आजकल सरोगेसी शब्द का खूब चलन है। अक्सर हस्तियों के सरोगेसी से मां बनने की खबर सुनने का बाद हम आप भी इसके बारे में बात कर रहे होते हैं। पर, ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता है कि आखिर सरोगेसी है क्या और इसमें असली माता-पिता कौन होते हैं।
तो आइए आज इस मुद्दे पर विस्तार से बात करते हैं। दरअसल, शादी के बाद जो सबसे बड़ी चाहत किसी भी इंसान की होती है वह होती है संतान की चाहत। खासकर मिडिल क्लास फैमिली में तो संतान का सुख तुरंत प्राप्त करने की ललक रहती है।
पर, कई बार कुछ दिक्कतों के चलते कुछ कपल मां-बाप नहीं बन पाते। ऐसे में वे किसी और औरत के कोख को किराए पर लेते हैं। इसी को सरोगेसी का नाम दिया गया है।
इसमें महिला अपने या फिर किसी डोनर के एग्स के जरिए किसी अन्य कपल के लिए गर्भवती होती है। मतलब यह कि 9 महीना बच्चा उसके पेट में जो होगा वह किसी और का होगा।
जो कपल सरोगेसी करवा रहे हैं, उनके और महिला के बीच एक एग्रीमेंट होता है। इसके तहत होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता सरोगेसी करवाने वाला कपल को ही माना जाएगा।
दो तरह की होती है सरोगेसी। पहली स्थिति में पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेसी वाली महिला के एग्स से मैच कराया जाता है। यह ट्रेडिशनल सरोगेसी है। इसमें अगर हम देखें तो सरोगेट मदर ही बॉयोलॉजिकल मदर यानी जैविक मां होगी।
जेस्टेशनल सरोगेसी में पिता (होने वाले) के स्पर्म और मां के एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित करने का काम किया जाता है। इसमें सरोगेट कराने वाली महिला ही मां होगी।
भारत में सरोगेसी में 15 से 20 लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि यह कई बार स्थान और सरोगेट करने वाली महिला की स्थिति पर भी निर्भर करता है।