प्रत्येक पक्ष की अमावस्या को मौन धारण करके ‘चित्तशक्ति’ का चिंतन करने का विधान है। मूलभूत शक्ति की उपासना करने के लिए इस दिन पीपल तथा विष्णु का पूजन करके पीपल की १०८ परिक्रमाएँ करनी चाहिए। पीपल तथा बरगद की पूजा, ब्राह्मण करते हैं। इन वृक्षों की प्रकृति ब्राह्मणों से मिलती है। जिस प्रकार दूसरों के हित के लिए अपना कर्तव्य, अपना धर्म मानते हैं उसी प्रकार ये पेड़ अन्य पेड़ों के बीजों को अपने ऊपर पड़ा हुआ जानकर उन्हें अपने रस से सींचते हैं। ब्रह्म एक है। वह पूर्ण है। उसी पूर्ण से पूर्ण विकसित हुआ है । इस पूर्ण में से पूर्णता को अलग कर देने पर भी इसकी पूर्णता अखण्ड रहती है। १०८ में ‘१’ अंक यही ब्रह्म है। प्रकृति के आठ महतत्व हैं — पृथ्वी, पानी, ज्वाला, पवन, व्योम, मन, बुद्धि तथा अहंकार। इन्हीं अष्टधा महान तत्वों के योग से ‘१०८’ के अंक का निर्माण हुआ है। इसीलिए साक्षात् ब्रह्म स्वरूप लोगों के नाम से पूर्व इस अंक के प्रयोग की प्रथा प्रचलित है।