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दोस्तों, हम लोगों में से बहुत से ऐसे युवा होंगे जो अपने पिता से बात नहीं कर पाते हैं। उन्हें हिचक महसूस होती है। वे सीधे अपने पिता से कभी साफ बात नहीं कर पाते। अगर बाहर हॉस्टल में या किसी शहर में भी रहते हैं तो फोन पर मां से तो बात कर लेंगे लेकिन पापा से बात नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि पिता का वे सम्मान नहीं करते लेकिन एक हिचक होती है जो टूट नहीं पाती और बाद में इसका पछतावा होता है। बाद में समझ आता है कि काश पिता जी के साथ कुछ देर बैठते। काश उनसे बात किए होते। तो आज का आर्टिकल इसी पर है कि युवा अपने पिता से कैसे बात करें। उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपके काम आएगी।
जिसने उंगली पकड़कर चलना सिखाया, उससे कैसी हिचक
दोस्तों, सबसे पहले तो अपनी हिचक तोड़िए। ठीक है आज तक आपने बात नहीं की तो कोई बात नहीं। अब शुरू कर सकते हैं। ठीक है आप उम्र के किसी भी पड़ाव पर हों, याद रखिए कि वह यानी आपके पिता आपके साथ आपको ऊंगली पकड़कर चलना सिखाए हैं तो उनके सामने आप हमेशा बच्चे ही रहेंगे। तो फिर बच्चे को हिचक तोड़ने में समय नहीं लगना चाहिए। कोशिश कीजिए. हो जाएगा। अचानक नहीं होगा लेकिन धीरे-धीरे होगा। करिए….कहीं देर ना हो जाए।
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बचपन के किसी बात के बहाने उनसे जुड़िए
दोस्तों, पिता लोगों को अच्छा लगता है जब उनका बेटा या बेटी उनसे संवाद करते हैं। उनके पास बैठते हैं, बतियाते हैं। ये नहीं कि उनके पास होकर भी आप अपने मोबाइल में गुम हैं। ऐसा मत कीजिए। अरे समझ नहीं आ रहा है कि कहां से बात शुरू करें तो कोई बचपन की बात उठा दीजिए। और पापा से कहिए कि पापा तब क्या हुुआ था…संवाद को शुरू तो कीजिए। फिर देखिए पापा लोगों के पास तो इतनी कहानी है कि वे सुनाते जाएंगे और आप मुस्कुराते जाएंगे।
कुछ उनके पसंद का खरीद लाइए और साथ बैठ जाइए
आजकल के युवा पापा को चाहते तो बहुत हैं लेकिन समझ नहीं पाते कि उनके सामने इजहार कैसे करें। अरे बाबू, सोचो जब तुम बच्चे थे और किसी चीज की जिद के लिए बैठ जाते तो पिताजी कैसे किसी भी तरह से उस सामान को खरीदकर देते थे। आज तुम्हें उन्हें खुश करना है। उनकी कोई पसंद की चीज खरीद लाओ। हिचको मत खरीद डालो। दिन मत देखो कि फादर्स डे पर ही देंगे। हर दिन फादर्स डे है। खरीदकर उनके पास ले जाओ। बैठो, उनके चेहरे पर अब जो खुशी देखोगे ना वो जीवन भर के लिए तुम्हारी खुराक बन जाएगी।
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मोबाइल सीखाने के बहाने उनके पास जाओ
चलो सीधे बात नहीं कर पाते हो कोई बात नहीं। आजकल तो मोबाइल का जमाना है। पिताजी लोगों को भी इसका शौक होता है। उन्हें मोेबाइल सीखाने के बहाने ही उनके पास जाओ। उनका फेसबुक अकाउंट बनाने के बहाने या कोई वीडियो दिखाने के बहाने। फिर वहीं से कोई कहानी शुरू हो जाएगी और बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इस तरह से अपने पिता से तुम्हारा संवाद भी शुरू हो जाएगा।
गांव की कहानियां जोड़ती हैं याद रखना
अपने पिता से जुड़ना है तो गांव की कहानियां उनके सामने रखिए। अपने पिता से सीधे संवाद करना है तो इन कहानियों के जरिए करिए। कहानियां शुरू होंगी तो आपकी हिचक टूटेगी और पिता से उन कहानियों को सुनेंगे तो आनंद और बढ़ जाएगा। ये कहानियां ही हैं जो हमारे पिता को उनके पिता से और हम सबको एक दूसरे से बांधी हुई हैं। गांव की कहानियों में बहुत ताकत है। पिता जब सुनाएंगे तो उनकी आंखों को पढ़िएगा, आपको बहुत कुछ पता चल जाएगा।
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जब मां के पास बैठे हों तब बात शुरू करिए मां से और पिता तक चले जाइए
चलिए अगर आपको ज्यादा ही हिचक है तो एक और ट्रिक है। मां जब पिता जी के साथ बैठी हों तो वहां जाकर बैठिए। मां से ही कोई बातचीत शुरू कीजिए। ऐसी बात जिसमें पिता भी शामिल हों। आप देखिएगा पिताजी खुद बीच में टोकना शुरू कर देंगे। इस तरह से आप दोनों अब मुखातिब हो जाएंगे और आप दोनों के बीच संवाद शुरू हो जाएगा।
पापा से बात करने के बहाने ढूंढ़िए
दोस्त, ये जान लीजिए अगर पिता हैं तो सबकुछ है। जब तक पापा हैं, उनसे बात करने के बहाने तलाशिए। चाहें वह आपके पास हों या फिर दूर। उनसे किसी भी तरह से बात करते रहिए। आपकी जिंदगी भी संवर जाएगी अगर आप अपने पिता से फोन पर या सामने आधे घंटे का वक्त रोजाना दे दें। इसके लिए रोज कोई न कोई बहाना लाइए और पापा के पास बैठ जाइए। इससे कीमती चीज आपके जीवन में कभी आपको नहीं मिलेगी।
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