जापान। चूंकि वह वहां अकेले गईं और जापानी आती नहीं थी तो हुआ यह कि उनका नाम तो बुलाया गया लेकिन वे मैच में उपस्थित नहीं हो पाईं और उन्हें बाहर कर दिया गया।

अब स्थिति ऐसी हो गई कि उनके पास जो पैसे थे वे भी खत्म हो गए थे। खुद उनके कोच जीवन शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती थी। ऐसे में अक्सर उन्हें कई जगहों पर मैच में हिस्सा लेने के लिए अकेले जाना पड़ता था और कई जगह इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ता था लेकिन एक जिद थी उनके अंदर कि एक दिन भारत के लिए वह मेडल जरूर लाएंगी। और आज वह लगातार मेडल ला रही हैं।

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