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सूर्य षष्ठी (भाद्रपद शुक्ल षष्ठी)

प्रायः प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष में सप्तमी युक्त षष्ठी को भगवान सूर्य का व्रत किया जाता है। इसलिए महीने के अधिपति का रूप और नाम में परिवर्तन होता है। सप्तमी युक्त भाद्रपद शुक्ला षष्ठी को गंगा स्नान, जप तथा व्रत करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य-पूजन, गंगा दर्शन तथा पंचगव्य-प्राशन का विशेष माहात्म्य है। इस व्रत की पूजन सामग्री में कनेर के लाल पुष्प, गुलाल, दीप तथा लाल वस्त्र का विशेष माहात्म्य होता है।

सूर्य भगवान की अराधना करने से नेत्र रोग तथा कोढ़ दूर जाते हैं। सूर्य का दिन ‘रविवार’ है। इस दिन व्रत करने वाले हो को नमक त्याग देना चाहिए। दिन में थोड़ी देर सूर्य रहने पर केवल एक अन्न का भोजन करना चाहिए। सूर्य को नित्य प्रातः तथा सायं अर्घ्य देना चाहिए। पलकें बन्द करके सूर्य की ओर •देखना नेत्रों के लिए हितकर है। इसीलिए इस व्रत को किया जाता है।

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