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ईएमआई बाउंस हो जाए तो क्या होता है । EMI bounce hone par kya hota hai

ईएमआई बाउंस हो जाए तो क्या करें, ईएमआई के बाउंस होने पर क्या होता है, EMI bounce hone par kya hota hai

EMI bounce hone par kya hota hai: दोस्तों, आज एक बार फिर एक नई जानकारी लेकर हम हाजिर हैं। अगर आपने भी कोई लोन लिया है और आपकी ईएमआई बाउंस हो जाए तो आप बार-बार सोचने लगते हैं कि आखिर अब क्या होगा। क्या अधिक पेनल्टी लगेगी या क्या बैंक कोई ऐक्शन लेगा। ऐसे कई सवाल मन में आते हैं। इन सभी सवालों के जवाब आज आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगा। तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।

दोस्तों, सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि आज के दौर में लोन पर चीजें लेना बहुत ही सामान्य बात हो गई है वो लोन चाहे घर का हो, कार का हो या फिर अन्य किसी चीज का। लोन पर लिए गए समान के साथ आपको प्रतिमाह एक धन राशि अपना लोन खत्म करने के लिए देनी होती है जिसे ईएमआई (Equated Monthly Installment) कहते है।

सामान्यतः यह समस्या सबके साथ होती है की समय पर ईएमआई न जमा कर पाने की वजह से उन्हें फाइन (दंड) के तौर पर ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है जो लोगो के लिए एक सिर दर्द बन चुका है। तो चलिए हम अब सीधे आपको बताते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में आपको क्या करना चाहिए जिससे आप इस तरह की परेशानी से बच सकें। पहले जान लीजिए कि ईएमआई होता क्या है।

ईएमआई क्या होता है  EMI bounce hone par kya hota hai

EMI मतलब Equated Monthly Installment यानी सामान मासिक किस्त। यानी वह किस्त जिसे हर महीने आपको किसी बैंक को चुकाना होता है जहां से आपने लोन लिया है। उदाहरण के लिए अगर आपने किसी बैंक से घर बनाने के लिए 10 लाख रुपये लोन लिया है और यह लोन आपको 15 साल में चुकाने हैं तो करीब 10 हजार रुपये तक की मंथली ईएमआई आपकी बन जाएगी। अब आपको हर महीने यह रकम बैंक को चुकानी होगी।

ईएमआई का फायदा यह होता है कि आपको एकमुश्त पैसा मिल जाता है और आप जो काम करना चाहते हैं उसे कर पाते हैं। पर, नुकसान यह है कि आपको ब्याज देना पड़ता है और कई बार तो आप जितना लोन लेते हैं करीब करीब उतनी ही रकम आपको पूरी ईएमआई भरते भरते चुकानी पड़ती है।

यानी आपने 10 लाख रुपये का ही लोन लिया लेकिन ईएमआई भरते भरते आपको 20 लाख रुपये चुकाने पड़ गए। अब सोचिए आपका कितना अधिक नुकसान हो गया। हालांकि आप नौकरी में हैं तो कई जगहों पर लोन टैक्स सेविंग में भी काम आता है। तो एक तरह से यह फायदेमंद भी है और कुछ नुकसान दायक भी चलिए अब बताते हैं कि अगर ईएमआई बाउंस हो जाए तो क्या करें।

EMI bounce hone par kya hota hai

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बैंक मैनेजर को बताएं अपनी समस्या  EMI bounce hone par kya hota hai

कभी हमारे पास कई कारण होते है जिनकी वजह से हम ईएमआई देने में असमर्थ होते है अगर आपके पास भी ऐसी समस्या है जिसे बैंक मैनेजर को बताया जा सके तो आप बैंक मैनेजर से बात करिए, ऐसे में बैंक मैनेजर आपको समय से किस्त जमा करने के लिए सलाह देगा और कहेगा या गलती दुबारा न करे आप उसे भरोसा दिलाइए की आप यह गलती दुबारा नहीं करेंगे, इस बीच अगर पेनाल्टी लगाई भी जाती है तो वह उस लेट फीस से कम होगी जो आपको पहले देनी थी। साथ ही साथ आवश्यक एप्लिकेशन और डॉक्युमेंट्स मैनेजर की सलाह पर जमा करके आप इससे छुटकारा पा सकते है।

ईएमआई को कर सकते है होल्ड  EMI bounce hone par kya hota hai

अगर समस्या अधिक है और उसका निजात जल्द नहीं हो पा रहा है तो मैनेजर से समस्या बताकर अपनी ईएमआई होल्ड करवा सकते है और निर्धारित समय तक होल्ड किए गए अवधि के बाद आप दुबारा ईएमआई जमा कर सकते है।

एरियर ईएमआई करेगी आपकी मदद  EMI bounce hone par kya hota hai

जब आप अपनी किस्त महीने के अंत में जमा करते है तो इस प्रोसेस को एरियर ईएमआई कहा जाता है। आप अगर महीने की शुरुवात में ईएमआई जमा करते है तो अपनी समय अवधि बढ़ाने के लिए बैंक मैनेजर से बात करके ईएमआई की तारीख को बढ़ावा कर महीने के अंत में भुगतान कर सकते है।

ऐसी स्थिति में बिगड़ जाता है आपका सिबिल स्कोर  EMI bounce hone par kya hota hai

लगातार 3 महीने तक ईएमआई बाउंस होने पर बैंक मैनेजर आपको सिबिल रिपोर्ट नेगेटिव कर देता है जिससे आपको आगे लोन लेने में दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है तो इस बात का ध्यान रखें कि यह स्थिति आपके साथ न हो अगर यह स्थिति हो जाती है तो बैंक मैनेजर से बात करने पर इसका निवारण हो जाता है।

ऐसी स्थिति में रखें इन बातों का ध्यान

ईएमआई चुकाने के ये हैं आसान तरीके  EMI bounce hone par kya hota hai

अपने ईएमआई की किस्त बड़ी करवा कर आप किस्त का पैसा थोड़ा थोड़ा करके लोन चुकता कर सकते है।

आपके पास इकट्ठा पैसा हो तो आप बैंक में प्रीपेमेंट कर सकते हैं। इससे आपकी लोन की अवधि को घटा दिया जाएगा या फिर आपकी किस्त को कम कर दिया जाएगा जो की आगे समय के लिए आपके सिर दर्द को कम करेगा।

आप जिस बैंक के धारक है वहां ब्याज दर अधिक है और दूसरा बैंक कम ब्याज पर लोन दे रहा हो तो लोन की रीफाइनेंसिंग भी कराई जा सकती है।

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