शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं, Shatru Sampatti Kya Hota hai, उत्तराधिकार नियम क्या था
Shatru Sampatti Kya Hota hai: दोस्तों, आज फिर एक जरूरी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं। शत्रु संपत्ति क्या होता है। अक्सर छात्र इसके बारे में जानना चाहते हैं। वे जानना चाहते हैं कि आखिर वर्षों पुराना यह नियम आज भी कैसे और क्यों चला आ रहा है। आखिर इसे शत्रु संपत्ति ही क्यों कहते हैं? अगर आपके मन में भी ये सारे सवाल आते हैं तो इस आर्टिकल में आपको इन सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं और आपको बताते हैं कि आखिर शत्रु संपत्ति क्या होता है और सबसे पहले यह टर्म कब यूज हुआ था।
शत्रु संपत्ति क्या है । Shatru Sampatti Kya Hota hai
शत्रु संपत्ति का सीधा सा मतलब है शत्रु की संपत्ति या दुश्मन की संपत्ति, फर्क बस इतना है कि वो दुश्मन किसी व्यक्ति का नही देश का है। जैसे पाकिस्तान, चीन या इंग्लैंड।
वर्ष 1947, में जब देश का बटवारा हुआ तो देश को छोड़कर जाने वाले अपना सबकुछ तो उठा कर नही ले जा सकते थे। उनका घर, मकान , कोठियां, हवेलियां, ज़मीन-जवाहरात, कंपनियां इत्यादि यहीं रह गए ।
भारत सरकार रक्षा अधिनियम,1962 के तहत इन सारी संपत्तियों का मालिकाना हक या तो अपने पास रख सकती है या ऐसी संपत्ति के लिए अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है।
दो देशों में लड़ाई छिड़ने पर ‘दुश्मन देश’ के नागरिकों की जायदाद सरकार कब्जे में ले लेती है ताकि दुश्मन लड़ाई के दौरान उसका फ़ायदा न उठा सके।
पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीका और ब्रिटेन ने जर्मनी के नागरिकों की जयादाद को इसी आधार पर अपने नियंत्रण में ले लिया था।
भारत ने 1962 में चीन,1965 और 1971 में पकिस्तान से लड़ाई छिड़ने पर भारत सुरक्षा अधिनियम के तहत इन देशों के नागरिकों की जायदाद पर कब्ज़ा कर लिया था।
गृह मंत्रालय द्वारा जनवरी 2018 में लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार भारत में कुल 9,280 शत्रु संपत्तियां पाकिस्तानी नागरिकों की और 126 चीनी नागरिकों की थीं। सरकार के अनुसार इन संपत्तियो की अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपए है।
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 । Shatru Sampatti Kya Hota hai
पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के दो साल बाद 1968 में शत्रु संपत्ति(संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम पारित हुआ था।
इस अधिनियम के अनुसार जो लोग बंटवारे या 1965 में और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी सारी अचल संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दी गई।
इस अधिनियम के बाद पहली बार संपत्ति के आधार पर उन भारतीय नागरिकों को ‘शत्रु’ की श्रेणी में रखा गया जिनके पूर्वज किसी ‘शत्रु’ राष्ट्र से भारत आए थे। हालांकि यह कानून सिर्फ संपत्ति को लेकर था इससे उनके भारतीय नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ा।
इस अधिनियम में सबसे ताज़ा संशोधन ’शत्रु संपत्ति संशोधित अध्यादेश’ 2016 के माध्यम से हुआ है ।
शत्रु संपत्ति संशोधन अध्यादेश 2016 । Shatru Sampatti Kya Hota hai
इस विधेयक को शत्रु संपत्ति अधिनियम,1968 के संशोधन करने के मुख्य उद्देश्य से लाया गया था जिसके कुछ मुख्य विशेषताएं
– शत्रु संपत्ति पर सभी अधिकार ,स्वामित्व और हितों को अभिरक्षक या कस्टोडियन के पास निहित किया जा सके।
– इस अध्यादेश के अंतर्गत 1968 शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत शत्रु द्वारा शत्रु संपत्ति के हस्तांतरण को अमान्य घोषित कर दिया गया। और 1968 के पहले या बाद में हुए इस तरह के सभी स्थानांतरण पर लागू किया गया।
– इस अध्यादेश के मातहत दीवानी अदालतों और अन्य प्राधिकरणों द्वारा शत्रु संपत्ति संबंधित विवादों पर सुनवाई पर रोक लगा दिया गया।
-हालांकि इस अध्यादेश को समय से निरस्त कर दिया गया।कुछ बदलावों के साथ फिर से 2017 में इसे संसद द्वारा ‘शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक’ 2017 की शक्ल में पारित किया गया।
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