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लाउडस्पीकर विवाद का असली गुनहगार कौन है?

देश में इस समय सबसे बड़ा विवाद जो चल रहा है वह है लाउडस्पीकर विवाद। इस विवाद में तमाम ऐसे भी लोग कूद पड़े हैं जिन्हें मालूम ही नहीं कि आखिर ये मामला है क्या। सोशल मीडिया पर चरस बोया जा रहा है। ज्ञान पेले जा रहे हैं। लेकिन जो ज्ञान पेल रहे हैं, उनसे जरा पूछ दीजिए कि भईया ये है क्या मामला तो फुस्स हो जाएंगे। मतलब कोई भी मामला आया तो उसे जानबूझकर कुछ लोग एक रंग देने में जुटे हैं और देश के लिए यही सबसे खतरनाक भी है। तो भईया अगर आप किसी चीज पर कुछ बोलना या लिखना ही चाहते हो उसे जान भी तो लो यार। तो चलो आज लाउडस्पीकर विवाद के बारे में पहले सब जान लोग। यह भी जान लो कि इसके असली गुनगहार कौन हैं।

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दोस्तों, आसान भाषा में यह जान लीजिए कि आपने मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर अज़ान की आती आवाजें सुनी होंगी। सुबह-सुबह अजान शुरू हो जाता है। कुछ जगह तो यह आवाज़ इतनी तेज होती है कि आसपास के एरिया में रहने वाले लोग परेशान हो जाते हैं। इसकी शिकायतें जब तब स्थानीय प्रशासन को मिलती रहती हैं। इसी तरह से कुछ मंदिरों में भी लाउडस्पीकर के जरिए गाने बजाने की परंपरा है जिसकी आवाज से भी पढ़ने वाले बच्चे या कान के रोगियों सहित अन्य बीमार लोगों को दिक्कत होती है। तो इसी वजह से अपने देश में कर्नाटक से यह मामला शुरू हुआ है।

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कर्नाटक में लाउडस्पीकर पर क्या बवाल मचा है? karnataka ka loudspeaker vivad kya hai in hindi

लाउडस्पीकर पर विवाद तो अपने देश में समय-समय पर होता रहा है। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरे देश में यह मामला चर्चा में आ गया है। कर्नाटक से यह मामला शुरू हुआ जहां सरकार ने मस्जिदों और मंदिरों को बड़ी संख्या में नोटिस भेजकर लाउडस्पीकर की आवाज को एक निर्धारित मानक पर रखने का निर्देश दिया है। शहरी क्षेत्रों में 55 डेसिबल से अधिक आवाज होने पर इन पर कार्रवाई होगी। सरकार के इस कदम पर कई लोग ऐतराज जता रहे हैं और यहीं से यह बवाल बढ़ गया है।

लाउडस्पीकर मामले में हिंदूू-मुस्लिम क्यों हो रहा है?

इस मामले को धार्मिक रंग देने की भी कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। जबकि यह मामला विशुद्ध रूप से ध्वनि प्रदूषण से जुड़ा है। लेकिन चूंकि कुछ लोगों को हर मामले में अपनी रोटी सेंकनी होती है तो वे अब इसमें धर्म का घालमेल कर रहे हैं। ऐसे में कुछ लोग कर रहे हैं कि सबसे अधिक दिक्कत अजान होने पर होती है। कुछ लोग कर रहे हैं कि अगर मस्जिदों के लाउडस्पीकर नहीं उतरे तो हम मंदिरों में हनुमान चालीसा और तेज बजाएंगे। वहीं, कुछ लोग कर रहे हैं कि नहीं भइया मंदिरों के गाने और भजन सबसे अधिक दिक्कत पैदा करते हैं। ऐसे में दोनों तरफ के लोगों की तरफ से सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की टिप्पणी देखने को मिल रही है।


असली गुनहगार कौन है?

लाउडस्पीकर विवाद को ध्वनि प्रदूषण और लोगों की शांति भंग ने हो इस स्थिति पर आंककर सही दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। बिल्कुल सही बात है कि अगर लोगों को दिक्कत हो रही है, तो सरकार को इस बारे में कदम उठाना ही चाहिए। पर, जो लोग इस मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, असली गुनहगार वही हैं। वरना आम आदमी को इस विवाद से कोई खास मतलब नहीं है। इस मामले में सरकार अपना ऐक्शन ले रही है। लेकिन कुछ लोग इसे बेवजह का मुद्दा बना रहे हैं, यही लोग असली गुनहगार हैं।

तो समाधान क्या है?

मस्जिद हो या मंदिर। दोनों तरफ के लोगों को समझना चाहिए कि भगवान गूंगा या बहरा नहीं है। अगर हम थोड़ा धीरे करके भी आवाज बजाएंगे तो उसे सुनाई देगा। दूसरों को तकलीफ में नहीं डालना चाहिए। इसके लिए दोनों पक्षों को राजी होते हुए उस दिशा में काम करना चाहिए जिससे समाज में शांति और सद्भाव हो। भगवान और अल्लाह भी तो यही चाहते हैं।

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